मंगलवार, 10 जनवरी 2017

यौन अपराध / बलात्कार सम्बंधित कानून

समाज में चारों ओर गुंडा-गर्दी, दहशत का माहौल है। बलात्कार व हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं। विशेषकर महिलाएँ इन घटनाओं का अधिक शिकार होती हैं। गुंडे दफ्तर में, सड़क पर यहाँ तक की मंदिर में भी छिछोरी हरकत करने से बाज नहीं आते, आए दिन बलात्कार की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। गुंडातत्व से तो जैसे-तैसे निपटा जा सकता है लेकिन वासना के पुजारी पुरुष सगे संबंधियों से कैसे निपटे बेचारी नारी। घरेलू-यौन शौषण के अधिकांश मामले लज्जावश दबा दिए जाते हैं। नारी घर की चारदिवारी में भी सुरक्षित नहीं है।
नए कानून में महिलाओं को हिम्मत मिलने की उम्मीद जताई गई है, इस कानून के अनुसार महिलाओं के साथ बलात्कार के मुकद्दमों की सुनवाई सिर्फ महिला जजों से कराने का प्रावधान है। इससे एक अच्छी, असरदार और मानवीय न्याय प्रणाली चलाने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार के मामलों में चिकित्सा सबूत अपर्याप्त भी हैं, तो भी महिला का ब्यान ही काफी समझा जाना चाहिए। देश में बलात्कार के लगभग 80 प्रतिशत मामलों में सबूतों के अभाव, धीमी पुलिस जाँच में अभियुक्तों को सज़ा नहीं मिल पाती है। बहुत-सी महिलाएँ ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट भी कराने से कतराती हैं। भारतीय महिलाओं में इस तरह की घटनाओं को छुपाने की प्रवृति होती है क्योंकि इससे उनका और उनके परिवार का सम्मान जुड़ा होता है।
अभी तक ऐसा होता था कि पुरुष वकील बलात्कार की शिकार किसी महिला को डराने और धमकाने में कामयाब हो जाते थे, अब महिला जज सहानुभूति वाला माहौल बनाने में मदद करेंगी।
बलात्कार की शिकार कोई महिला अदालत में जिरह के दौरान अपने वकील को अपने साथ रख सकेगी। अभी तक ऐसा कैमरे के सामने होता था जिसमें असहजता होती थी।
बलात्कार की शिकार महिला को महिला वकील देने का प्रावधान किया जा रहा है क्योंकि सिर्फ महिला ही एक महिला को सही तरह से समझ सकती है।
अगर कोई महिला चाहे तो अपनी पसंद का वकील चुन सकती है। अभी तक सिर्फ सरकारी वकील ही ऐसे मामलों में जिरह करते थे।
साथ ही ऐसे मामलों में गवाहों के ब्य़ान पुलिस के सामने देने की प्रथा भी बंद करने का प्रस्ताव किया गया है।
बलात्कार पर कानून धारा
धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ भारतीय दंड संहिता

धारा 375 भारतीय दंड संहिता

जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं। सम्भोग का अर्थ – पुरुष के लिंग का स्त्री की योनि में प्रवेश होना ही सम्भोग है। किसी भी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा। बलात्कार तब माना जाता है यदि कोई पुरुष किसी स्त्री साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में से किसी भी परिस्थिति में मैथुन करता है वह पुरुष बलात्कार करता है, यह कहा जाता है-
-उसकी इच्छा के विरुद्ध
-उसकी सहमति के बिना
-उसकी सहमति डरा धमकाकर ली गई हो
-उसकी सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं हो
-यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के
-15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है

धारा 376 भारतीय दंड संहिता :

धारा 376 बलात्संग के लिए दण्ड का प्रावधान बताती है। इसके अन्तर्गत बताया गया है कि (1) द्वारा उपबन्धित मामलों के सिवाय बलात्संग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनकी अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन के लिए दस वर्ष के लिए हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, किंञ्तु यदि वह स्त्री जिससे बलात्संग किया गया है, उसकी पत्नी है और बारह वर्ष से कम आयु की नहीं है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी अथवा वह जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। परंतु न्यायालय ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से जो निर्णय में उल्लिखित किए जाएंगे, सात वर्ष से कम की अवधि के कारावास का दण्ड दे सकेगा।
बलात्कार केस जिनमें अपराध साबित करने की जिम्मेदारी दोषी पर हो न कि पीडि़त स्त्री पर। यानि वे केस जिनमें दोषी व्यक्ति होने को अपने निर्दोष होने का सबूत देना हो।
उपधारा (2) के अन्तर्गत बताया गया है कि जो कोई
-पुलिस अधिकारी होते हुए- उस पुलिस थाने की सीमाओं के भीतर जिसमें वह नियक्त है, बलात्संग करेगा, या किसी थाने के परिसर में चाहे वह ऐसे पुलिस थाने में, जिसमें वह नियुक्त है, स्थित है या नहीं, बलात्संग करेगा या अपनी अभिरक्षा में या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा, या
– लोक सेवक होते हुए, अपनी शासकीय स्थिति का फायदा उठाकर किसी ऐसी स्त्री से, जो ऐसे लोक सेवक के रूप में उसकी अभिरक्षा में या उसकी अधीनस्थ किसी लोक सेवक की अभिरक्षा में है, बलात्संग करेगा, या
– तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा यह उसके अधी स्थापित किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान के या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था के प्रबंध या कर्मचारीवृंद में होते हुए अपनी शासकीय स्थिति का फायदा उठाकर ऐसी जेल, प्रतिपे्रषण गृह स्थान या संस्था के किसी निवासी से बलात्संग करेगा, या
– किसी अस्पताल के प्रबंध या कर्मचारीवृंद में होते हुए अपनी शासकीय स्थिति का लाभ उठाकर उस अस्पताल में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा,या(ड.)किसी स्त्री से, यह जानते हुए कि वह गर्भवती है, बलात्संग करेगा या
– किसी स्त्री से, जो बारह वर्ष से कम आयु की है, बलात्संग करेगा या
– सामूहिक बलात्संग करेगा।
– जब गर्भवती महिला के साथ बलात्संग किया गया हो
वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। परंतु न्यायालय ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से, जो निर्णय में उल्लिखित किये जाऐंगे, दोनों में से किसी भांति के कारावास को, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की हो सकेञ्गी दण्ड दे सकेगा।
इस धारा में तीन स्पष्टीकरण दिये गए है, प्रथम स्पष्टीकरण के अंतर्गत बताया गया है कि जिन व्यक्तियों के समूह में से एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा सबके सामान्य आशय को अग्रसर करने में किसी स्त्री से बलात्संग किया जाता है, वहां ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने उस उपधारा के अर्थ में सामूहिक बलात्संग किया है।
द्वितीय स्पष्टीकरण के अंतर्गत बताया गया है कि स्त्रियों या बालकों को किसी संस्था से स्त्रियों और बालकों को ग्रहण करने और उनकी देखभाल करने के लिए स्थापित या अनुरक्षित कोई संस्था अभिप्रेत है, चाहे वह उसका नाम अनाथालय हो या उपेक्षित स्त्रियों या बालकों के लिए गृह हो या विधवाओं के लिए गृह या कोई भी अन्य नाम हों।
तृतीय स्पष्टीकरण के अन्तर्गत बताया गया है कि अस्पताल से अस्पताल का अहाता अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत ऐसी किसी संस्था का आहता है जो उल्लंघन(आरोग्य स्थापना) के दौरान व्यक्तियों को या चिकित्सीय ध्यान या पुर्नवास की अपेक्षा रखने वाले व्यक्तियों का ग्रहण करने और उनका आचार करने के लिए है।

धारा 376 (क) भारतीय दंड संहिता :

पृथक रहने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने की दशा में वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

धारा 376 (ख) भारतीय दंड संहिता :

लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में किसी स्त्री के साथ सम्भोग करने की दशा में जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की ही हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा 376 ग भारतीय दंड संहिता :

जेल, प्रतिप्रेषण गृह आदि के अधीक्षक द्वारा सम्भोग की स्थिति में वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा 376 घ भारतीय दंड संहिता :

अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारीवृन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ सम्भोग करेगा तो वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

धारा 377 भारतीय दंड संहिता :

प्रकृति विरुद्ध अपराध के बारे में है जो यह बताती है कि जो कोई किसी पुरुष, स्त्री या जीव वस्तु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रिय-भोग करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

छेड़खानी पर कानून :

(धारा 509,294, भारतीय दंड संहिता)
शब्द, इशारा या मुद्रा जिससे महिला की मर्यादा का अपमान हो
यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री की मर्यादा का अपमान करने की नीयत से किसी शब्द का उच्चारण करता है या कोई ध्वनि निकालता है या कोई इशारा करता है या किसी वस्तु का प्रदर्शन करता है, तो उसे एक साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
अश्लील मुद्रा, इशारे या गाने
यदि कोई व्यक्ति दूसरों को परेशान करते हुए सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास कोई अश्लील हरकत करता है या अश्लील गाने गाता, पढ़ता या बोलता है, तो उसे तीन महीने कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
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