मंगलवार, 28 अगस्त 2018

जानिए क्या हैं गिरफ्तारी के नियम और गिरफ्तारी पर आपके अधिकार ?

सवाल :- किसी व्यक्ति के गिरफ्तारी के नियम व अधिकार क्या है ? क्या किसी जज, महिला, या किशोर के लिए ये गिरफ्तारी के नियम व अधिकार अलग होते है ? क्या किसी महिला को भी पूछताछ के लिए पुलिस थाने में बुला सकती है  क्रप्या इसके बारे में विस्तार से बताये |

जबाव :- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक दैहिक रूप से स्वतंत्र है तथा भारत में कहि पर भी जहा कानून का अवरोध नही हो (जैसे सेना के मुख्यालय या किसी अन्य नागरिक की अचल सम्पत्ति इत्यादि) वो आने या जाने के लिए स्वतंत्र है ये उसका मौलिक अधिकार है लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति पर किसी अपराध को करने का अभियोग लगाया जाता है तब कानून के अनुसार उसकी गिरफ्तारी आवश्यक होती है ऐसी गिरफ्तारी में उस व्यक्ति के गिरफ्तारी के नियम व अधिकार, उस गिरफ्तारी की विधि व प्रक्रिया के बारे में आवश्यक प्रावधानों व वैधानिक स्थिति को समझ लेना आवश्यक होता है तभी वह व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारो की रक्षा कर सकने में समर्थ होगा |

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डी0 के0 बसु विरूद्ध स्टेट आफ वेस्ट बंगाल, ए.आई.आर. 1997 एस.सी. 610 व जोगिन्दर कुमार विरूद्ध स्टेट आफ यू0पी0, ए.आई.आर. 1994 एस.सी. 1349 केस में व्यक्ति की गिरफ्तारी के नियम व अधिकार के बारे में कई दिशा निर्दैश दिये है जिन्हें अब दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 में संशोधन कर के समावष्टि कर लिया गया है |

द0 प्र0 सं0 की धारा 41 के अनुसार पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है अगर वो भारत के किसी भी कानून का उलंघन कर चूका है या करने वाला है या करने की त्यारी कर रहा है लेकिन इस गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस के लिए कुछ नियम है तथा उस गिरफ्तार व्यक्ति के भी गिरफ्तारी के नियम व अधिकार है जिनका पालन भी क़ानूनी रूप से होता है

गिरफ्तारी के नियम व अधिकार

पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तारी के नियम व अधिकार :-

  • प्रत्येक पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी करते समय अपने नाम का सही, दृश्य मान तथा स्पष्ट पहचान धारण करेगा | (सी.बी.आई. और रो को छोड़ कर उनके लिए अलग कानून व नियम है )
  • पुलिस अधिकारी ये भी निश्चित करेगा की उक्त व्यक्ति जिसे वो गिरफ्तार कर रहा है वो कानून का उलंघन कर चूका है या करने वाला है या करने की त्यारी कर रहा है
  • अगर गिरफ्तारी अपराध घटित होने के बाद हो रही है तो वो घटना का ज्ञापन /समन तैयार करेगा तभी उस व्यक्ति को गिरफ्तार करेगा |
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 41 ख के अनुसार पुलिस गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को कम से कम एक साक्षी द्वारा जो उसके परिवार का सदस्य है, या जहा गिरफ्तारी की गई है, उस मोहल्ले का किसी सम्मानीय सदस्य द्वारा अनुप्रमाणित करेगा | अगर ऐसा नही हो सके तो उसके परिवार या किसी परिचित को फोन, समन, या डाक द्वारा सूचित करेगा की अमुक व्यक्ति गिरफ्तार है |
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 41 ग के अनुसार सरकार प्रत्येक जिलों में राज्य स्तर पर एक पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगी। तथा राज्य सरकार प्रत्येक जिले में नियंत्रण कक्ष के बाहर रखे गये नोटिस बोर्ड पर गिरफ्तार किये गये व्यक्तियो के नाम, पते तथा गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारियों के नाम तथा पदनाम प्रदर्शित करेगी

तथा राज्य स्तर पर पुलिस मुख्यालय पर नियंत्रण कक्ष समय-समय पर गिरफ्तार किये गये व्यक्ति, अपराध की प्रकृति जिनके लिए उन्हें आरोपित किया गया है, के विवरण एकत्रित करेगा तथा जनसाधारण की सूचना के लिए उन आकडो को  रखेगा।

व्यक्ति के गिरफ्तारी के नियम व अधिकार:-


  • द0 प्र0 सं0 की धारा 41 घ के अनुसारजब कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तथा पुलिस द्वारा उससे परिप्रश्न किये जाते है, तो परिप्रशनों के दौरान उसे अपने पंसद के अधिवक्ता से मिलने का हक होगा, पूरे परिप्रश्नों के दौरान नहीं  तथा संविधान के अनुच्छेद 22 (1) में भी गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के विधि व्यवसायी से परामर्श करने का मौलिक अधिकार दिया  गया है।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 46 के अनुसार गिरफ्तारी करने में पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति जो गिरफ्तारी कर रहा है, गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति के शरीर को वस्तुतः तब तक छूऐगा या परिरूद्ध करेगा, जब तक वह व्यक्ति अपने आप को उस पुलिस ऑफिसर की अभिरक्षा में समर्पित न कर दे । यदि ऐसा व्यक्ति अपने गिरफ्तार किये जाने का विरोध करता है या गिरफ्तारी से बचने का प्रयत्न करता   है तो ऐसा पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति  उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक सब साधनों को उपयोग में ला सकता है। इस धारा की कोई भी बात ऐसी व्यक्ति की जिस पर मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का अभियोग नहीं है, उस मृत्यु कारित करने का अधिकार किसी भी पुलिस ऑफिसर को नहीं देती है। धारा 46 दं.प्र.सं. एक व्यक्ति को अभिरक्षा में लेने के पूर्व किसी औपचारिकता के बारे में प्रावधान नहीं करती है मुंह से कहे गये शब्द या व्यक्ति की क्रिया पर्याप्त होती है।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 50(1) के अनुसार किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकरी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है पूर्ण विशिष्टियाँ या ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरंत सूचित करेगा।
  • तथा धारा 50(2) दं0प्र0सं0 के अनुसार जहां कोई पुलिस अधिकरी अजमानती अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करता है, वहां वह गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को सूचना देगा कि वह जमानत पर छोडे जाने का अधिकार है और वह अपनी जमानत का इंतजाम करे
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 51 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति की तलाशी गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों चाहे वे पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किये गये हो या प्राईवेट व्यक्ति द्वारा धारा 43 द0प्र0सं0 के तहतगिरफ्तार करके पुलिस को सौपे गये हो, संबंधित पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति की तलाशी ले सकते है और पहनने के आवश्यक वस्त्रो को छोड़कर यदि उनके पास कोई वस्तु पाई जाती है तो उसे सुरक्षित अभिरक्षा में रख सकता है और गिरफ्तार व्यक्ति से अभिग्रहित वस्तु की रसीद देने के प्रावधान है ।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 52 के अनुसार आक्रामक आयधु /असला /हथियार को अभिग्रहणं गिरफ्तार व्यक्ति के पास यदि कोई आक्रामक आयुध पाये जाते है तो उन्हें पुलिस द्वारा अभिग्रहित करने के प्रावधान है।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 54 क के अनुसार गिरफ्तार होने के फ़ोरन बाद गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान या शिनाक्त भी करवाई जाएगी की वह उक्त व्यक्ति सही गिरफ्तार किया है या नही |
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 55 क के अनुसार अभियुकत की अभिरक्षा रखने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह अभियुक्त के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा की युक्तियुक्त देख-रेख करे ।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 56 के अनुसार पुलिस ऑफिसर, गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तार करने के 24 घंटे में जमानत के लिए किसी बड़े पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा |
  • द0 प्र0 सं0 की धारा 57 के अनुसार पुलिस ऑफिसर, गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तार करने के 24 घंटे में अनावश्यक यात्रा को छोड़ कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा | तथा पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी जिला मजिस्टेट को या उसके ऐसे निर्देश देने पर उपखण्ड मजिस्टेट को, अपने अपने थाने की सीमाओं के भीतर वारण्ट के बिना गिरफ्तार किये अये सब व्यक्तियों कें मामले के रिपोर्ट करेंगे चाहे उन व्यक्तियों की जमानत ले ली गई हो या नहीं।

महिलाओ की गिरफ्तारी के नियम व अधिकार व  विशेष प्रावधान :-

हमारे सविधान व द0 प्र0 सं0  के अनुसार किसी भी महिला को पुलिस द्वारा नोटिस या समन देकर पूछताछ के लिए थाने में नही बुलाया जा सकता है तथा विशेष परिस्तिथियों में ही उसको गिरफ्तार किया जा सकता है उपर दिए गये प्रावधानों के साथ-साथ जहां किसी महिला को गिरफ्तार किया जाना हो वहां ये निम्न प्रावधानो को भी ध्यान में रखना होता है

  • द0 प्र0 सं0 की धारा 46 (1) के अनुसार जहां किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाता है, जब तक परिस्थितियां विपरित नही हो किसी भी महिला को गिरफ्तार नही किया जायेगा उसे पहले मौखिक सूचना देनी होगी तथा समर्पण नही करने पर, जब तक पुलिस अधिकरी महिला न हो तब तक उसको गिरफ्तार नही किया जायेगा तथा कोई, पुरुष पुलिस अधिकारी स्त्री के शरीर का स्पर्श नहीं करेगा। पर अगर कोई विपरीत हालत है जैसे की उक्त महिला किसी को जान से मरने वाली है तो पुलिस पुरुष व्यक्ति उस महिला पर बल प्रयोग कर सकता है |
  •  द0 प्र0 सं0 की धारा 46 (4) के अनुसार असधारण परिस्थितियों के सिवाय, कोई स्त्री सूर्यास्त के पश्चात और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं की जायेगी और जहां ऐसी असाधारण परिस्थितियां विद्यमान है वहां स्त्री पुलिस अधिकारी, लिखित में रिपोर्ट करके अपने जिले के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट से परमिशन लेगी, और उसकी गिरफ्तारी करेगी तथा अपराध करते समय उक्त महिला को बिना किसी परमिशन के गिरफ्तार किया जा सकता है | पर जहां महिला को गिरफ्तार किया जाना हो वहां गिरफ्तार करने वाले प्राधिकारी ऐसे सभी प्रयास करेंगे कि महिला सिपाही उपस्थित रहे लेकिन परिस्थितियों ऐसी हो कि महिला सिपाही उपस्थित न हो या गिरफ्तारी में विलम्ब अनुसंधान को प्रभावित करे तब गिरफ्तार करने वाला अधिकारी कारण अभिलिखित करेगा उसके बाद ही महिला को विधि पूर्ण कारणों से गिरफ्तार कर सकेगा।
  •  द0 प्र0 सं0 की धारा 51 के अनुसार किसी स्त्री की शारीरिक परीक्षा केवल रजिस्ट्रीकृत महिला चिकित्सा व्यवसायी या किसी महिला पुलिस के द्वारा ही की जाएगी |

अगर कोई महिला अपराधी है और पुलिस उसे गिरफ्तार करने आती है तो वह अपने इन अधिकारों का उपयोग कर सकती हैं-


  • किसी भी महिला को गिरफ्तारी का कारण बताया जाएगा वरना ये उस महिला की गिरफ्तारी के नियम व अधिकार का उल्ह्न्गन मन जायेगा
  • यदि किसी व्यक्ति को ऐसे रिहायशी मकान से गिरफ्तार करना हो, जिसकी मालकिन कोई महिला हो तो पुलिस को उस मकान में घुसने से पहले उस औरत को बाहर आने का आदेश देना होगा और बाहर आने में उसे हर संभव सहायता दी जाएगी।
  • सूर्यास्त के बाद किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यदि रात में महिला अपराधी के भागने का खतरा हो तो सुबह तक उसे उसके घर में ही नजरबंद करके रखा जाना चाहिए।
  • गिरफ्तारी के समय उसे हथकड़ी न लगाई जाए। हथकड़ी सिर्फ मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही लगाई जा सकती है।
  • अपने वकील को बुलवा सकती है। अगर वह वकील रखने में असमर्थ है। मुफ्त कानूनी सलाह की मांग कर सकती है,
  • गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर महिला को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य है।
  • गिरफ्तारी के समय स्त्री के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने जाने दिया जाए

अगर पुलिस महिला को गिरफ्तार करके थाने में लाती है तो महिला को निम्न अधिकार प्राप्त हैं:-

  • गिरफ्तारी के बाद महिला को महिलाओं के कमरे में ही रखा जाए।
  • महिला को मानवीयता के साथ रखा जाए, जोर-जबरदस्ती करना गैरकानूनी है। पुलिस द्वारा मारे-पीटे जाने या दुर्व्यवहार किए जाने पर मजिस्ट्रेट से डाक्टरी जांच की मांग कर सकती है।
  • सी.आर.पी.सी. की धारा-51 के अनुसार जब कभी किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाता है और उसे हवालात में बंद करने का मौका आता है तो उसकी तलाशी किसी अन्य स्त्री द्वारा शिष्टता का पालन करते हुए ली जाएगी।
  • सी.आर.पी.सी. की धारा-53(2) के अंतर्गत गिरफ्तार महिला की डाक्टरी जांच केवल महिला डाक्टर ही करेगी
  • गिरफ्तारी के समय महिला के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने आने दिया जाएगा।

महिला अपराधियों से पूछताछ के दौरान कभी-कभी छेड़छाड़ के मामले भी सामने आते हैं। इसके लिये महिला इन अधिकारों का प्रयोग कर सकती है :-


  • पूछताछ के लिए थाने में या कहीं और बुलाए जाने पर महिला इंकार कर सकती है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-160 के अंतर्गत किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने या अन्य किसी स्थान पर नहीं बुलाया जाएगा।
  • रत के समय किसी भी महिला से पूछताछ नही की जा सकती है
  • अगर पुलिस को किसी महिला से पूछताछ करनी बहुत जरुरी हो तो परिवार के सदस्यों या 5 पड़ोसियों के सामने उनसे पूछताछ कर सकती है |
  • धारा-47(2)के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाएगी। यदि महिला चाहे तो तलाशी लेने वाली महिला पुलिसकर्मी की तलाशी पहले ले सकती है। महिला की तलाशी के दौरान स्त्री के सम्मान को बनाए रखा जाएगा। अपनी तलाशी से पहले वह स्त्री, महिला पुलिसकर्मी की तलाशी ले सकती है।

अगर गिरफ्तार महिला थाने में अपनी एफ.आई.आर. दर्ज करवाना चाहे तो :-


  • पुलिस को निर्देश है कि वह किसी भी महिला की एफ.आई.आर. .दर्ज करे।
  • एफ.आई.आर. दर्ज कराते समय महिला किसी मित्र या रिश्तेदार को साथ ले जाए।
  • एफ.आई.आर. को स्वयं पढ़ने या किसी अन्य से पढ़वाने के बाद ही महिला उस पर हस्ताक्षर करें।
  • एफ.आई.आर. की एक प्रति उस महिला को दी जाए।
  • एफ.आई.आर. पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किए जाने पर महिला वरिष्ठस्न् पुलिस अधिकारी या स्थानीय मजिस्ट्रेट से मदद की मांग कर सकती है।

महिलाओ के बारे में  मानवाधिकार व कानून :-


  • द0 प्र0 सं0 की धारा-174(3) के अनुसार किसी महिला की विवाह के बाद सात वर्ष के भीतर संदिग्ध अवस्था में मृत्यु होने पर उसका पोस्टमार्टम प्राधिकृञ्त सर्जन द्वारा तथा जांच एस.डी.एम. द्वारा की जानी अनिवार्य है।
  • द0 प्र0 सं0 की धारा-416 के अनुसार किसी गर्भवती महिला को मृत्यु दंड से छूट दी गई है
  • धारा-437 के अंतर्गत किसी गैर जमानत मामले में साधारणयता जमानत नहीं ली जाती है, लेकिन महिलाओं के प्रति नरम रुख अपनाते हुए उन्हें इन मामलों में भी जमानत दिए जाने का प्रावधान है।

गिरफ्तारी के नियम व अधिकार किशोर के बारे में :-


  • (बालकों की देख रेख और संरक्षण) अधिनियम, के अनुसार जैसे ही विधि संबंधितनिरोध में कोई किशोर पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है, उसे विशेष किशोर पुलिस इकाई या पदाभिहित  (क्मेपहदंजमक) पुलिस अधिकारी के प्रभार के अधीन रखा जायेगा जो उस किशोर को बिना कोई समय गवाये और पकड़े गये स्थान से बोर्ड तक लाने में यात्रा में लगे समय को छोड़कर 24 घंटे के भीतर बोर्ड के समक्ष पेश करेंगा
  • परंतु किसी भी दशा में, विधि संबंधित विरोध में कोई किशोर पुलिस लोकअप में नहीं रखा जायेगा या जेल नहीं भेजा जायेगा।
  • राज्य सरकार को इस अधिनियम के संबंध में और किशोर बोर्ड के समक्ष ऐसे व्यक्तियों को पेश करने के संबंध में नियम बनाने की शक्तियाँ दी गई हैं।

 न्याय अधिकारी या जज की गिरफ्तारी के नियम व अधिकार के संबंध में कुछ दिशा निर्देश:-

माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्याय मूर्तिगण की पीठ ने न्यायिक अधिकारी की गिरफ्तारी के नियम व अधिकार संबंध में कुछ दिशा निर्देश जारी किये है जो निम्नानुसार हैः-


  • यदि किसी न्यायिक अधिकारी या जज को किसी अपराध में गिरफ्तार किया जाना हो तब उसे जिला जज या उच्च न्यायालय को सूचित करते हुये ही गिरफ्तार किया जायेगा
  • अगर परिस्थितियाँ ऐसी हो की अधिनस्थ न्यायालय के न्यायिक अधिकारी को तत्काल गिरफ्तार किया जाना आवश्यक हो तब गिरफ्तारी की सूचना तत्काल संबंधित जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीशो को भेजी जायेगी
  • गिरफ्तार किये गये न्यायिक अधिकारी को पुलिस थाना नहीं ले जाया जायेगा जब तक की संबंधित जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश इस बावत् पूर्व आदेश व निर्देश न दे |
  • गिरफ्तार न्यायिकअधिकारी को उसके परिवार के सदस्यों, विधिक सलाहकारों और  जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित अन्य न्यायिक अधिकारीगण से संपर्क करने की तत्काल सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।
  • गिरफ्तार न्यायिक अधिकारी के विधि सलाहकार की उपस्थिति में ही या समान या उच्च रेंक के न्यायिक अधिकारी की उपस्थिति में ही संबंधित न्यायिक अधिकारी का बयान अभिलिखित किया जायेगा या कोई पंचनामा बनाया जायेगा या कोई चिकित्सा परीक्षण कराया जायेगा अन्यथा नहीं।
  • गिरफ्तार न्यायिक अधिकारी को हथकड़ी नहीं लगाई जायेगी और यदि परिस्थितिया ऐसी हो तब तत्काल संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश को प्रतिवेदन दिया जायेगा और मुख्य न्यायाधीश को भी प्रतिवेदन दिया जायेगा लेकिन पुलिस पर यह प्रमाण भार रहेगा की वह भौतिक गिरफ्तारी और हथकड़ी लगाना आवश्यक हो गया था यह प्रमाणित करे यदि भौतिक गिरफ्तारी और हथकड़ी लगाना न्याय संगत नहीं पाया जाता है तब संबंधित पुलिस अधिकारी दुराचार का दोषी हो सकेगा औरकानून द्वारा बांये गये  गिरफ्तारी के नियम व अधिकार के न पालन करने का भी दोषी होगा