शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

आईपीसी की धारा 112 क्या है ?

(1) ग्राम कचहरी न्यायपीठ के द्वारा किसी आदेश या निर्णय विरूध्द अपील ऐसे आदेश या निर्णय के पारित होने के तीस (30) दिन के द्वारा अक्त अपील की सुनवाई के लिए पूर्ण न्यायपीठ के गठन के लिए सात पंचों का होना अनिवार्य होगा।

(2) उप-धारा (i) के अधीन अपील की सुनवाई के लिए पूर्ण न्यायपीठ के गठन के लिए सात पंचों का होना अनिवार्य होगा।

(3) ग्राम कचहरी के पूर्ण पीठ के आदेश या निर्णय के विरूध्द अपील तीस दिनों के अन्दर, दिवानी मुकदमा में अवर न्यायाधीश के समक्ष और फौजदारी मामला में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर किया जायेगा।

(4) अपील में जिस आदेश को चुनौती दी गई हो विहित रीति से अपील के अंतिम निष्पादन तक लागू नहीं किया जायेगा।

(5) ग्राम कचहरी की पूर्ण न्यायपीठ द्वारा पारित आदेश के प्रति ऐसा आदेश पारित किये जाने की तारीख से एक सप्ताह के अन्दर अपील के विहित रीति से पक्षों को मुफ्त में ही दी जायेगी।

नियम 41 :- ग्राम कचहरी के न्यायपीठ के किसी आदेश या निर्णय के विरूध्द अधिनियम की धारा 112 के अधीन किए जाने वाले अपील ऐसे आदेश पारित किये जाने के तीस दिन के अंदर ग्राम कचहरी के पूर्ण न्यायपीठ के समक्ष दरयर की जायेगी। जिसके गठन के लिए सात पंचों का होना अनिवार्य होगी।

नियम 42 :- यदि किसी दीवानी मुकदमा (सूट) में बेंच द्वारा किये गये फैसले के विरूध्द कोई अपील की जाती हो तो वह मुकदमा जितने रूपया का हो उसके हिसाब से हर दस रूपये उसके किसी अंश के लिए रूपये दर से नकद फीस जबतक ग्राम कचहरी के सचिव के पास पक्ष द्वारा जो अपील कर रहा है के द्वारा नकद जमा नहीं किया जाय अथवा अपील अगर फौजीदारी में न्यायपीठ द्वारा दिये गये फैसले के विरूध्द हो तो उसके लिए जब तक दस रूपये की नकद राशि न्यायापीठ के समक्ष जमा अपीलार्थी द्वारा नकदी जाय तब तक अपील मंजूर नहीं की जायेगी। लेकिन फौजीदारी मुकदमा में सरपंच उपयुक्त मामलों में गरीबी के आधार पर या अन्य कारणों का उल्लेख आदेश पद में कर-कर अपील करने वाला यानी अपीलार्थ की उक्त अपील का शुल्क चुकाने से बरी कर सकता है।

नियम 43 :-जब कोई पक्ष अपील का संलेख (मेमोरण्डम) दायर करे और उसके लिए आवश्यक फीस चुका देता है तब सरपंच उत्तरवादी (विपक्षी) की तथा ग्राम कचहरी के सभी पंचो को इस आशय की सूचना देगा कि वे सूचना में बताई गई तारीख एवं निश्चित समय और स्थान पर पूर्ण न्याय पीठ की बैठक में उपस्थिति होवें। उक्त बैठक की तारीख साधारणतया अपील दायर करने के 15 (पन्द्रह) दिन के अन्दर ही रखी जायेगी।

नियम 44 :-

(1) सुनवाई कि नियत तारीख को पूर्ण नयायपीठ उक्त मुकदमों में सभी अभिलेखों की जाँच करेगी, पक्षों की बात सुनने के बाद सही न्याय करने के लिए जो उपयुक्त एवं आवश्यक समझेगी विधि संगत करेगी और उसके बाद नयायपीठ द्वारा दिये गये आदेश को मान लेगी या आवश्यक समझने पर फेर-बदल अथवा उसको रद्द देगी या ऐसा आदेश देगी जो मुकदमा की स्थिति को देखते हुए न्याय संगत और सुविधानुसार उचित समझेगी।

(2) पूर्ण न्यायपीठ का फैसला बैठक में भाग लेकर अपना-अपना विचार व्यक्त कर पंचों के बहुमत के आधार पर होगा।

(3) जो पंच अन्य पंच/पंचों की राय से सहमत नहीं होंगे वे अपने विचार (टिप्पणी) देंगे।

(4) पूर्ण न्यायपीठ के जितने भी पंच फैसले से सहमत होंगे, वे उस पूर्ण न्यायपीठ के उक्त फैसले पर अपना-अपना हस्ताक्षर बना देगें जहाँ पर विमति-टिप्पणी (नोट ऑंफ डिसेंट) दी जायेगी वहाँ के उस पंच या पंचों के हस्ताक्षर कराकर जो कि उक्त फैसले से सहमत न हो, विमति टिप्पणी लिख दी जायेगी।

नियम 45 :-किसी अपील के मंजूरी के बाद (निपटरा) निष्पादन होने तक सरपंच उक्त कारणों का उल्लेख कर यह आदेश देगा कि डिक्री का इजराय या सजा या जिस आदेश के खिलाफ अपील की गई हो उसका आदेश लागू नहीं किया जाय।

नियम 46 :-किसी अपील के दायर होने की तिथि से 1 माह के अन्दर ही उसका निष्पादन कर दिया जायेगा। (2) यदि उप नियम (1) में बताई गई अवधि के अन्दर यहद अपील का निष्परादन नहीं किया जा सका तो सरपंच विलम्ब होने का कारण निपटारा संबंधी अंतिम आदेश में अंकित कर देगा।

नियम 47 :-

(i) जब कभी सरपंच को यह विश्सास हो जाय कि शान्ति भंग होने वाली है या लोक प्रशांति में बाधा पड़ने वाला है तथा उसको रोकने के लिए कोई उपाय का होना, तुरंत अनिवार्य है तो वह ऐसे मामले किसी व्यक्ति से कह समझता है कि अपनी किसी खास हरकत न करे या किसी खास व्यक्ति को किसी कार्य विशेष से प्रवारित रहने या उसके प्रबंध या कब्जे के अधीन किसी सम्पति के कारवाई करने का निर्देश देगा।

(ii) सरपंच द्वारा दिया गया आदेश दो प्रति मैं रहेगा और उसपर वह अपना हस्ताक्षर करेगा तथा ग्राम कचहरी की मुहर लगाकर उससे संबंधित व्यक्ति को यथा संभव नियम 10 से 12 में बताई गई विधि से तामील करने के लिए भेज देगा।

विषय वस्तु : प्रक्रियाओं संबंधी आवश्यक जानकारी यथा सम्मन का निर्गन होना एवं तामीला


( नियम 10-12) बेलेबूल वारंट का निर्गत होना ( नियमं-13 ) सूट का समय तालिका

( नियम-141)। स्थानीय निरीक्षण (नियम-15) न्यायपीछ का गछन ( नियम 18 एवं 19) बेल बाँण्ड एवं जमानती की जब्ती ( नियम-15)। नकल सम्बन्धी प्रावधन ( नियम-51)

नियम 10 :

(1) ग्राम कचहरी का सरपंच प्रतिवादी या अभियुक्त पर ग्राम कचहरी के सचिव द्वारा सम्मन का तामिला पूर्व में बतायाी गई विहित रीति से करायेगा।

(11) यदि नियत तारीख तक सम्मन अगर तामिल नहीं हाता है तो और तामील होना अनिवार्य समक्षा तो वह पुन: सम्मन जारी करेगा।

नियम 11:- ग्राम कचहरी द्वारा फारम 4 या 5 में स्थिति के अनुरून जारी किया गया सम्मन प्रत्येक सम्मन दो प्रति के अनुपस्थित रहने पर उपसरपंच द्वारा हस्ताक्षर कर भेजेगा और उक्त सम्मन पर ग्राम कचहरी की मुहर लगी रहेगा।

नियम 12:-

(i) यदि व्यवहारिक होगा तो बुलाये गये व्याक्ति पर सम्मन की तामिला व्यक्तिगत उसे सम्मान की कॉपी देकर कराया जायेगा।

(ii) वैसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसपर सम्मान तामिल इस प्रकार यिका गया हो, सम्मन के दूसरी प्रति पर उसके पीठ पर सम्मन लेने वाला व्यक्ति से हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान बनवा लेगा।

(iii) यदि वह व्यक्ति जिसपर सम्मन का तामिल हुई है, सम्मन पाने के बाद रसीद देने से इंकार करता है, तो वैसी स्थिति में तामिल कराने वाला पदाधिकारी सम्मन के दूसररी प्रति वर वैसा लिख देगा और उस लिखावाट पर कम से कम एक गवाह से अभिप्रमाणित करवा लगा और तब उक्त सम्मन का तामिल समक्षा जायेगा।

(iv) जहाँ वह व्याक्ति जिसपर सम्मन जारी गया है, उचित परिश्रम के बाद भी नहीं मिलता है, तो उसके लिए सम्मन की प्रति उसके परिवार के किसी ऐसे व्यस्क पुरूष सदस्य के पास, जो कि संयुक्त रूप से उसके साथ निवास करता है को दे दी जायेगी तथा वह व्याक्ति उस सम्मन के दूसरे कॉपी पर अपना हस्ताक्षर बना देगा। वह व्याक्ति प्राप्ति पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देता है यह या नहीं करता है तो तामिल करने वाला व्याक्ति पदाधिकारी उपनियम (3) की प्रकिया का अनुसरण करेगा।

(v½ यदि सम्मन की तामिल इस नियम में लिखित ढ़ग से उचित परिश्रम करने के बाद भी नहीं किया जा सका तो तामिल करने वाला पदाधिकारी सम्मन की एक प्रति को सम्मन किये गये व्यक्ति के उसके घर के किसी सही स्थल (सुगोचर) स्थान मैं जिसमें सम्मन में लिखित व्यक्ति निवास करता है, चिपका देगा तथा सम्मन के दूसरी प्रति के पीछे यानी पीठ पर अपने अनुसार लिख देगा और उक्त बात को मिलाकर कम से कम एक व्यक्ति के द्वारा गवाही बनवा लेगा और तब वह जारी सम्मन बजावता तामिल हुआ माना जायेगा।

(vi½ जहाँ किसी गाँव मैं सम्मन किया गया अगर वह ग्राम कचहरी जहाँ से सम्मन जारी किया जा रहा है के स्थानीय सीमा क्षेत्र में बाहर पड़ता है तो सरपंच उस सम्मन की दो प्रति में लिखकर उस ग्राम कचहरी के सरपंच को लिखकर भेज देगा जिसके स्थानीय सीमा क्षेत्र के अन्दर वह व्यक्ति रहता है या पाया जाता है। सरपंच जिसके पास उक्त सम्मन भेजा जाता है सह उस सम्मन की तामिल उस ढंगा से मानो वह नियम के अधीन वह अपने ढंग से अपनी सीमा क्षेत्र के अन्तर्गत करता है।

नियम 13 :- जहाँ किसी ग्राम कचहरी का न्यायपीठ किसी अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने में असमर्थ हो जाय तो वह अभियुक्त को पकड़ने के लिए अधिनियम की धारा 119 (3) के अधीन फाराम 6 में जमानती वारंट मुख्य/अपर/अवर न्यायिक दण्डाधिकारी के पास अग्रसारित करेगा जो कि वारंट पर अपना प्रति हस्ताक्षर कर उसे उस थाना प्रभारी के पास भेज देगा जहाँ जिसके अधिकार क्षेत्र में उस अभियुक्त को रहने या पाये जाने की संभावना है और ऐसा पदाधिकरी वारंट का निष्पादन करेगा और अभ्यिुक्त को उसके विचारण के समय न्यायपीठ के समक्ष पेशी हेतु उसका सही उपाय करेगा।

नियम 14 :- प्रत्येक (सूट) वाद या मुकदमा दायर करने की तारीख से छ: माह के अन्दर उसका निष्पादन कर दिया जायेगा।

नियम 15 :- किसी वाद या कार्यवाही की जाँच के लिए सरपंच या न्यायपीठ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी जमीन या मकान में जा कि विवाद या कार्यवाही से संबंधित है, उस मकान या जमीन के मालिक को सूचना देकर या कारण बताकर प्रवेश कर सकती है। यदि वह जमीन या मकान महिलाओं के कब्जा में है तो उस जगह के रिवाजों के अनुसार पर्दानसीन हों, तो वहाँ से हटने के लिए उचित रूप से यूचना देगा और महिला के कब्जे में रहने वाला जमीन या मकान में प्रवेश करने के लिए नयायपीठ में एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य होगा।

नियम 18 :-

(i) ग्राम कचहरी के न्यायपीठ के निर्माण के लिए संबंध पक्षकारों द्वारा नामित किए जाने वाले ग्राम-कचहरी के पंचों में से दो पंच तथा सरपंच द्वारा चुने गये दो अन्य पंच शामिल होंगे।

नयायपीठ में कम-से-कम एक महिला पंच का होना अनिवार्य होगा।

(ii) जहाँ पर एक से अधिक वादी/प्रतिवादी या अभियुक्त हो तो सभी वादी/प्रतिवादी या अभियुक्त मिलकर एक साथ पंच को नामित कर चुनेंगे। परन्तु, पंचों के उसी दल (सेट) को फिर से तब तक नहीं चुना जायेगा जब तक कि ग्राम कचहरी के सभा में आये सभी पंचों को ग्राम कचहरी के न्यायपीठ में शामिल होने का अवसर नहीं मिल जाता हो।

नियम 19 :-

(i) किसी वाद या मुकदमा दायर करने के समय दोनो पक्षकार सरपंच उप-सरपंच ( यदि सरपंच अनुपस्थित हो ) के सामने, जैसर कि उस समय स्थिति हो, उपस्थिति हो, तो वे उसी समय पंचों की सूची से पंचों को नामित कर लेगें।

(ii) यदि किसी वाद के सहवादी या सह प्रतिवादी या किसी मुकदमे के अभियुक्त या सह-अभियुक्त सरपंच या उपसरपंच ( यदि सरपंच अनुपस्थित हो ) के सामने उपस्थिति होने के समय से चौबीस घंटे के अन्दर पंचों की सूची में से किसी एक सर्वमान्य पंच के लिए नाम के लिए सहमत नहीं होती, सरपंच या उपसरपंच बेंच में सहवादियों, सह-प्रतिवादियों या सह अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व के लिए पंचों की सूची में से एक पंच को नमित (नियुक्त) कर देगा।

(iii) किसी वाद (सूट) के पक्षकार नामित करेंगे।

(क) प्रतिवादी/अभियुक्त अपनी ओर से एक पंच उसके दूसरे ही दिन उपर्स्थित होने के लिए उसका सम्मन हुआ है, उसमें चुकने पर उस पक्षकार की ओर से सरपंच या उसकी अनुपस्थिति में उप-सरपंच ग्राम कचहरी के पंचों में से एक पंच को नामित


( नियुक्त ) कर देगा।

(ख) किसी मुकदमे का वादी मुकदमा दायर करने के दिन ही एक पंच को नामित कर देगा।

(iv) यदि किसी वाद या मुकदमें का विचारण चालू होते हुए किसी समय किसी पंच की सेवा में सात दिनों की अवधि के लिए उपलब्ध नहीं हों तो या यदि किसी पंच की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया जाता है तो वह दूसरे दिन दूसरा एक पंच उक्त मुकदमा के संबंधित पक्षकार द्वारा नामित कर दिया जायेगा या सरपंच उप सरपंच यथा स्थिति द्वारा चुन लिया जायेगा।

परंतु, नियम में दिये गये समय के अन्दर कोई पक्षकार पंच को नामित करने में चूक जाता है तो यथा स्थिति सरपंच, या उप सरपंच, उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार उस पारी की ओर से ग्राम कचहरी पंचों की सूची में से एक पंच को नामित कर देगा।

नियम 50 :-

(i) सरपंच या न्यायपीठ, दोनों में किसी के कहने पर पूर्वागामी नियमों के उपबंधो के अनसुरण में जो बंधपत्र लिखा गया हो उसके संतोष के अनुरूप अगर यह साबित कर दिया जाता है कि सरपंच या नयायपीठ के समक्ष अभियुक्त (मुदालय) के गवाह के हाजिर न होने के कारण बंध पत्र की राशि ग्राम-कचहरी के हक में जब्त कर ली गई है, तो सरपंच या गठित न्यायपीठ अभियुक्त (मुदायलय) या गवाह से इसका कारण बताने के लिए कह सकती है कि बंध पत्र (बेलबॉन्ड) की राशि उससे क्यों नहीं बसुला गया।

(ii) यदि अभियुक्त द्वारा या गवाह द्वारा प्रर्याप्त कारण न दिखाया या बताया जाय तो यथा स्थिति सरपंच या नयायपीठ आदेश देगी कि अभियुक्त या गवाह (जमानतदार) जैसी की स्थिति से आदेश में बताई गई तारीख के अन्दर उक्त वैण्ड की रकम चुका देगा यदि उस अवधि के भीतर उक्त राशि सरपंच या न्यायपीठ के समक्ष नहीं चुकाई जाती है तो सरपंच उसकी वसूली उस तरीका से करेगा जो न्यायपीठ के द्वारा किये गये जुर्माना की वसुली के लिए बने नियमों में विहित हो।

नियम 51 :- किसी भी ग्राम कचहरी के न्यायपीठ की (भाषा) न्यायालय की भाषा हिन्दी होगी जो देवनागरी लिपि में लिखी जायेगी।

तीसरा दिन : 12 बजे अपराह्न से 1 बजे अपराह्न

विषय वस्तु : आर्डर सीट/न्यायादेश लिखने की बुनियादी ज्ञान


(नियम 07, 27 एवं 40)

नियम 07 :- आदेश पत्र (आर्डर सीट) ग्राम कचहरी द्वारा आदेश पत्र में निम्न बातों लिखित रहेगी।

(क) बाद या मुकदमा दायर करने के लिए गये आवेदन पत्र की तारीख और उस पर दिया गया आदेश (आर्डर)

(ख) प्रत्येक कार्यवाही की तारीख एवं सुनवाई

(ग) वाद या मुकदमों में दिये गये आदेश (आर्डर) का नोटशीट

(घ) सरपंच या उक्त मुकदमा में नामित का अनुपस्थिति तो नहीं है

(ड़) प्रत्येक तारीख में न्यायपीठ के सदस्यों के हस्ताक्षर

(च) न्यायपीठ के वैसे सदस्य का नाम जो उपस्थिति हो लेकिन आदेश पत्र पर अपना हस्ताक्षर करने से इंकार करते हो।

(छ) वह तारीख जिसके लिए वाद या मुकदमा की सुनवाई स्थगित कर दिया गया हो एवं स्थगन का कारण।

(ज) उन व्यक्तियों के नाम जो गवाह के रूप में जाँच के लिए उपस्थित हुए है या जिनकी जाँच किया गया है।

(झ) आवेदन-पत्रों के सारांश तथा इन पर दिये गये आदेश

(ञ) वाद या मुकदमों में न्यायपीठ के द्वारा दिया गया अंतिम आदेश

(ट) अन्य बातों जिसे कि ग्राम-कचहरी न्यायपीठ जरूरी समझे।


नियम 27 :-

(i) यदि ग्राम कचहरी की न्यायपीठ वाद/मुकदमा के सम्बन्ध में पूर्णत: (पूरा) या अंशत: (आंशिक) डिग्री देने का फैसला करता है। तो उस फैसले मं नीचे बताये गये ब्योरा अवश्य रहेगा :

(क) वाद में संबंधित पक्षों का नाम, पिता का नाम और पता,

(ख) दावा और दावे का विवरण

(ग) फैसले का आधार (ग्राउन्ड्रस)

(घ) वाद में खर्च सहित जितनी राशि की डिक्री की गई हो वह रकम या कोई अन्य सहायक (रिलीफ) जो दी गई और मंजूर की गई ब्याज की रकम।

(ii) (क) यदि न्यायपीठ कुछ रूपये पैसे चुकाने या कोई चल सम्पत्ति प्रदान करने का आदेश दे तो वह न्यायपीठ अपने फैसले में एक निश्चित तारीख चि करेगी। जब तक उक्त रकम या चल सम्पति चुकाई गई रकम या सम्पत्ति का उल्लेख बेंच अपने आदेश पत्र मै कर देगी तथा जो व्यक्ति उक्त फैसले की राशि या सम्पत्ति पायेगा वह प्राप्ति के लिए एक रसीद बना देगा जोक कि बाद के रिकार्ड के साथ लगाकर सुरक्षित रख दी जायेगी।

(ख) यदि इस भुगतान या प्रदान एक बार न कर किस्तों में किया जाने वाला तो फैसला में हर किस्त की नियत तारीख तय कर दी जयेगी।

(ग) यदि पक्ष द्वारा दावे की दशा में, ग्राम-कचहरी की न्यायपीठ के फैसले में छ: प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज उद्भूत की जा सकेगी। और जिस तारीख को उस रकम का दावा दायर किया गया हो, उस तारीख से लेकर डिक्री की राशि वसूल होने की तारीख (तिथि) तक ऐसा ब्याज (सूद) निर्पीत ऋणी (अजमेट डेटा) से वसूल किया जायेगा।


नियम 40 :-

(i) नियम 39 में बताये गये साक्ष्य प्राप्त करने के बाद तथा न्यायपीठ अपनी इच्छानुसार और भी जो कुछ साक्ष्य लेना चाहता हो और उचित समझता हो उसे प्राप्त करने के बाद और मुदालय की जाँच कर लेने के बाद अगर इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि मुदालेह दोषी नहीं है तो वह धारा 103 के द्वारा विहीत रीति से अपना निर्णय करेगा।
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