भारतीय दंड संहिता की धारा 194 के अनुसार
मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए दोषीसिद्ध करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य गढ़ना-जो कोई (भारत ) में तत्समय प्रवृत विधि द्वारा ) मृत्यु से दंडनीय किसी अपराध के लिए किसी व्यकति को दोषीसिद्ध करने के आशय से या सांंमव्यत तत्द्वारा दोषीसिद्ध कराएगा या मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा,वह (आजीवन कारावास ) से ,या कठिन कारावास से किस की अवधि 10 वर्ष तक हो सकती है और जुर्माने से भी दंडनीय होगा
यदि निर्दोष व्यकति एतद्द्वारा दोषी सिद्ध किया जाये और फांसी दी जाये - और यदि किसी निर्दोष व्यकति को ऐसे मिथ्या साक्ष्य के परिणाम स्वरूप दोषी सिद्ध किया जाये और फांसी दे दी जाये,तो उस व्यकति को जो मिथ्या साक्ष्य देगा या तो मृत्य दंड या तो एतसि्मन्पूर्व दंड दिया जायेगा।
मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए दोषीसिद्ध करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य गढ़ना-जो कोई (भारत ) में तत्समय प्रवृत विधि द्वारा ) मृत्यु से दंडनीय किसी अपराध के लिए किसी व्यकति को दोषीसिद्ध करने के आशय से या सांंमव्यत तत्द्वारा दोषीसिद्ध कराएगा या मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा,वह (आजीवन कारावास ) से ,या कठिन कारावास से किस की अवधि 10 वर्ष तक हो सकती है और जुर्माने से भी दंडनीय होगा
यदि निर्दोष व्यकति एतद्द्वारा दोषी सिद्ध किया जाये और फांसी दी जाये - और यदि किसी निर्दोष व्यकति को ऐसे मिथ्या साक्ष्य के परिणाम स्वरूप दोषी सिद्ध किया जाये और फांसी दे दी जाये,तो उस व्यकति को जो मिथ्या साक्ष्य देगा या तो मृत्य दंड या तो एतसि्मन्पूर्व दंड दिया जायेगा।
0 टिप्पणियाँ: