शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

आईपीसी की धारा 193 क्या है ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के अनुसार

मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड -जो लोई साशय किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में मिथ्या साक्ष्य
देगा या किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में उपयोग लाये जाने के प्रयोजन से मिथ्या साक्ष्य गड़ेगा , ,वह दोनों प्रकार के कारावास से जिस अवधि 7 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा

और जो कोई किसी अन्य मामले में साशय मिथ्या साक्ष्य देगा या गड़ेगा। वह दोनों में से किसी भी प्रकार की जिस अवधि 3 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा

स्पष्टीकरण
न्यायालय के सामने कार्यवाही प्रारम्भ होने के पूर्व ,जो विधि द्वारा निर्दीष्ट अन्वेषण होता है वह न्यायिक कार्यवाही का प्रकम है ,चाहे वह अन्वेषण कसी न्यायालय के सामने न हो

दृस्तान्त

(क)मने क एक व्यकति है,वह अभिनिशचय करने के प्रयोजन से कि क्या य को विचरण के लिए सुपुर्द किया जाना चाहिए ,मजिस्ट्रेट के सामने क शपथ पर कथन करता है ,जिस का मिथ्या होना वह जनता है। वह न्यायिक जांच का प्रक्रम है ,इसलिए क ने मिथ्यासाक्ष्य दिया है

स्पष्टीकरण
न्यायालय द्वारा विधि के अनुसार निर्दिष्ट और न्यायालय के प्राधिकार के आधीन संचालित अन्वेषण न्यायिक कार्यवाही का एक प्रक्रम है ,चाहे यह अन्वेषण किसी भी न्यायालय के सामने न हो
दृष्टान्त
संबंधित स्थान पर जा कर भूमि की सीमाओं को अभिनिशचित करने के लिए न्यायालय द्वारा प्रति नियुक्त् अफसर के समक्ष जांच में क शपथ कथन करता है जिस का मिथ्या होना वह जनता है ,यह जांच न्यायिक कार्यवाही का प्रक्रम है,इसलिए क ने मिथ्या साक्ष्य दिया है
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