मुस्लिम सम्प्रदाय में पति द्वारा पत्नी को तलाक़ दिए जाने के तरीके पर बहस छिड़ी हुई है। आइये जानते है कि मुस्लिम विधि में तीन बार तलाक़ शब्द बोल दिए जाने पर किस प्रकार विवाह विच्छेद हो जाता है।
इस प्रकार के तलाक़ को "तलाक़-उल-बिद्दत" या "तलाक़-उल-बैन" कहा जाता है। यह तलाक़ का निन्दित या पापमय रूप है। कानून की कठिनाइयों से बचने के लिए तलाक़ की यह अनियमित रीती omediya लोगो ने हिज्राँ की दूसरी शताब्दी में जारी की थी।। शाफ़ई और हनफ़ी विधियों में तलाक़ के इस रूप को मान्यता दी गयी है फिर भी वे उसे पापमय समझते है। शिया और मलिकी vidhishashtri तलाक़ के इस रूप को मान्यता नही देती। तलाक़-उल-बिद्दत या तलाक़ -उल-बैन पति द्वारा पत्नी को निम्नलिखित तरीके से दिया जा सकता है
इस प्रकार के तलाक़ को "तलाक़-उल-बिद्दत" या "तलाक़-उल-बैन" कहा जाता है। यह तलाक़ का निन्दित या पापमय रूप है। कानून की कठिनाइयों से बचने के लिए तलाक़ की यह अनियमित रीती omediya लोगो ने हिज्राँ की दूसरी शताब्दी में जारी की थी।। शाफ़ई और हनफ़ी विधियों में तलाक़ के इस रूप को मान्यता दी गयी है फिर भी वे उसे पापमय समझते है। शिया और मलिकी vidhishashtri तलाक़ के इस रूप को मान्यता नही देती। तलाक़-उल-बिद्दत या तलाक़ -उल-बैन पति द्वारा पत्नी को निम्नलिखित तरीके से दिया जा सकता है
- जब पत्नी तुंहर काल में हो (अर्थात जब उसको मासिक धर्म न हो) पति द्वारा किये गये तीन उच्चारण या एक ही sentence में "मैं तुम्हे तीन बार तलाक़ देता हू" या "मैं तुम्हे तलाक़ देता हू, मैं तुम्हे तलाक़ देता हू, मै तुम्हे तलाक़ देता हू"।।
- जब पत्नी तुंहर काल में हो (मासिक धर्म न हो रहा हो) पति द्वारा दिया गया एक ही उच्चारण जिससे अनिवर्तनीय (रद्द न हो सकने वाला irrevocable) विवाह विच्छेद करने का आशय(intention) clearly प्रकट होता हो, जैसे "मै तुम्हे irrevocable रूप से तलाक़ देता हू"।।।
- उपरोक्त स्तिथि में जैसे ही उच्चारण पूर्ण होता है वैसे ही तलाक़ भी पूर्ण हो जाता है।।
- मुस्लिम पति अपनी पत्नी को बिना वजह भी तलाक़ दे सकता है बस तलाक़ देने का आशय स्पष्ट होना चाहिए। तलाक़ लिखित या मौखिक हो सकता है। शिया और सुन्नी विधि की अपेक्षाएं अलग अलग है।।।
- तलाक़ के समय पत्नी का उपस्थित होना आवश्यक नही है।
- कुछ muslim jurists तलाक़-उल-बिद्दत को इस्लाम के खिलाफ मानते है।