भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के अनुसार
किये गए अपराध के विषय में मिथ्या इतिल्ला देना -जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास रखने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है ,उस अपराध के बारे में कोई ऐसे इत्तिला देगा जिस का मिथ्या होने का उस ज्ञान हो या विशवास हो
तो वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 2 वर्ष तक हो सकेंगे और जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
स्पष्टीकरण
धारा 201 और 202 में और इस धारा में "अपराध " शब्द के अनतर्गत (भारत ) के बहार किसी स्थान पर किया गया कोई भी ऐसा कार्य आता है ,जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धारा अर्थात302,304,382,392,393,394,395,396,397,398,399,402,435,436,449,450,457,458,459तथा460 में से किसी भी धारा के अधीन दंडनीय है।
किये गए अपराध के विषय में मिथ्या इतिल्ला देना -जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास रखने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है ,उस अपराध के बारे में कोई ऐसे इत्तिला देगा जिस का मिथ्या होने का उस ज्ञान हो या विशवास हो
तो वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 2 वर्ष तक हो सकेंगे और जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
स्पष्टीकरण
धारा 201 और 202 में और इस धारा में "अपराध " शब्द के अनतर्गत (भारत ) के बहार किसी स्थान पर किया गया कोई भी ऐसा कार्य आता है ,जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धारा अर्थात302,304,382,392,393,394,395,396,397,398,399,402,435,436,449,450,457,458,459तथा460 में से किसी भी धारा के अधीन दंडनीय है।
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