मंगलवार, 28 अगस्त 2018

धारा 499 क्या है ? मानहानि कानून या defamation law क्या होता है ?
मानहानि कानून या defamation law क्या होता है तथा इसमें कोर्ट किस प्रकार की कार्यवाही करता है?

भारतीय दंड संहिता की धारा section 499 cr.p.c के अनुसार-किसी के बारे में बुरी बातें बोलना, लोगों को अपमानजनक पत्र भेजना, किसी की प्रतिष्ठा गिराने वाली अफवाह फैलाना, अपमानजनक टिप्पणी प्रकाशित या प्रसारित करना। (पति या पत्नी को छोड़कर) किसी भी व्यक्ति से किसी और के बारे में कोई अपमानजनक बात कहना, अफवाह फैलाना या अपमानजनक टिप्पणी प्रकाशित करना defamation मानहानि माना जा सकता है।

defamation मानहानि section 499 cr.p.c. के प्रकार:-

  • मृत व्यक्ति को कोई ऐसा लांछन लगाना जो उस व्यक्ति के जीवित रहने पर उसकी ख्याति को नुकसान पहुंचाता । और उसके परिवार या निकट संबंधियों की भावनाओं को चोट पहुंचाता ।
  • किसी कंपनी , संगठन या व्यक्तियों के समूह के बारे में भी ऊपर लिखित बात लागू होती है |
  •  किसी व्यक्ति पर व्यंग्य के रुप में कही गयी बातें ।
  • मानहानिकारक बात को छापना या बेचना  भी defamation मानहानि होता है
  • सच्ची टिप्पणी defamation मानहानि नहीं है |

किसी व्यक्ति के बारे में अगर सच्ची टिप्पणी की गयी हो और वह सार्वजनिक हित में किसी लोक सेवक के सार्वजनिक आचरण के बारे में हो अथवा उसके या दूसरों के हित में अच्छे इरादे से की गयी हो अथवा लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए उन्हें आगाह करने के लिए हो , तो इसे defamation मानहानि नहीं माना जायेगा ।

मानहानि के लिए कार्यवाही :-
defamation मानहानि section 499 cr.p.c. के लिए आप आपराधिक मुकदमा चलाकर मानहानि करने वाले व्यक्तियों और उसमें शामिल होने वाले व्यक्तियों को न्यायालय से दंडित करवा सकते हैं ।यदि defamation मानहानि से किसी व्यक्ति की या उसके व्यवसाय की या दोनों को कोई वास्तविक हानि हुई है तो उसका हर्जाना प्राप्त करने के लिए दीवानी दावा न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत कर हर्जाना प्राप्त किया जा सकता है । defamation मानहानि section 499 cr.p.c.करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए दस्तावेजों के साथ सक्षम क्षेत्राधिकारी के न्यायालय में लिखित शिकायत करनी होगी। न्यायालय शिकायत पेश करने वाले का बयान दर्ज करेगा, अगर आवश्यकता हुई तो उसके एक-दो साथियों के भी बयान दर्ज करेगा। इन बयानों के आधार पर यदि न्यायालय समझता है कि मुकदमा दर्ज करने का पर्याप्त आधार उपलब्ध है तो वह मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए समन जारी करेगा।

आपराधिक मामले में जहां नाममात्र का न्यायालय शुल्क देना होता है । वहीं हर्जाने के दावे में जितना हर्जाना मांगा गया है , उसके 5 से 7.50 फीसदी के लगभग न्यायालय शुल्क देना पड़ता है। जिसकी दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।defamation मानहानि के मामले में वादी को केवल यह सिद्ध करना होता है कि टिप्पणी अपमानजनक थी और सार्वजनिक रुप से की गयी थी । उस यह सिद्ध करने की जरुरत नहीं है कि टिप्पणी झूठी थी। बचाव पक्ष को ही यह साबित करना होता है कि वादी के खिलाफ उसने जो टिप्पणी की थी, वह सही थी ।

defamation मानहानि के के लिए सजा :-  section 499 cr.p.c सिर्फ defamation मानहानि की परिभाषा बताता है यह section 499 cr.p.c  बताता है की मानहानि क्या होती है व कितने प्रकार की हो सकती है पर इसमें सजा का प्रावधान धारा 500 cr.p.c. में है इसके अनुसार जो भी कोई व्यक्ति ऐसा अपराध करेगा वो दो साल के कारावास व जुर्माने व या दोनो की सजा भुगतेगा इसके अलावा वह कोर्ट में अगर कोई defamation मानहानि के लिए भी केस डालता है तो वो जुरमाना भी उसे मिलेगा |

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन से बचाव :-
अगर किसी निर्दोष व्यक्ति को अभियुक्त को बना दिया जाय और वह सिद्ध कर सके कि उसे बदनाम या ब्लैकमेल करने जैसे बुरे इरादे से उसके खिलाफ अभियोग लगाया गया था तो वह अदालत में मामला दर्ज कर अभियोग लगाने वाले से मुआवजा मांग सकता है। यह दावा आर्धिक तथा मानसिक दोनों प्रकार की चोट की भरपाई के लिए हो सकता है।

अगर किसी व्यक्ति को बुरे इरादे से सिविल मुकदमें में फंसाया जाय तो वह मामला दर्ज कर मुआवजे की मांग कर सकता है।