शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 क्या है ?

भारत गॉँवों का देश है। देश की अधिकांश जनता गॉँवों में बसती है। ग्रामवासी अशिक्षा एवं गरीबी के शिकार हैं। ग्रामीण विकास हेतु सरकार कटिबध्द है। ग्राम वासियों का सुलभ एवं सस्ता न्याय प्रदान करने हेतु बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के तहत ग्राम कचहरी की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

इसके तहत मुख्य उद्देश्य यह है कि ग्राम वासियों को अपने विश्वास एवं वौट से चुने गये जन प्रतिनिधियों के द्वारा उनके दरवाजे पर ही अगर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो बिना किसी उलझन एवं परेशानी के, बिना किसी अनावश्यक खर्च के न्याय प्राप्त हो सके। राष्ट्रपिता महात्मा गॉँघी ने यह सपना संजोया था।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-40 में यह वर्णित है कि राज्य सरकार पंचायत का गठन करेगी एवं पंचायत को स्वायत्ता इकाई के रूप में कार्य करने हेतु शक्ति एवं अधिकार प्रदान करेगी। संविधान निर्माताओं के इस अभिलाषा को साकार करने हेतु वर्ष 2006 में बिहार पंचायत राज अधिनियम में विशेष व्यवस्था की गई।

बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-90 के तहत ग्राम कचहरी की स्थापना का प्रावधान है। ग्राम कचहरी के कुल पंचों के कुल स्थानों का 510 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए धारा-91 के तहत आरक्षित किए गए हैं, इसका मुख्य उद्देश्य समाज के दबे, कुचले, उपेक्षित एवे अवसरहीनता के शिकार लोगों को मुख्य धारा में लाना है एवं समाज के अन्तिम पायदान पर बैठे लोगों को यह एहसास दिलाना है कि सरकार में उनकी भागीदारी की अहम भूमिका है। महिलाओं को भी मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

ग्राम कचहरी की अवधि पांच वषें तक की होगी । ग्राम कचहरी का सरपंच ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में नामांकित मतदाताओं के बहुमत द्वारा चुना जाएगा। सरपंच के साथ-साथ उप सरपंच का भी निर्वाचन होगा, ऐसी व्यवस्था की गई है। सरपंच के पद के लिए कुल पदों के 50 प्रतिशत के निकटतम स्थान आरक्षित किए गए हैं ताकि समाज के उपेक्षित लोगों की भागीदारी मुख्य रूप से हो सके।

ग्राम कचहरी में एक सचिव की नियुक्ति की जाएगी एवं ग्राम कचहरी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता के लिए न्याय मित्र की नियुक्ति करेगा, जो विधि स्नातक होंगे। सरपंच, उप-सरपंच एवं पंचों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण की व्यवस्था धारा-94 के तहत की जाएगी।

सरपंच ग्राम कचहरी का उध्यक्ष होगा। किसी भी व्यक्ति के आवेदन एवं पुलिस रिपोर्ट पर केस एवं मामला दर्ज होगा। ग्राम कचहरी पक्षकार एवं गवाह की उपस्थिति उसी तरीके से करायेगा, जिस तरीके से न्यायालय करती है।

सरपंच तथा उप-सरपंच को तथाकथित अनियमितता बरतने पर हटाये जाने का भी प्रावधान है ताकि परिस्थिति विशेष में वे निरंकुश न हो जायें एवं कानून की मान्यताओं के खिलाफ कार्य करना शुरू न कर दें। अविश्वास प्रस्ताव द्वारा भी सरपंच को हटाने का प्रावधान धारा-96 में किया गया है। ग्राम कचहरी का कोई भी पंच अपने पद का त्याग कर सकता है। आकस्मिक रिक्ति को भी पूरा किए जाने को प्रावधान है।

कोई भी केस या मामला सरपंच के समक्ष दायर किया जाएगा एवं संबंधित पक्षकार को भी ग्राम कचहरी के पंचों में से दो पंच चुनने का अधिकार है ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई है कि अपने चुने गये पंच के माध्यम से न्याय की प्राप्ति हो सकें एवं न्यायिक प्रक्रिया में ग्राम वासियों की आस्था बनी रहें।

ग्राम कचहरी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्राम वासियों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखना है। यह अनिवार्य रूप से स्थापित किया गया है कि गा्रम कचहरी की न्यायपीठ किसी भी मामले की सुनवाई करते समय पक्षकारो के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता कराने का प्रयास करेगी। गॉँवों में शिक्षा की कमी एवं गरीबी के कारण आये दिन कोई-न-कोई विवाद हुआ करते हैं एवं ग्राम वासी जटिल कानूनी प्रक्रिया के चक्कर मं फॅँस जाते हैं एवं बाद में चाहते हुए भी आपस में समझौता न कर पाते है। इसलिए इन मुद्दों को ध्यान में रखकर सर्वप्रथम यह प्रावधान किया गया कि किसी भी मुद्दे या विवाद को सामने आने पर ग्राम कचहरी का दायित्व होगा कि पक्षकारें के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार कर समझौता कराए ताकि ग्राम वासियों की मेहनत की कमाई का पैसा उनके विकास पर खर्च हो न कि कानून की जटिल प्रक्रियाओं पर।

यदि ग्राम कचहरी समझौता कराने में पूर्णत: विफल रहती है, तो वैसी स्थिति में ग्राम कचहरी में ही, जो ग्राम वासियों के समीप में ही होता है, कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए पूरे मामले की जाँच कर अपना निर्णय देगा। निर्णय लिखित रूप में होगा एवं इस पर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होगा।

ग्राम कचहरी को दो तरह की अधिकारिता दी गई है। धारा-106 एवं 107 के तहत दाण्डिक अधिकारिता दी गई है एवं इस बात को मद्देनजर रखते हुए किर् वर्त्‍तमान न्यायिक व्यवस्था में न्यायालय वादों के निष्पादन में वर्षे बरस लगा रहा है, ग्राम कचहरी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा-140, 142, 143, 144, 145, 147, 151, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294, 294(ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506, एवं 510 के तहत किए गए अपराधों के लिए केस को सुनने एवं निर्णय देने के अधिकारिता होगी। ये धराएं मुख्यत: विधि के विरूध्द जमाव से विखर जाने के आदेश दिए जाने के बाद भी उसमें बंधे रहने, बलवा करने के लिए उकसाना, दंगा करने के लिए उकसाना एवं दंगा करना, सम्मन की तामिल से फरार हो जाना, लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर हाजिर रहना, शपथ से इनकार करना, लोक सेवक को उत्तर देने से इनकार करना, उपेक्षपूर्ण कार्य करना, जिससे संकट पूर्ण रोग का संक्रमण संभव हो, जलाशय को कलुषित करना, लोगो मार्गमें बाधा पहुँचाना, अग्नि के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, आचरण, विस्फोटक पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, जीव-जन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण, लोक न्यूसेन्स करना, अश्लील कार्य एवं गाने गाना एवं लौटरी कार्यालय रखना, किसी को चोट पहुँचाना, स्वेच्छापूर्वक किसी को किसी के प्रकोप पर चोट पहुँचाना, वैसा कार्य करना जिससे दूसरे को संकट हो, किसी को अवरोधित करना, अपराधिक बल काप्रयोग करना, किसी व्यक्ति का गलत ढंग़ से रोक रखने में आपराधिक बल का प्रयोग करना, मिसचिफ कराना, सम्पत्तिा करना (रिष्टि), जीव-जन्तु का वध करना, जल को क्षति करना, आपराधिक अतिचार कना, गृह अतिचार करना, मानहानि कारक समान रखना या बेचना, लोक शान्ति भंग करना, आपराधिक अभित्रास करना, लोक स्थान में शराब पीना से संबंधित है। इसके अलावे पशु अतिचार अधिनियम एवं लोक धूत अधिनियम से संबंधित मामले को भी सुनने का अधिकार ग्राम कचहरी को दिया गया है।
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