शुक्रवार, 5 जून 2020

u.p ration card list 2020 updated June 2020
दोस्तों इस lockdown में सरकार ने सभी प्रवासी मजदूरों को राशन मुफ्त देने का आदेश दिया है चाहे किसी का राशनकार्ड बना हो या फिर नहीं बना हो ,मगर कुछ कोटेदार बिना राशनकार्ड वाले मजदूरों को अनाज नहीं दे रहे हैं। 


ऐसे मे आप अपना नाम राशनकार्ड की नई सूची में देख सकते हैं।
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मंगलवार, 24 मार्च 2020

Pm awas yojana list 2020 new
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गुरुवार, 27 सितंबर 2018

एडल्ट्री कानून : धारा 497 हुई खत्म , अब शादी से बाहर सम्बन्ध बनाने पर नहीं होगी जेल
नई दिल्ली: व्यभिचार यानी शादी के बाहर के शारीरिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से व्यभिचार की धारा को खत्म कर दिया. बेंस की सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा, "मैं धारा 497 को खारिज करती हूं.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून 157 साल पुराना है, हम टाइम मशीन लगाकार पीछे नहीं जा सकते. हो सकता है जिस वक्त ये कानून बना हो इसकी अहमियत रही हो लेकिन अब वक्त बदल चुका है, किसी सिर्फ नया साथी चुनने के लिए जेल नहीं भेजा सकता.

फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''पति पत्नी का मालिक नहीं है, महिला की गरिमा सबसे ऊपर है. महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है. पत्नी 24 घंटे पति और बच्चों की ज़रूरत का ख्याल रखती है.'' कोर्ट ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमयन्ते तत्र देवता, यानी जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं.


कोर्ट ने यह भी कहा, ''सेक्शन 497 पुरुष को मनमाना अधिकार देने वाला है. ये अनुच्छेद 21 (गरिमा से जीवन का अधिकार) के खिलाफ है. घरेलू हिंसा कानून से स्त्रियों को मदद मिली लेकिन धारा 497 भी क्रूरता है.'' कोर्ट ने कहा, ''व्यभिचार को अपराध बनाए रखने से उन पर भी असर जो वैवाहिक जीवन से नाखुश हैं, जिन का रिश्ता टूटी हुई सी स्थिति में है. हम टाइम मशीन में बैठकर पूराने दौर में नहीं जी सकते.''
पढ़ें पूरी खबर : एडॉल्ट्री कानून धारा 497

शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

धारा 354B क्या है ?
आईपीसी की धारा 354B क्या है :- कुछ भी जानने से पहले यह जान ले कि यह धारा गैर-जमानती है अर्थात इस अपराध का मामला दर्ज होने पर जमानत अदालत ले लेनी होगी दूसरा, अगर आरोप सिद्ध हो गया तो कम से कम तीन वर्ष का कारावास है जो सात वर्ष तक हो सकता है।
जिस अपराध को यह धारा दंडित करती है वह एक सभ्य समाज में कुकर्म या बुरा कार्य कहलाता है। किसी पुरुष द्वारा अपराध-बोध रखते हुए बल पूर्वक या हमले द्वारा किसी स्त्री को नग्न करना या नग्न होने के लिए विवश करना उस पुरुष की दूषित मानसिकता को दर्शाता है और इस कुकर्म के लिए उसको सजा मिलनी ही चाहिए। भारत जहां नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है वहां कोई भी पुरुष जो सभ्य है वो स्त्री का सम्मान करेगा अगर कोई द्धवेष भी है तो बातचीत द्वारा उसका हल निकलना चाहेगा वह कभी भी इस तरह का वहशी और कायरता पूर्ण कार्य अपनी वासना या किसी आपराधिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नहीं करेगा।
कई बार प्रश्न उठता है कि
- क्या आईपीसी की धारा 354B का गलत प्रयोग हो रहा है ?
सम्भव है, सामाज में अच्छी और बुरी प्रवृति के लोग होते है और उन लोगों में बुरे पुरुष भी हो सकते है और महिलाएं भी और सम्भव है कि कोई भी महिला अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी पुरुष पर यह आरोप लगा सकती है पर यहाँ समझने वाली बात यह है कि इस अपराध को घटने के लिए पुरुष का महिला के पास होना जरुरी है। अगर पुरुष महिला के पास नहीं था तो यह बात तहकीकात में सामने आ ही जाएगी।
इसलिए अगर किसी पुरुष का किसी महिला से विवाद है तो वह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए निर्णेय ले कि उसे उस महिला के साथ जब भी मिलना हैं तो सार्वजनिक स्थान में भीड़ भाड़ वाली जगह में मिले और निश्चित दुरी बनाएं रखे।
- क्या इस धारा का प्रयोग सिर्फ महिलाएं ही कर सकती है ?
जी हाँ, इस धारा में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि "कोई पुरुष, जो किसी स्त्री को विवस्त्र करने या निर्वस्त्र होने के लिए विवश करता है" हाँ, अगर इस अपराध को कराने में किसी महिला ने किसी पुरुष को उकसाया है तो इस अपराध में उस महिला पर धारा सुनिश्चित करके मामला दर्ज किया जा सकता है यह उस समय की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

Indian Penal Code Section 354B
Assault or use of criminal force to woman with intent to disrobe [1]--
Any man who assaults or uses criminal force to any woman or abets such act with the intention of disrobing or compelling her to be naked, shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than three years but which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
धारा 354c क्या है ?
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354c
दृश्यरतिकता [1]-- कोई पुरुष, जो प्राइवेट कार्य में संलग्न स्त्री को उन परिस्थितियों में देखेगा या का चित्र खींचेगा, जहां उसे सामान्यता या तो अपराधी द्वारा या अपराधी की पहल पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखे न जाने की प्रत्याशा होगी, या ऐसे चित्र को प्रसारित, प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से न्यून न होगी, किन्तु जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा एवं जुर्माने से भी दंडनीय होगा और द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से न्यून नहीं होगी, किन्तु जो सात वर्ष तक को हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

स्पष्टीकरण 1 : इस धारा के प्रयोजनों के लिए, "प्राइवेट कार्य" के अंतगर्त उस स्थान में किया गया देखने का कार्य भी शामिल है, जो परिस्थियों में युक्तियुक्त रूप से एकांतता उपलब्ध कराने के लिए प्रत्याशित होगा और जहां पीड़िता की जननेंद्रिय, नितम्ब या वक्ष स्थल प्रकट होते है या केवल अधोवस्त्र में ही ढंके होते है या पीड़िता शौचालय का प्रयोग कर रही है या पीड़िता मैथुन कार्य कर रही है, जो इस प्रकार का कार्य नहीं है, जिसे साधारणतया सार्वजनिक रूप से किया जाता है।

स्पष्टीकरण 2 : जहां पीड़िता चित्रों या किसी अभिनय का चित्र को खींचने की, किन्तु पर-व्यक्ति के समक्ष उन्हें प्रसारित न करने की सम्मति देती है और जहां ऐसे चित्र या अभिनय का प्रसारण किया जाता है, वहां ऐसा प्रसारण इस धारा के अधीन अपराध माना जाएगा।

दृश्यरतिकता
1. प्रथम दोषसिद्धि पर एक से तीन वर्ष तक का कारावास और जुर्माना
संज्ञेय या काग्निज़बल
 जमानती

2. द्धितीय या पश्चातवर्ती दोषसिद्धि पर तीन से सात वर्ष तक का कारावास और जुर्माना
   गैर-जमानती

विचारणीय : किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा
यह अपराध कंपाउंडबल अपराधों की सूचि में सूचीबद्ध नहीं है।

Any man who watches, or captures the image of a woman engaging in a private act in circumstances where she would usually have the expectation of not being observed either by the perpetrator or by any other person at the behest of the perpetrator or disseminates such image shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year, but which may extend to three years, and shall also be liable to fine, and be punished on a second or subsequent conviction, with imprisonment of either description for a term which shall not be less than three years, but which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.Explanations
 

  • For the purpose of this section, “private act” includes an act of watching carried out in a place which, in the circumstances, would reasonably be expected to provide privacy and where the victim’s genitals, posterior or breasts are exposed or covered only in underwear; or the victim is using a lavatory; or the victim is doing a sexual act that is not of a kind ordinarily done in public.
  • Where the victim consents to the capture of the images or any act, but not to their dissemination to third persons and where such image or act is disseminated, such dissemination shall be considered an offence under this section.
धारा 324 क्या है ? इसमें सजा और जुर्माना का क्या प्रावधान है ?
धारा 334 द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर जो कोई भी, घोपने, गोली चलाने या काटने के किसी भी साधन के माध्यम से या किसी अपराध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण से स्वेच्छापूर्वक ऐसी चोट पहुंचाए, जिससे मॄत्यु कारित होना सम्भाव्य है, या फिर आग के माध्यम से या किसी भी गरम पदार्थ या विष या संक्षारक पदार्थ या विस्फोटक पदार्थ या किसी भी पदार्थ के माध्यम से जिसका श्वास में जाना, या निगलना, या रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए घातक है या किसी जानवर के माध्यम से चोट पहुंचाता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
खतरनाक शस्त्रों आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छा से आघात पहुंचाना
सजा - 3 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Indian Penal Code Section 324
Voluntarily causing hurt by dangerous weapons or means.-- Whoever, except in the case provided for by IPC Section 334, voluntarily causes hurt by means of any instrument for shooting, stabbing or cutting, or any instrument which, used as a weapon of offence, is likely to cause death, or by means of fire or any heated substance, or by means of any poison or any corrosive substance, or by means of any explosive substance or by means of any substance which it is deleterious to the human body to inhale, to swallow, or to receive into the blood, or by means of any animal, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both. 
भारत में दण्ड विधि और दण्ड के प्रकार
भारत में दण्ड विधि और दण्ड के प्रकार :-
दण्ड विधि के रूप में भारत में कई विधियाँ हैं लेकिन सामान्य रूप में I.P.C.,1860 लागू है . कहने को तो यह 150 साल से भी अधिक पुरानी है लेकिन समय समय पर संशोधन कर इसे अनुकूल बनाया जाता रहा है .
अपराधी को भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत 6 प्रकार का दंड का प्रावधान किया गया हैं ,इसके अंतर्गत दण्ड के निम्न प्रकार हैं :-

  1. मृत्युदण्ड
  2. आजीवन कारावास 
  3. कारावास, जो सादा या कठोर हो 
  4. संपत्ति की जब्ती 
  5. जुर्माना
कालेपानी की सजा अब समाप्त कर दी गयी है. मृत्युदण्ड भी कुछ विशेष अपराध में ही है, जैसे-हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, बलात्संग के कुछ विशिष्ट मामले आदि. आजीवन कारावास का मतलब जीवन भर का कारावास है. हालांकि केंद्र या राज्य सरकार इसे घटाकर 14 वर्ष का कर सकती है. कारावास में पूरे 24 घंटे का हीं एक दिन होता है. कुछ लोगों का भ्रम कि दिन और रात अलग अलग गिने जाते हैं, सही नहीं है. जुर्माना न्यायालय को प्रदत्त शक्ति के अधीन होता है.
शिशु द्वारा अपराध क्या है ? इसमें सजा और जुर्माना क्या है ?
शिशु द्वारा अपराध:

I.P.C. 1860 के अनुसार 7 वर्ष से कम उम्र का बच्चा कोई अपराध नहीं कर सकता. इसलिए वह कभी दण्डित नहीं होगा. 7 से अधिक लेकिन 12 वर्ष से कम के बच्चे के लिए समझ का अभाव साबित करने पर वह भी दण्ड से बच जायेगा. इससे अधिक उम्र वाले दण्डित होंगे.
हालांकि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट से यह व्यवस्था की गयी है कि अठारह वर्ष तक का व्यक्ति अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा पा सकता है और वो भी रिमांड होम में रहकर. उसे इससे अधिक सजा नहीं हो सकती है. उसकी सजा से संबंधित रिकार्ड भी सजा समाप्त होने पर नष्ट कर दिए जाने का प्रावधान है. इनमें परिवर्तन को लेकर विचार चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट मे भी यह विचाराधीन है.