छुट्टी के वेतन पर नियम-कानून समझें
हाल ही में एक आदमी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। वो पिछले 15 साल से कंपनी में काम कर रहा था। वो रिटायर नहीं हुआ था और न ही उसने वीआरएस लिया था। उसे दूसरी कंपनी से बेहतर ऑफर मिला और उसने इस्तीफा दे दिया। लंबे अरसे तक एक ही कंपनी में काम करने के कारण उसे रिटायरमेंट बेनिफिट भी बहुत अच्छा मिला। उसे उसकी बची हुई छुट्टियों का वेतन भी दिया गया।
समस्या तब खड़ी हुई जब उसकी पुरानी कंपनी ने छुट्टियों के वेतन का टैक्स (टीडीएस) भी काट लिया। इनकम टैक्स एक्ट में भी एक सीमा तक ही छुट्टियों के वेतन पर टैक्स मिलती है। सामान्य तौर पर कंपनियां इस टैक्स में छूट उन्हीं कर्मचारियों को देती हैं जो रिटायरमेंट के साथ कंपनी छोड़ते हैं। कंपनियां उन कर्मचारियों को छूट देने से बचती हैं जो रिटायरमेंट से पहले कंपनी छोड़ देते हैं।
कैसे बनता है छुट्टियों का वेतन?
अगर कोई कर्मचारी कंपनी नियमों के मुताबिक साल भर में मिलने वाली पूरी छुट्टियां नहीं लेता है तो उसकी बची हुई छुट्टियां बेकार चली जाती हैं। इसके अलावा हो सकता है कि कंपनी इन बची हुई छुट्टियों के बदले पैसे दे दे या उन्हें इकट्ठा करके बाद में आपको फायदा दे दिया जाए। कर्मचारी अपने सर्विस पीरियड के दौरान इकट्ठी की गई इन छुट्टियों का इस्तेमाल कभी भी कर सकता है।
इसके अलावा इन छुट्टियों के बदले कर्मचारी रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ते समय पैसे भी ले सकता है। इकट्ठी की गई छुट्टियों के बदले ली गई धनराशि ही त्नलीव इनकैशमेंटत्न होती है। सर्विस पीरियड के दौरान छुट्टियों के एवज में मिलने वाले वेतन पर टैक्स लगता है। ये टैक्स सरकारी और निजी संस्थान दोनों में ही काम करने वाले कर्मचारियों पर लगता है।
क्या हैं नियम?
इसके उलट टर्मिनेशन पर मिलने वाले वेतन पर लगने वाले टैक्स के लिए अलग प्रावधान होते हैं। सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली त्नलीव इनकैशमेंटत्न पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है। निजी संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों को छुट्टियों के बदले मिलने वाले वेतन पर टैक्स में आंशिक छूट मिलती है। निजी कर्मचारियों को 10 महीने तक के औसत वेतन पर टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा छुट्टियों के बदले मिलने वाला वेतन 3 लाख रुपये या उससे कम होने पर भी छूट का प्रावधान है। इसके साथ ही रिटायरमेंट के समय छुट्टियों के बदले मिलने वाले वेतन पर पूरी तरह से टैक्स छूट मिलती है।
क्या कहता है कानून?
अनुच्छेद 10 (10एए) में ऑन रिटायरमेंट या अदरवाइज शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसमें गौर करने लायक शब्द त्नअदरवाइजत्न है। ये करदाताओं को सीधे शब्दों में बता रहा है कि इसके तहत टैक्स में छूट उन्हीं कर्मचरियों को मिलेगी जो रिटायरमेंट के अलावा किसी दूसरी वजह से नौकरी छोड़ते हैं और उन्हें छुट्टियों के बदले वेतन मिला हो। इस अनुच्छेद का इस्तेमाल 28 जुलाई 1997 को 142 सीटीआर 325 सीआईटी और डीपी मल्होत्रा के बीच चल रहे केस के फैसले में किया गया।
मल्होत्रा ने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अनुच्छेद 10 (10एए) के तहत छुट्टियों के बदले मिलने वाले वेतन पर लगने वाले टैक्स में छूट का दावा किया था। इनकम टैक्स अफसर ने मल्होत्रा के दावे को खारिज कर दिया। उसके मुताबिक इस अनुच्छेद के तहत उन्हीं कर्मचारियों को फायदा मिल सकता है जिन्हें रिटायरमेंट के बाद त्नलीव सैलरीत्न मिली हो। उसके मुताबिक नौकरी के दौरान इस्तीफा देकर कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों को इसका फायदा नहीं मिलता है।
रिटायरमेंट शब्द क्यों है अहम?
इनकम टैक्स कोर्ट के मुताबिक रिटायरमेंट शब्द का बहुत विस्तृत मतलब होता है। रोजगार के संबंध में इसका मतलब होता है करियर का निचोड़। हालांकि इस शब्द का एक अर्थ इस्तीफा भी होता है। कानून के शब्दकोष के मुताबिक इस्तीफे के एक मतलब रिटायरमेंट भी होता है। ज्यादातर शब्दकोषों के मुताबिक रिटायरमेंट और रेजिग्नेशन दोनों का ही मतलब नौकरी का निचोड़ है।
इसका सीधा सा मतलब है कि नौकरी से इस्तीफा भी एक तरह का रिटायरमेंट ही है। एक बार जब कोई कर्मचारी इस्तीफा दे देता है तो उसे उस तारीख से नौकरी से हटा हुआ मान लिया जाता है जब कंपनी का कोई अधिकारी उसके इस्तीफे को मंजूर कर लेता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि कर्मचरी को इस्तीफा मंजूर होने के साथ ही रिटायर मान लिया जाता है।
क्या कहते हैं कोर्ट के फैसले?
कानून के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी पेंशन पर रिटायर होता है तो रिटायरमेंट शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ आयकर अधिनियम के अनुच्छेद (10एए) की भाषा से साफ है कि रिटायरमेंट शब्द का विस्तृत इस्तेमाल किया जा सकता है। अनुच्छेद के मुताबिक चाहे कर्मचारी पेंशन पर रिटायर हुआ हो या किसी दूसरी वजह से रिटायर कहा जा सकता है।
इससे साफ हो जाता है कि रिटायरमेंट होने पर चाहे वो इस्तीफे देने की वजह से हुआ हो, वो छुट्टियों के बदले मिलने वाले वेतन पर लगने वाले टैक्स में छूट का पात्र माना जाएगा। कुछ ऐसा ही फैसला मद्रास उच्च न्यायालय ने सीआई और आरजे शाहने के बीच चले केस में दिया था। कोर्ट ने कहा था कि रिटायरमेंट कई तरह का होता है। यह स्वैच्छिक और पेंशन पर दोनों तरह से हो कसता है। अगर किसी व्यक्ति ने स्वैच्छा सा रिटायरमेंट लिया है तो वह अनुच्छेद 10(10एए) के तहत लाभ लेने का हकदार माना जाएगा। -साथ में डीएनए
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