नई दिल्ली: व्यभिचार यानी शादी के बाहर के शारीरिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से व्यभिचार की धारा को खत्म कर दिया. बेंस की सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा, "मैं धारा 497 को खारिज करती हूं.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून 157 साल पुराना है, हम टाइम मशीन लगाकार पीछे नहीं जा सकते. हो सकता है जिस वक्त ये कानून बना हो इसकी अहमियत रही हो लेकिन अब वक्त बदल चुका है, किसी सिर्फ नया साथी चुनने के लिए जेल नहीं भेजा सकता.
फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''पति पत्नी का मालिक नहीं है, महिला की गरिमा सबसे ऊपर है. महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है. पत्नी 24 घंटे पति और बच्चों की ज़रूरत का ख्याल रखती है.'' कोर्ट ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमयन्ते तत्र देवता, यानी जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा, ''सेक्शन 497 पुरुष को मनमाना अधिकार देने वाला है. ये अनुच्छेद 21 (गरिमा से जीवन का अधिकार) के खिलाफ है. घरेलू हिंसा कानून से स्त्रियों को मदद मिली लेकिन धारा 497 भी क्रूरता है.'' कोर्ट ने कहा, ''व्यभिचार को अपराध बनाए रखने से उन पर भी असर जो वैवाहिक जीवन से नाखुश हैं, जिन का रिश्ता टूटी हुई सी स्थिति में है. हम टाइम मशीन में बैठकर पूराने दौर में नहीं जी सकते.''
पढ़ें पूरी खबर : एडॉल्ट्री कानून धारा 497
फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''पति पत्नी का मालिक नहीं है, महिला की गरिमा सबसे ऊपर है. महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है. पत्नी 24 घंटे पति और बच्चों की ज़रूरत का ख्याल रखती है.'' कोर्ट ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमयन्ते तत्र देवता, यानी जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा, ''सेक्शन 497 पुरुष को मनमाना अधिकार देने वाला है. ये अनुच्छेद 21 (गरिमा से जीवन का अधिकार) के खिलाफ है. घरेलू हिंसा कानून से स्त्रियों को मदद मिली लेकिन धारा 497 भी क्रूरता है.'' कोर्ट ने कहा, ''व्यभिचार को अपराध बनाए रखने से उन पर भी असर जो वैवाहिक जीवन से नाखुश हैं, जिन का रिश्ता टूटी हुई सी स्थिति में है. हम टाइम मशीन में बैठकर पूराने दौर में नहीं जी सकते.''
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