शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

आईपीसी की धारा 208 क्या है ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 208 के अनुसार

ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सेहन करना -जो कोई किसी व्यकति के बाद में ऐसी राशि के लिए जो ऐसे व्यकति को शोध्य न हो या शोध्य राशि से अधिक हो , या किसी ऐसी सम्पति का सम्पति के हित के लिए ,जिसका ऐसा व्यकति हकदार न हो ,अपने विरूद्ध कोई डिक्री या आदेश कपटपूर्वक पारित करवायेगा ,या पारित किया जाना सेहन करेगा अथवा किसी डिक्री या आदेश को उस के तुष्ट किये जाने के पशचात या किसी ऐसे बात के लिए ,जिस के विषय में उस डिक्री या आदेश की तुष्टी कर दी गयी हो ,आपने विरूद्ध कपटपूर्वक निष्पादित करवाएगा या किया जाना सहन करेगा वह वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 2 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा

दृस्तान्त

य जो एक व्यकति है उस के खिलाफ क जो दूसरा व्यकति है एक वाद सस्थित करता है ,य यह सम्भाव्य जानते हुए की क उस के विरुद्ध डिक्री अभिप्राप्त कर लेगा ,ख के बाद में ,जिस के विरूद्ध कोई न्यायसंगत दावा नहीं है ,अधिक रकम के लिए अपने विरूद्ध निर्णय किया जाना इस लिए कपटपूर्वक सेहन करता है क्यों की ख स्वय के लिए या य के फायदे के लिए य की सम्पति के किसी ऐसे विक्रय के आवमो का आंश ग्रहण करे जो क के डिक्री के आधीन किया जाये तो य ने इस धारा के अन्दर अपराध किया है
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