सवाल-
हमने एक कमरा किराये पर दिया हुआ है ( ५-६ साल से ) ! शुरू के तीन चार वर्ष तो वो किराया समय पर देता रहा किन्तु अब न तो वो किराया ही समय पर देता है और न ही जगह खाली कर रहा है ! अब तो पिछले पांच महीनों से उसने किराया नहीं दिया है ! किरायेनामे में साफ़ लिखा है कि किराया न देने कि सूरत में उसे जगह खाली करनी होगी ! मुझे आपसे इस विषय पर राय चाहिए थी कि क्या हम किरायेनामे के आधार पर पुलिस कि मदद से जगह खाली करवा सकते हैं या फिर हमें अदालत में उस पर केस करना होगा ??? और यदि हम उस पर केस कर भी देते हैं तो क्या किराया न देने के आधार पर जगह खाली हो सकती है और वो भी कितनी देर में ??? कृपया उचित मार्गदर्शन करें !!!
-साजिद अंसारी, उत्तर प्रदेश
जवाब-
आप ने कमरा किराए पर दिया है। आप दोनों के मध्य मकान मालिक व किराएदार का संबंध है। आप अपने किराएदार से मकान या तो उस की सहमति से खाली करवा सकते हैं या न्यायालय से डिक्री प्राप्त कर उस का निष्पादन करवा कर ही मकान खाली करवा सकते हैं। पुलिस आप की मदद सिर्फ तभी कर सकती है जब आप न्यायालय से कमरा खाली करवा लेने की डिक्री प्राप्त कर लें और वह अपील न करने के कारण या अपील न्यायालय से किराएदार की अपील खारिज हो जाने पर अंतिम हो जाए और आप निष्पादन कार्यवाही में न्यायालय से पुलिस मदद प्राप्त करने का आदेश प्राप्त कर लें। इस के पहले आप किराएदार से कमरा खाली नहीं करवा सकते
आप के किराएदार ने पाँच माह से किराया नहीं दिया है। आप को चाहिए कि छह माह का किराया बकाया होने पर आप किराएदार को कानूनी नोटिस दे दें कि उस ने छह माह से किराया न दे कर किराया अदायगी में छह माह तक लगातार चूक की है और वह पन्द्रह दिनों में कमरा खाली कर के आप को सौंप दे अन्यथा आप कमरा खाली कराने के लिए न्यायालय में मुकदमा दायर करेंगे। अच्छा हो कि यह नोटिस आप किसी ऐसे वकील से दिलवाएँ जो किराएदारी के मुकदमों को लड़ने का अनुभव रखता हो। इस नोटिस के बाद उस के देने पर भी किराया न लें। मनिआर्डर से भेजने पर मनिआर्डर को भी वापस लौटा दें। यदि आप ने किराया प्राप्त कर लिया तो यह माना जाएगा कि आप ने उस के द्वारा किराया अदायगी में की गई चूक को माफ कर दिया है। जब आप द्वारा दिए गए कानूनी नोटिस की अवधि समाप्त होने पर मुकदमा अवश्य दाखिल कर दें।
आप ने पूछा है कि मुकदमे के माध्यम से कितने दिन में कमरा खाली हो जाएगा? आप का यह प्रश्न बिलकुल बेमानी है। एक तो किसी भी मुकदमे की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि जिस अदालत में आप का मुकदमा दर्ज होगा उस अदालत की स्थिति क्या है? उस में कितने मुकदमे लंबित हैं? आदि आदि।
यूँ आम तौर पर भारत में अदालतों की संख्या बहुत कम है। भारत में दस लाख की आबादी पर केवल 13.5 जज हैं। जब कि विकसित देशों में दस लाख की आबादी पर जजों की संख्या 140 से 150 तक की है। इस कारण भारत में न्याय प्राप्त करने में देरी लगना स्वाभाविक है। देरी तो आप को लगेगी। आप इस काम के लिए जो वकील करेंगे वह आप को बता देगा कि जिस अदालत में मुकदमा लगेगा उस में निर्णय अक्सर कितने समय में हो जाते हैं। वह उस के बाद अपील में लगने वाला संभावित समय भी बता देगा। लेकिन आप को पास मुकदमा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कमरा सिर्फ और सिर्फ मुकदमा दाखिल कर के प्राप्त की गई डिक्री के आधार पर ही खाली कराया जा सकता है। इस लिए जरूरी यह है कि यह सोचनें में समय व्यर्थ न किया जाए कि मुकदमा करने पर कितने दिन में कमरा खाली होगा। क्यों कि जितने दिन आप यह सोचने में बिताएंगे उतना समय और बढ़ जाएगा। आप को छह माह का किराया बकाया होते ही मुकदमा करने की प्रक्रिया आरंभ कर देनी चाहिए। हो सकता है नोटिस पर ही अथवा मुकदमा दाखिल होने पर ही किरायेदार कमरा खाली कर दे।
धर्म अगर किराएदार महिला हो और वह अपने महिला होने का फायदा मकान मालिक से उठाती हो बात बात पर झगड़ा करती हो और धमकी देती हो कि मैं महिला हूं तुमने मुझसे छेड़खानी की है मैं पुलिस में जाकर कंप्लेंट कर दूंगी नहीं तो मुझे किराए के लिए परेशान मत करो तथा बार बार धमकी नियम कि मैं महिला हूं और तुमने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया है वह यह चाहती हो कि मकान मालिक मेरी बातों से डर जाए और मुझसे किराया ना मांगे इस परिस्थिति में उस किराएदार को कैसे हटाया जाए तथा मकान मालिक को कानून द्वारा क्या मदद मिल सकती हैं
जवाब देंहटाएं- thanks for this good job
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