मंगलवार, 10 जनवरी 2017

सेवा कर क्या है – what is Service Tax ? सेवा कर कानून – Service Tax Law

सेवा कर कानून – Service Tax Law

सेवा कर किसी व्‍यक्ति द्वारा प्रदान की गई सेवाओं पर लगाया जाता है और इस कर का भुगतान करने की जिम्‍मेदारी सेवा प्रदाता की होती है। यह एक अप्रत्‍यक्ष कर है क्‍योंकि यह सेवा प्रदाता द्वारा उसके व्‍यावसायिक लेन-देन की अवधि में सेवा प्राप्‍तकर्ता से वसूल किया जाता है। भारत में सेवा कर वित्‍त अधिनियम, 1994 के अध्‍याय V द्वारा इस वर्ष 1994 में शुरू किया गया है। वर्ष 1994 में प्रारम्भिक रूप में यह कर सेवाओं के तीन सैटों पर लगाया गया था और तब से सेवा कर का कार्यक्षेत्र में अनुवर्ती वित्‍त अधिनियमों द्वारा निरन्‍तर विस्‍तार किया जा रहा है। वित्‍त अधिनियम के तहत सेवा कर की उगाही जम्‍मू और कश्‍मीर राज्‍य को छोड़कर पूरे भारत में की जा रही है।
वित्‍त मंत्रालय के अधीन राजस्‍व विभाग के तहत केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीईसी) सेवा कर लगाने और वसूल करने से संबंधित नीति तैयार करने का कार्य करता है। केंद्रीय सरकार प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सेवा कर के निर्धारण और वसूली के प्रयोजनार्थ सेवा कर नियामवली तैयार करती है।
सेवा कर केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सीमा शुल्‍क बोर्ड के अधीन कार्यरत विभिन्‍न केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालयों द्वारा प्रशासित किया जा रहा है। दिल्‍ली, मुम्‍बई, कोलकाता, चेन्‍नै, अहमदाबाद और बैंगलोर आदि महानगरों में छह आयुक्‍तालय स्थित हैं जो पूर्णतया सेवा कर से संबंधित कार्य करते हैं। मुम्‍बई स्थित सेवा कर निदेशालय तकनीकी और नीतिगत स्‍तर पर समन्‍वयन के लिए क्षेत्रीय स्‍तर के कार्यकलापों का निरीक्षण करता है।

पंजीकरण

सेवा कर चुकाने वाले व्‍यक्ति विशेष कर योग्‍य सेवा पर कर लागू होने लगाए जाने की तारीख के तीस दिनों के अंदर अथवा उसकी गतिविधि शुरू होने के तीस दिनों के अंदर पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्‍तुत करें।
कर योग्‍य सेवा के प्रत्‍येक सेवा प्रदाता से अपेक्षा की जाती है कि वह फार्म एसटी-1 दोहरी प्रतियों में आधिकारिक केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क कार्यालय को प्रस्‍तुत करके पंजीकरण प्राप्‍त करें।
‘पंजीकृत’ सेवा प्रदाता को ‘निर्धारिती’ कहा जाएगा।
निर्धारिती द्वारा एक से अधिक कर योग्‍य सेवाएं प्रदान किए जाने पर भी एकल पंजीकरण प्रर्याप्‍त होगा। तथापित, वह पंजीकरण के लिए आवेदन में उन सभी सेवाओं का उल्‍लेख करेगा जो उसके द्वारा प्रदान की जा रही हैं और क्षेत्रीय कार्यालय पंजीकरण प्रमाणपत्र में उपयुक्‍त प्रविष्टियां/अनुमोदन अंकित करेगा।
किसी अन्‍य व्यक्ति के नाम पर व्‍यवसाय का अंतरण किए जाने के मामले में नए सिरे से पंजीकरण प्राप्‍त करना अपक्षित होगा।
कोई भी पंजीकृत निर्धारिती जब कर योग्‍य सेवा प्रदान करना बंद कर देता है तो उसे पंजीकरण प्रमाणपत्र को तत्‍काल अभ्‍यार्पित करना होगा।
यदि कोई निर्धारिती उसी स्‍थान से कोई नई सेवा प्रदान करना प्रारंभ करता है तो उसे नए सिरे से पंजीकरण के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी। वह अपनी वर्तमान सूचना में जो आवश्‍यक संशोधन करना चाहता है, उन्‍हीं को एसटी-1 फार्म में भर भेज देगा। नया फार्म उनके पंजीकरण प्रमाणपत्र में नई सेवा श्रेणी के लिए आवश्‍यक मंजूरी हेतु आधिकारिक अधीक्षक को प्रस्‍तुत किया जाएगा।
व्‍यक्तियों अथवा संबंधित स्‍वामी और साझेदार फर्म के मामले में सेवा कर तिमाही आधार पर अदा किया जाएगा। सेवा कर के भुगतान की निश्चित तारीख संबंधित तिमाही के बिल्‍कुल बाद के महीने की पांच तारीख होगी (तिमाहियां है : अप्रैल से जून, जुलाई से सितम्‍बर, अक्‍तूबर से दिसम्‍बर और जनवरी से मार्च के लिए भुगतान 31 मार्च को ही किया जाएगा। सेवा प्रदाता की ऊपर निर्दिष्‍ट श्रेणी के अलावा, कोई अन्‍य श्रेणी होने पर सेवा कर का का भुगतान मासिक आधार पर अर्थात् अगले महीने की पांच तारीख को किया जाएगा। लेकिन मार्च माह के संबंध में भुगतान 31 मार्च को ही किया जाएगा। सेवा कर का भुगतान निर्धारिति द्वारा संबंधित अवधि (अर्थात महीना अथवा तिमाही, जैसा भी मामला होगा) के दौरान वसूल/प्राप्‍त की गई राशि पर किया जाएगा।
सेवा कर की खास विशेषता है कर वसूली पर भरोसा प्रमुख रूप से स्‍वैच्छिक रूप से अनुपालन के जरिए सेवा कर दाताओं द्वारा सेवा कर विवरिणयों का स्‍वयं मूल्‍यांकन करने की प्रणाली 1 अप्रैल, 2001 से शुरू की गई है। केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क का आधिकारिक अधीक्षक को मूल्‍यांकित विवरणियों की यथातथ्‍यता की प्रति सत्‍यापित करने के लिए प्राधिकृत किया गया है। अनुमान है कि कर विवरणियां छ: माही रूप से प्रस्‍तुत की जाएंगी। संभावित कर दाताओं को कर तंत्र के तहत लाने के लिए केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिकारियों को सर्वेक्षण करने के लिए प्राधिकृत किया गया है।
सेवा कर सेवा प्रदाता द्वारा योग्‍य सेवा प्रदान करने के लिए प्रभारित ‘सकल राशि’ के 12 प्रतिशत की दर पर देय होगा।
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