शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

हिन्दू पति या पत्नी तलाक कैसे लें ? तलाक लेने के आधार
कोई भी हिन्दू पति या पत्नी निम्न आधारो में से किसी पर तलाक ले सकते है-

  • जारता अर्थात पति या पत्नी से भिन्न किसी अन्य के साथ अनैतिक सम्बन्ध बनाना 
  • क्रूरता का व्यवहार करना
  • एक दूसरे की अनदेखी करना अर्थात अभित्याग 
  • किसी अन्य धर्म का अपना लेना अर्थात धर्म परिवर्तन कर लेना
  • पागल होना
  • कोढ़ रोग से पीड़ित होना
  • यौन रोग से पीड़ित होना
  • सन्यासी बन जाना 
  • सात वर्षो से लापता होना
  • न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित होने के एक साल बीत जाने पर भी एक दूसरे के साथ न रह पाना
  • दांपत्य अधिकार के पुनर्स्थापन की डिक्री पारित होने के बाद भी दोनों में मेल मिलाप न हो पाना


केवल पत्नी को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जिन पर वह तलाक ले सकती है---

  • पति द्वारा किसी अन्य स्त्री से विवाह करना
  • पति द्वारा पत्नी के साथ अप्राकृतिक मैथुन करना
  • पत्नी के पक्ष में भरण पोषण की डिक्री पारित होने के एक वर्ष के बाद भी पति पत्नी के बीच कोई शारीरिक सम्बन्ध न बने हो
  • जबकि किसी स्त्री का विवाह 15 वर्ष की आयु में हुआ हो और उसने 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने से पहले ही अपने विवाह को खंडित कर दिया हो अर्थात वह अपने विवाह से संतुष्ट न हो चाहे पति पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध बने हो या न बने हो....... इसे यौवनवस्था का विकल्प कहते है...

तलाक के उपरोक्त आधार हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 में दिए हुए है