शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

आईपीसी की धारा 201 क्या है ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के अनुसार

अपराध के साक्ष्य का विलोपन ,या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इतिल्ला देना -जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास रखने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है ,उस अपराध के किये जाने के किसी साक्ष्य का विलोप, इस आशय से कारित करेगा कि आपरधि को वैध दंड से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से सम्बंधित कोई इतिल्ला देगा ,जिस के मिथ्या होने का उस ज्ञान या विश्वास है ;

यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है -यदि आपरध जिस के किये जाने का उसे ज्ञान या विशवास है ,वह मृत्यु से दंडनीय है तो वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 7 वर्ष तक हो सकेंगे और जुर्माने से भी दंडनीय होगा

यदि आजीवन कारावास से दंडनीय हो -और यदि वह अपराध (आजीवन कारावास ) से ,या ऐसे कारावास से जो 10 वर्ष तक का हो सकेगा,दंडनीय हो ,तो वह वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 3 वर्ष तक हो सकेंगे और जुर्माने से भी दंडनीय होगा

यदि10 वर्ष से कम कारावास से दंडनीय हो - और यदि वह अपराध ऐसे कारावास से इतनी अवधि के लिए दंडनीय हो जिस की अवधि 10 वर्ष से कम कारावास है ,तो वह उस अपराध के लिए उपंबाधित भाति के कारावास से उतनी अवधि के लिए ,जो उस अपराध के लिए उपंबाधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक -चैथाई तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा

दृस्तान्त
क यह जानते हुए की ख ने हत्या की है क को दंड से प्रतिच्छादित करने के आशय से मृत्य शरीर को छिपाने में ख की सहायता करता है। क 7 वर्ष के लिए दोनों भाति की कारावास से ,और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
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