बुधवार, 29 अगस्त 2018

कोर्ट में अगर गवाह गवाही देने से मुकर जाये तो क्या होगा ? जानिए ? झूठी गवाही से कैसे बचें ?

सवाल : कोर्ट में अगर गवाह गवाही देने से मुकर जाये या फिर झूठी गवाही दे Hostile Witness का नतीजा क्या होगा ? क्या कोर्ट झूठी गवाही देने वाले को सजा दे सकती है ? जानिए ? झूठी गवाही से कैसे बचें ? 

जबाव : हमें अदालत में झूठा बयान देने या फिर गवाही से मुकरने के कई मामले देखने को मिलते हैं, जिनमें पता चलता है की अमुक गवाह पैसो में बिक गया और उसने झूठी गवाही दे दी |

गवाह की परिभाषा :- जब भी कोई अपराध या कोई कार्य होता है तो उस के दो पक्ष होते है पहला अपराध करने वाला (दोषी पक्ष) और दूसरा अपराध को सहने वाला (शिकायतकर्ता पक्ष) | अगर कोई तीसरा व्यक्ति उस घटना को देख रहा हो, या जनता हो, तो वो गवाह कहलाता है | पुलिस केस में उस गवाह की स्टेटमेंट CRPC की धारा 161 में रिकॉर्ड करती है | इसमें पुलिस गवाह के बयानों को सुन कर स्वय लिखती है इस स्टेटमेंट पर गवाही देने वाले गवाह के हस्ताक्षर लेने जरूरी नही होते है तथा इसकी कॉपी भी उस गवाह को देने का कोई नियम भी नही है |

गवाही से मुकरने का मतलब  Hostile Witness (होस्टाइल विटनेस) क्या है – अगर कोई गवाह पुलिस को अपनी CRPC धारा 161 में जो गवाही दे, और उसे कोर्ट में जा कर मुकर जाए, तो उसे मुकरने वाले गवाह यानी होस्टाइल विटनेस कहते है | अदालत के सामने पुलिस की कहानी को सपोर्ट न करने वाला गवाह होस्टाइल विटनेस  होता है | पुलिस किसी को भी छानबीन के दौरान सरकारी गवाह (Witness) बना सकती है। गवाह (Witness) की सहमति से पुलिस सीआरपीसी की धारा-161 के तहत उसका बयान दर्ज करती है। धारा-161 के बयान में किसी गवाह के दस्तखत लिए जाने का प्रावधान नहीं है। हालांकि किसी गवाह के सामने पुलिस अगर कोई रिकवरी आदि करती है तो रिकवरी मेमो पर गवाह के दस्तखत लिए जाते हैं | अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलने के मामले में दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है।

गवाह पर शक है तो मैजिस्ट्रेट के सामने बयान – किसी गवाही के बारे में अगर पुलिस को शक होता है कि वह बाद में अपने बयान से मुकर सकता है तो उस गवाह का धारा-164 में मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया जाता है। (ऐसा ज्यादातर महिला अपराध में होता है) धारा-164 में बयान देने वाले का बाद में मुकरना आसान नहीं होता। वैसे इन तमाम बयानों के बाद भी ट्रायल कोर्ट के सामने दिया बयान ही मान्य बयान होता है और अदालत यह देखती है कि गवाह झूठ तो नहीं बोल रहा । अगर अदालत को यह लगता है कि गवाह अदालत में सच्चाई बयान कर रहा है और वह बयान पुलिस के सामने दिए बयान से चाहे पूरी तरह मेल नहीं भी खा रहा हो, तो भी उस बयान को स्वीकार किया जाता है।

कोर्ट में गवाह के मुकरने पर क्या होता है?

झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही :- झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही के तीन चरण है (1) अगर कोर्ट को केस के किसी भी स्टेज पर ये लगे की गवाह शपथ लेकर झूठ बोल रहा है, तो वह उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कार्यवाही कर सकती है । ऐसे में कोर्ट CRPC की धारा 340 के अंतर्गत कार्यवाही करती है दूसरा (2) स्वय शिकायतकर्ता को ये लगे की उसका गवाह उसी के खिलाफ गवाही दे रहा है या फिर वो दोषी को बचाने के लिए कोई झूठ बोल रहा है तो वो शिकायतकर्ता कोर्ट और पुलिस दोनों की मदद से उस झूठे गवाह के खिलग कार्यवाही कर सकता है तीसरा (3) स्वय दोषी भी गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है अगर दोषी को लगे की कोई गवाह उसे झूठा फसाने के लिए या फिर शिकायतकर्ता की मदद करने के लिए उसके खिलाफ झूठी गवाही दे रहा है तो वो उस गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है ऐसा वो सर कोर्ट में ही शिकायत दे कर ऐसा कर सकता है

लेकिन उस गवाह को झूठा साबित करने का बर्डन शिकायत करने वाले के उपर ही होता है असल में होता यह है कि अगर कोई गवाह पुलिस या मैजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान से मुकरे, तो उसे मुकरा हुआ गवाह माना जाता है। अगर कोई सरकारी गवाह (Witness) मुकर जाए, तो सरकारी वकील उसके साथ जिरह करता है और सच्चाई निकालने की कोशिश करता है। लेकिन इस प्रक्रिया में अदालत यह देखती है कि कौन से ऐसे गवाह हैं, जिन्होंने जानबूझकर अदालत से सच्चाई छुपाई या फिर झूठ बोला। ऐसे गवाहों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा-340 के तहत अदालत शिकायत करती है। ऐसे गवाह के खिलाफ अदालत में झूठा बयान देने के मामले में आईपीसी की धारा-193 के तहत मुकदमा चलाया जाता है।

धारा 193 IPC :- इस धारा के अंतर्गत उस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जाता है जो की अपनी गवाही से मुकरा है या दोषी को बचा रहा है लिकिन इससे किसी को कोई सजा नही हुई है | इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 साल कैद की सजा का प्रावधान है।

धारा 340 CRPC :- जब कोई गवाह किसी व्यक्ति विशेष को झूठे अपराध में सजा करवाने के लिए गवाही दे तो उसे इस धारा में सजा होती है या हो सकती है | तो ऐसे गवाह को एस धारा में सजा दी जाती है | इस धारा में सजा की कोई लिमिट नही है अगर आप किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी झूठी गवाही देते है की उसे फासी हो जाये तो झूठ पकडे जाने पर आप को एस धारा के अनुसार फासी की सजा ही सुनाई जाएगी |

झूठी गवाही देने पर सरकारी नोकरी जा सकती है क्या :- जी हा अगर कोई व्यक्ति झूठी गवाही दे और उसे 100 रुपये या इससे उपर का जुरमाना हो जाये या फिर 1 दिन या इससे ज्यादा की जेल हो जाये तो उस व्यक्ति की सरकारी नोकरी चली जाएगी |

झूठी गवाही से कैसे बचे :- आप कोर्ट में अगर किसी भी वजह से गवाह बन गए है | चाहे वो पुलिस का दबाव हो या फिर आप के किसी निजी का तथा बाद में आप वो गवाही नही देना चाहते है तो सबसे पहले कोर्ट का गवाही का नोटिस आने पर, आप उस कोर्ट में अप्लिकेशन लगा कर अपना नाम गवाही लिस्ट से हटवा सकते है या फिर और अगर इससे बात नही बने तो ऐसे में आप के लिए ये जरूरी हो की गवाही देनी ही होगी तो आप किसी भी बात का सीधा जवाब नही दे कर ये कह  कर बच सकते है की आपको याद नही है/ कह नही सकते या फिर भूल गए | इस बातो को बहाना बना कर अगर आप गवाही दोगे तो कल को बात झूठी पाने पर भी आपके खिलाफ कोई कार्यवाही नही होगी क्योकि अगर आपकी याददाश कमजोर है तो ये किसी आपके झूठ बोलने में नही आता है |