भारतीय दंड संहिता की धारा 45 के अनुसार उम्रकैद का मतलब सारी उम्र कैद होती है, लेकिन सरकार मुजरिम के चाल-चलन के आधार पर 14 साल का कारावास काटने के बाद उसे माफी दे सकती है। CRPC की धारा 433 (ए) के तहत प्रावधान किया गया है कि सरकार उम्रकैद को 14 साल से कम नही कर सकती है।
जेल मैन्युअल के अनुसार- जब मुजरिम 14 साल की सजा काट लेता है तो जेल प्रशासन उसके चाल चलन के आधार पर उसका केस State review committee के पास भेजता है। इसके बाद कमेटी अपनी अनुशंसा Lt.Governor के पास भेजती है तब बाकी की सजा माफ होती है। लेकिन यह सब सरकार का विशेषाधिकार है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को, जबकि अनुच्छेद 161 में राज्यपाल को अधिकार है कि वह किसी भी सजायाफ्ता या मुजरिम की सजा को किसी भी वक्त माफ कर सकता है।
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