शिशु द्वारा अपराध:
I.P.C. 1860 के अनुसार 7 वर्ष से कम उम्र का बच्चा कोई अपराध नहीं कर सकता. इसलिए वह कभी दण्डित नहीं होगा. 7 से अधिक लेकिन 12 वर्ष से कम के बच्चे के लिए समझ का अभाव साबित करने पर वह भी दण्ड से बच जायेगा. इससे अधिक उम्र वाले दण्डित होंगे.
हालांकि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट से यह व्यवस्था की गयी है कि अठारह वर्ष तक का व्यक्ति अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा पा सकता है और वो भी रिमांड होम में रहकर. उसे इससे अधिक सजा नहीं हो सकती है. उसकी सजा से संबंधित रिकार्ड भी सजा समाप्त होने पर नष्ट कर दिए जाने का प्रावधान है. इनमें परिवर्तन को लेकर विचार चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट मे भी यह विचाराधीन है.
I.P.C. 1860 के अनुसार 7 वर्ष से कम उम्र का बच्चा कोई अपराध नहीं कर सकता. इसलिए वह कभी दण्डित नहीं होगा. 7 से अधिक लेकिन 12 वर्ष से कम के बच्चे के लिए समझ का अभाव साबित करने पर वह भी दण्ड से बच जायेगा. इससे अधिक उम्र वाले दण्डित होंगे.
हालांकि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट से यह व्यवस्था की गयी है कि अठारह वर्ष तक का व्यक्ति अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा पा सकता है और वो भी रिमांड होम में रहकर. उसे इससे अधिक सजा नहीं हो सकती है. उसकी सजा से संबंधित रिकार्ड भी सजा समाप्त होने पर नष्ट कर दिए जाने का प्रावधान है. इनमें परिवर्तन को लेकर विचार चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट मे भी यह विचाराधीन है.