प्रश्न : चोरी करने पर कौन सी धारा लगती है ? और इसमें कितने साल तक की सजा हो सकती है ?
उत्तर : यदि कोई, चोरी करता है और उसे दोषी करार दे दिया जाता है तो उसे आईपीसी की धारा 379 के तहत कम से कम 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
सजा: क्योंकि चोरी एक संज्ञेय अपराध है इस कारण चोरी की शिकायत होने पर पुलिस इसपर तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
क्या चोरी करने वाले को तुरंत जमानत मिल सकती है ?
उत्तर : नहीं , क्योंकि आईपीसी की धारा 379 एक गैर-जमानती धारा है , इस कारण इस मामले में तुरंत जमानत नहीं मिलती है। यह धारा समझौतावादी है, अगर सम्पति या वस्तु का मालिक चाहे तो समझौता कर मामले को निपटाया जा सकता है।
आई.पी.सी. की धारा 379 का मामला जो सुर्खियों में रहा :
1. Oct 2015 हरियाणा पहला ऐसा भारतीय राज्य बन गया है जिसने आईपीसी 379 के दो धाराएं 379A और 379B को जोड़ कर चेन-स्नैचिंग करने वालों की सजा को और कठोर कर दिया है। असल में, जून 2014 में तत्कालीन सरकार ने चेन स्नेचिंग के मामले में विधानसभा में भारतीय दंड संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक-2014 पारित किया था। सरकार ने नोटिफिकेशन नंबर सीएचडी/0093/2012-2014 के तहत इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था। राष्ट्रपति ने 3 सितंबर 2015 को इसे मंजूरी दे दी और अब यह आधिकारिक रूप से लागु हो गया है।
उत्तर : यदि कोई, चोरी करता है और उसे दोषी करार दे दिया जाता है तो उसे आईपीसी की धारा 379 के तहत कम से कम 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
सजा: क्योंकि चोरी एक संज्ञेय अपराध है इस कारण चोरी की शिकायत होने पर पुलिस इसपर तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
क्या चोरी करने वाले को तुरंत जमानत मिल सकती है ?
उत्तर : नहीं , क्योंकि आईपीसी की धारा 379 एक गैर-जमानती धारा है , इस कारण इस मामले में तुरंत जमानत नहीं मिलती है। यह धारा समझौतावादी है, अगर सम्पति या वस्तु का मालिक चाहे तो समझौता कर मामले को निपटाया जा सकता है।
आई.पी.सी. की धारा 379 का मामला जो सुर्खियों में रहा :
1. Oct 2015 हरियाणा पहला ऐसा भारतीय राज्य बन गया है जिसने आईपीसी 379 के दो धाराएं 379A और 379B को जोड़ कर चेन-स्नैचिंग करने वालों की सजा को और कठोर कर दिया है। असल में, जून 2014 में तत्कालीन सरकार ने चेन स्नेचिंग के मामले में विधानसभा में भारतीय दंड संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक-2014 पारित किया था। सरकार ने नोटिफिकेशन नंबर सीएचडी/0093/2012-2014 के तहत इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था। राष्ट्रपति ने 3 सितंबर 2015 को इसे मंजूरी दे दी और अब यह आधिकारिक रूप से लागु हो गया है।