भारतीय दंड संहिता की धारा 207 के अनुसार
सम्पति पर उस के समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित के लिए उसे कपटपूर्वक दावा -जो कोई किसी सम्पति को , या उस में के किसी हित को ,यह जानते हुए कि ऐसी किसी सम्पति या हित या उसका अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है ,कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा ,प्राप्त करेगा या उस पर दावा करेगा अथवा किसी सम्पति या उसमे के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में इस आशय के प्रवचना करेगा कि तद्द्वारा वह उस सम्पति या या उस में के हित का ऐसे दंडादेश के आधीन ,जो न्यायालय या किसी अन्य समक्ष पदाधिकारी के द्वारा सुनाया जा चूका है या जिस के बारे में वह जनता है कि न्यायालय या किसी अन्य समक्ष पदाधिकारी के द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है ,समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिए लिया जाना , या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन में जो सिविल वाद में न्यायालय द्वारा दिया गया हो या जिस के बारे में वह जनता है की सिविल वाद में न्यायालय द्वारा सुनाया जाना सम्भाव्य है,लिया जाना निवारित करे करे वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 2 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
सम्पति पर उस के समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित के लिए उसे कपटपूर्वक दावा -जो कोई किसी सम्पति को , या उस में के किसी हित को ,यह जानते हुए कि ऐसी किसी सम्पति या हित या उसका अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है ,कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा ,प्राप्त करेगा या उस पर दावा करेगा अथवा किसी सम्पति या उसमे के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में इस आशय के प्रवचना करेगा कि तद्द्वारा वह उस सम्पति या या उस में के हित का ऐसे दंडादेश के आधीन ,जो न्यायालय या किसी अन्य समक्ष पदाधिकारी के द्वारा सुनाया जा चूका है या जिस के बारे में वह जनता है कि न्यायालय या किसी अन्य समक्ष पदाधिकारी के द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है ,समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिए लिया जाना , या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन में जो सिविल वाद में न्यायालय द्वारा दिया गया हो या जिस के बारे में वह जनता है की सिविल वाद में न्यायालय द्वारा सुनाया जाना सम्भाव्य है,लिया जाना निवारित करे करे वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 2 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
0 टिप्पणियाँ: