सवाल : गारंटी और वारंटी क्या होती है ? What is guarantee and warranty ? दुकानदार या कम्पनी का गारंटी और वारंटी देने से मना कर देने पर क्या किया जाये ?
जबाव : विक्रेता की ओर से किसी ग्राहक को दी जाने वाली एक विशेष छूट जिसमें किसी प्रॉडेक्ट यानि उत्पाद के खराब होने की दशा में कम्पनी द्वारा उसी प्रॉडेक्ट को बदलवा कर या ठीक करवाकर ग्राहक को वापस दिया जाता है इसको गारंटी या वारंटी कहते हैं ये छुट या सुविधा ग्राहक को कम्पनी द्वारा एक निश्चित समय के लिए ही दी जाती है
गारंटी क्या होती है ?What is guarantee ? : गारंटी के तहत आप खराब प्रॉडेक्ट को बदल कर उसकी जगह नया प्रॉडेक्ट ले सकते है हैं। अगर विक्रेता यह पाता है कि प्रॉडेक्ट में किसी तरह की खराबी है तो वह उस प्रॉडेक्ट को बदलकर आप को एक नया प्रॉडेक्ट देता है। यही वजह है कि अधिकांश कंपनियां गारंटी की अवधि अपेक्षाकृत कम रखती हैं ।
वारंटी क्या होती है ? ,What is warranty ?: यदि किसी सामान पर वारंटी दी गई है तो आप खराबी की स्थिति में उस प्रॉडेक्ट को एक निश्चित अवधि तक रिपेयर यानि ठीक करवा सकते है | महत्वपूर्ण बात यह है कि वारंटी में सामान बदलने का विकल्प नहीं होता। यानी अगर आपका प्रॉडेक्ट खराब हो गया तो विक्रेता बिना किसी शुल्क के उसकी मरम्मत करेगा या आप इसे कम्पनी से सीधे इसे ठीक करवाएंगे, लेकिन आपका प्रॉडेक्ट रिप्लेस नहीं किया जाएगा। वारंटी को आप अतिरिक्त पैसा देकर बढ़वा भी सकते हैं।
आइये अब गारंटी और वारंटी के बीच के अंतर को विस्तार से जानते हैं : गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर बहुत से लोगों को पता नही होता है. कुछ लोग तो इन्हें पर्यायवाची के रूप में जानते हैं | लेकिन ऐसा सच नही है और ये दोनों शब्द एक दूसरे से बहुत अलग हैं तथा इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है
- वारंटी में ख़राब प्रॉडेक्ट को दुकानदार या कम्पनी द्वारा ठीक किया जाता है जबकि गारंटी वाले प्रॉडेक्ट को खराब होने की स्थिति या ठीक से काम ना करने की स्थिति में दुकानदार के पास ले जाने पर नया प्रॉडेक्ट मिलता है
- वारंटी एक तय समय सीमा के लिए होती है लेकिन इसको कुछ अधिक भुगतान करके आगे बढाया जा सकता है, लेकिन गारंटी को आगे नही बढाया जा सकता है |
- वारंटी लगभग हर प्रॉडेक्ट पर मिलती है जबकि गारंटी कुछ चुनिन्दा प्रॉडेक्टो पर ही मिलती है इस प्रकार वारंटी का दायरा बड़ा होता है जबकि गारंटी का छोटा |
- वारंटी में दिया जाने वाला समय अधिक होता है जबकि गारंटी कम समय के लिए दी जाती है
- जिस उत्पाद में गारंटी दी जाती है उसको खरीदने में लोग ज्यादा उत्सुक होते हैं जबकि वारंटी वाले उत्पाद के लिए लोग कम उत्सुक होते हैं | ग्राहक को दी जाने वाली गारंटी कंपनी की अपने प्रोडक्ट के प्रति जवाबदेही होती है. यदि कोई उत्पाद लोगों की उम्मीदों पर खरा नही उतरता है और उसके साथ गारंटी और वारंटी जैसी कोई सुविधा नही होती है तो इस प्रकार के उत्पाद को खरीदने से लोग बचना पसंद करते हैं
गारंटी और वारंटी हासिल करने की शर्तें व सावधानियाँ निम्नलिखित हैं:
- पहली शर्त यह है कि ग्राहक के पास खरीदी गयी वस्तु का पक्का बिल ( टैक्स पे के साथ ) और गारंटी / वारंटी कार्ड साथ हो जो भी उसे प्रोडक्ट के साथ मिला हो
- तथा उस पक्का बिल और गारंटी / वारंटी कार्ड पर विक्रेता के स्टाम्प, हस्ताक्षर व तारीख लिखी हुई हो
- उत्पाद की गारंटी और वारंटी एक निश्चित समय के लिए ही होती है. ज्यादातर उत्पादों के केस में यह अवधि 1 या 2 साल होती है. यदि ग्राहक इस समय अवधि के बीत जाने के बाद उत्पाद को बदलवाने या मरमम्त के लिये दुकानदार या कम्पनी के पास ले जाता है तो उसे बदलने व सुधारना/ठीक करवाने का उनका दायित्व नही होता है
- किसी भी प्रकार की गारंटी और वारंटी लाइन के लिए ये जरूरी है की वो प्रोडक्ट किसी भी प्रकार से झतिग्रस्त नही हुआ हो यानी की अगर आपका प्रोडक्ट टूट गया है या फिर कहि से मुड गया है तो कम्पनी उस प्रोडक्ट पर गारंटी और वारंटी देने से मना कर सकती है
- अगर कोई प्रोडक्ट वारंटी में ठीक होता है तो उस प्रोडक्ट को ठीक होने के समय को वारंटी में दिए गये समय के साथ नही जोड़ा जाता है ऐसा ही गारंटी के साथ भी है अगर कोई दुकानदार या कम्पनी किसी प्रोडक्ट को बदलने और उसकी जगह नया प्रोडक्ट देने के लिए समय लेती है तो वो समय भी उस प्रोडक्ट की गारंटी के समय में काउंट नही होगा इसके लिए जरूरी है की आप या तो अपने दुकानदार और कम्पनी से गारंटी और वारंटी का अलग से एक्सटेंट डे सर्टिफिकेट ले या फिर अपने बिल पर ये सब लिखवा ले
- गारंटी और वारंटी सिर्फ प्रोडक्ट को खरीदने वाले व्यक्ति अर्थार्त उस प्रोडक्ट के मालिक को ही मिलती है किसी दुसरे को नही
- अगर कार रीसेल को छोड़ दे तो गारंटी और वारंटी किसी भी प्रोडक्ट को रीसेल करने पर उसके नये मालिक या ओनर को नही मिलती है वह सिर्फ पहले ओनर को ही मिलती है ( कार की रीसेल में आपको इन्सोरंस व कम्पनी की वारंटी को ट्रान्सफर करवाना होता है ऐसा प्रावधान सिर्फ कार की रीसेल के लिए ही किया गया है | वैसे इस तरह के कोई भी नये क्लाज कोई भी कम्पनी अपने प्रोडक्ट में कर सकती है वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है )
अन्य विशेष जानकारिया :-
- इन दोनों के बारे में एक बात कॉमन यह है कि ग्राहक को गारंटी और वारंटी का लाभ लेने के लिए पक्के बिल या गारंटी/वारंटी कार्ड रखना जरूरी होता है. ये जरूरी कागज होने के बाद भी यदि कोई दुकानदार या कंपनी सामान को बदलने या रिपयेर करवाने से मना करती है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और वारंटी के केस में भी कोर्ट के द्वारा बदले में नया प्रोडक्ट ले सकता है
- जब भी अपना प्रोडक्ट कम्पनी या दुकानदार को दे और वो कुछ दिन बाद आपको मिलना होतो ऐसे समय में आप उस प्रोडक्ट को सोपने की रिसीविंग जरुर ले |
- अगर आपका प्रोडक्ट वारंटी में है और वो दुकानदार या कंपनी के पास ठीक होने के लिए गया है अगर वो प्रोडक्ट चोरी हो जाता है या फिर टूट जाता है तो आप उस दुकानदार या कम्पनी से नया प्रोडक्ट लेने के हकदार होंगे |