शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

आईपीसी की धारा 192 क्या है ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 192 के अनुसार

मिथ्या साक्ष्य गढ़ना -जो कोई इस आशय से किस परिस्थति को आस्तित्व में लाता है ,या ( किसी पुस्तक या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में में कोई मिथ्या प्रविष्टी करता है ,या मिथ्या कथन अंतर्विष्ट रखने वाला कोई दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है ) की ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टी या मिथ्या कथन न्यायिक कार्यवाही में ,या किसी ऐसी कार्यवाही में जो लोक सेवक के समक्ष उस के उस नाते का मथ्यस्त के समक्ष विधि द्वारा की जाती है ,साक्ष्य में दर्शित हो और कि इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति ,मिथ्या प्रविष्टी ,या मिथ्या कथन के कारण कोई व्यकति जिसे साक्ष्य के आधार पर अपनी राय कायम करनी है ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए तात्विक कसी बात के सम्बन्ध में गलत राय बनाये वह मिथ्या साक्ष्य गढ़ता है ऐसा कहा जाता है।

उदाहरण

(क) मान लीजिये क एक व्यकति है,जो बॉक्स में, जो य का है , इस आशय से आभूषण रखता है की वह आभूषण उस बॉक्स में पाये जाये ,जिस के लिए य को चोरी का दोषी ठहराया जाये ,तो क ने मिथ्या साक्ष्य गाढ़ा है

(ख) क अपनी दुकान की वही में एक मिथ्या प्रविष्ट इस प्रयोजन से करता है की वह न्यायालय के समक्ष किसी सबूत के रूप में काम में लायी जाये तो क मिथ्या साक्ष्य गाढ़ा है

(ग) य को एक आपरधिक पड़यंत्र के लिए दोषीसिद्ध ठहराया जाने के आशय से क एक पत्र य के हस्तलेख की अनुकृति कर के लिखता है ,जिस से वह तात्पर्थित है की य ने उसे ऐसे आपरधिक पड़यंत्र के लिए सह अपराधी को सम्बोधित किया है और उस पत्र को ऐसे स्थान पर रख देता है ,जिस स्थान को वह जनता है ,की पुलिस अफसर संभवतः उस स्थान की तलाशी लेंगे तो क ने मिथ्या साक्ष्य गाढ़ा है
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