आईपीसी की धारा 116 क्या है ?
धारा-116 के तहत ग्राम कचहरी में विधि व्यवसायी को उपस्थित होने, बहस करने एवं कार्य करने से रोक लगा दिया गया है। लेकिन धारा-117 के तहत पक्षकार स्वयं या कुटुम्ब, मित्र या अन्य व्यक्तियों के माध्यम से उपस्थित हो सकेंगे। न्यायालय कभी भी ग्राम कचहरी के अभिलेख को मांग कर देख सकता है। मामले का स्थानांतरण कर सकता है। किसी कार्यवाही को रद्द कर सकता है। पूर्णविचारण हेतु लौटा सकता है। रिपोर्ट मांग सकता है। यह प्रवाधान धारा-118 के तहत इसलिए किया गया कि ग्राम कचहरी के उपर न्यायालय का नियंत्रण बना रहे।
ग्राम कचहरी को वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है। यदि किसी अभ्यिुक्त का उपस्थित कराने में गा्रम कचहरी असमर्थ हो जाय, तो वैसी परिस्थिति में जमानती वारंट न्यायिक दण्डाधिकारी के पास अग्रसारित किया जायेगा, जो वारंट को प्रतिहस्ताक्षर कर उस थाना प्रभारी के पास अग्रसारित कर देगा। इसके अलावे यदि सिविल मामले में ग्राम कचहरी डिक्री को निष्पादित करने में असमर्थ हो तो निष्पादन हेतु मुन्सिफ के पास भेज देगा। यह व्यवस्था घारा-119 के तहत की गई है।
धारा-116 के तहत ग्राम कचहरी में विधि व्यवसायी को उपस्थित होने, बहस करने एवं कार्य करने से रोक लगा दिया गया है। लेकिन धारा-117 के तहत पक्षकार स्वयं या कुटुम्ब, मित्र या अन्य व्यक्तियों के माध्यम से उपस्थित हो सकेंगे। न्यायालय कभी भी ग्राम कचहरी के अभिलेख को मांग कर देख सकता है। मामले का स्थानांतरण कर सकता है। किसी कार्यवाही को रद्द कर सकता है। पूर्णविचारण हेतु लौटा सकता है। रिपोर्ट मांग सकता है। यह प्रवाधान धारा-118 के तहत इसलिए किया गया कि ग्राम कचहरी के उपर न्यायालय का नियंत्रण बना रहे।
ग्राम कचहरी को वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है। यदि किसी अभ्यिुक्त का उपस्थित कराने में गा्रम कचहरी असमर्थ हो जाय, तो वैसी परिस्थिति में जमानती वारंट न्यायिक दण्डाधिकारी के पास अग्रसारित किया जायेगा, जो वारंट को प्रतिहस्ताक्षर कर उस थाना प्रभारी के पास अग्रसारित कर देगा। इसके अलावे यदि सिविल मामले में ग्राम कचहरी डिक्री को निष्पादित करने में असमर्थ हो तो निष्पादन हेतु मुन्सिफ के पास भेज देगा। यह व्यवस्था घारा-119 के तहत की गई है।
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