सवाल : अगर महिला झूठा रेप केस लगाती है तो इससे कैसे बचा जाये ? और धारा 376 को कैसे जीता जाये ? तथा रेप पीडिता महिला बलात्कारी को कैसे सजा दिलवाए ? रेप केस में जमानत कैसे मिलती है ? जानिए ?
जबाव :- बलात्कार अथवा रेप एक जघन्य अपराध है। आए दिन महिलाएं इसका शिकार हो रही हैं। और महिलाओ द्वारा भी झूठे केसो में पुरुषो को फसाया जा रहा है |
धारा 376 IPC रेप की परिभाषा क्या है :- रेप की परिभाषा धारा 375 IPC में दी हुई है इसके अनुसार अगर कोई पुरुष अपना शिशिन, या अपने शरीर का कोई अंग किसी महिला की योनी, मुत्रवाहिनी, गुदा या मुख में किसी भी सीमा तक डालता है या फिर कोई वस्तु महिला की योनी, मुत्रवाहिनी या गुदा में महिला को डराकर, नशे में, प्रलोभन देकर या जबरदस्ती या धोखे से किसी भी सीमा तक डालता है या फिर किसी से ऐसा करवाता है वो धारा 376 IPC रेप की परिभाषा में आता है इसके अलावा 18 वर्ष से कम उम्र की लडकी और 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी से उसकी सहमती से सहवास करना भी धारा 375 IPC रेप की श्रेणी में आता है
अगर लडकी दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो या फिर नशीले पदार्थ के सेवन के कारण वह होश में न हो तब उसकी सहमति भी ली गई हो।या फिर वो 18 वर्ष से कम उम्र की हो ऐसे में लड़की के साथ किया गया शारीरिक सम्बन्ध बलात्कार की श्रेणी में आता है
(दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट के अनुसार अगर पुरुष का शिशिन महिला की योनी को सिर्फ छू भी जाता है और अंदर भी नही जाता है तो भी वो रेप की श्रेणी में आता है | ये परिभाषा इस धारा में नही लिखी है लेकिनं कोर्ट की जजमेंट के बाद रेप को परिभाषित करती है)
375 बलात्संग– यह कहा जाता है कि किसी व्यक्ति ने “बलात्संग’ किया है अगर वह व्यक्ति
- अपना शिशन किसी भी सीमा तक किसी महिला के योनि, मुँह, मूत्रवाहिका या गुदा में प्रवेश कराता है या उससे या किसी अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है; या ।
- कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग जो शिशन न हो, किसी सीमा तक किसी महिला के योनि, मूत्रवाहिका या गुदा में डालता है या उससे या किसी अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है; या
- किसी महिला के शरीर के किसी भाग को छलसाधित करता है ताकि योनि, मूत्रवाहिका, गुदा या ऐसी महिला के शरीर के किसी भाग में प्रवेश कराया जा सके या उससे या किसी अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है; या
- अपना मुँह किसी महिला के योनि, गुदा, मूत्रवाहिका में डालता है या उससे या अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है; जो निम्नलिखित 7 विवरणों में से किसी के अधीन आने वाली परिस्थितियों के अधीन आता होः
- उसकी इच्छा के विरुद्ध।
- उसकी सम्मति के विरुद्ध।
- उसकी सम्मति से जब ऐसी सम्मति उसे या किसी व्यक्ति को जिसमें ऐसा अन्य व्यक्ति हितबद्ध है, मृत्यु या उपहति के भय में डालकर।
- उसकी सम्मति से, जब व्यक्ति जानता है कि वह उसका पति नहीं है एवं यह कि उसकी सम्मति इसलिए दी गयी है क्योंकि वह विश्वास करती है कि वह उसके साथ विधितः विवाहित है या ऐसा होने का विश्वास करती है। |
- उसकी सम्मति से जब ऐसी सम्मति देते समय मस्तिष्क की अस्वस्थचित्तता या नशे के कारण या उस व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से संज्ञा शून्यकारी पदार्थ दिए जाने के कारण, वह उस कृत्य की प्रकृति तथा परिणामों को समझने में अक्षम है जिसकी वह सम्मति देती है
- उसकी सम्मति सहित या इसके बगैर जब वह अठारह वर्ष से कम आयु की है।
- जब वह सम्मति देने में असमर्थ है।
स्पष्टीकरण 2– सम्मति से अभिप्रेत है स्पष्ट स्वैच्छिक सहमति जब महिला शब्दों, भावभंगिमाओं या भाषिक या अभाषिक संवाद के किसी रूप के माध्यम से उस विनिर्दिष्ट लिंगीय कृत्य में भाग लेने की इच्छा संसूचित करती है,
परन्तु यह कि कोई महिला जो प्रवेशन के कृत्य का शारीरिक रूप से प्रतिरोध नहीं करती है वह मात्र उस तथ्य के कारण लिंगीय गतिविधि की सम्मति देने वाले के तौर पर मानी नहीं जाएगी।
अपवाद 1- चिकित्सीय प्रक्रिया या हस्तक्षेप बलात्संग गठित नहीं करेगा।
अपवाद 2– एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जो पंद्रह वर्ष से कम की न हो, मैथुन या लिंगीय कृत्य बलात्संग नहीं है।
धारा 376 IPC रेप
धारा 376 A-E तक क्या है इसमें क्या सजा है :- धारा 376 के 8 भाग है जो की 376 के साथ इसके भाग A से E तक 8 रूपों में परिभाषित है | इन धाराओं के अंदर साधारण व्यक्ति द्वारा, सरकारी नोकर द्वारा, पति द्वारा, व सामूहिक बलत्कार के बारे में सजा को परिभाषित किया गया है | आपने पाठको की सहूलियत के लिए मैंने धारा 376 के सभी भागो का हिंदी में रूपांतरण किया है जो की निचे लिखा है | ये आपको इस धरा को बखूबी समझने में मदद करेगा :-
बलात्संग के लिए दण्ड- (1) जो कोई भी, उप-धारा (2) में उपबंधित मामलों के सिवाय, बलात्संग करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से दण्डित किया जायेगा जो दस वर्षों से कम का नहीं होगा पैर जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, तथा जुर्माने का भी दायी होगा।
(2) जो कोई भी
(क) एक पुलिस अधिकारी होते हुए बलात्संग कारित करता है
(i), उस थाना की सीमाओं के अंतर्गत जहाँ ऐसा पुलिस अधिकारी नियुक्त है; या (i) किसी स्टेशन हाऊस के परिसर में या । (iii) ऐसे पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा या ऐसे पुलिस अधिकारी के अधीनस्थ किसी पुलिस
अधिकारी की अभिरक्षा वाले किसी व्यक्ति पर; या
(ख) एक लोक सेवक होते हुए, ऐसे लोक सेवक की अभिरक्षा या ऐसे लोक सेवक के अधीनस्थ किसी लोक सेवक की अभिरक्षा में महिला के साथ बलात्संग कारित करता है; या
(ग) केन्द्र या राज्य सरकार की तैनाती के फलस्वरुप उस क्षेत्र की सशस्त्र बलों का एक सदस्य होते हुए बलात्संग कारित करता है; या
(घ) कारागार, रिमांड होम या तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन स्थापित अभिरक्षा के किसी अन्य स्थान या महिला अथवा बालकों के संस्थान के कर्मचारी या प्रबंधन में होते हुए ऐसे कारागार, रिमांड होम, स्थान या संस्थान के अंतःवासियों पर बलात्संग कारित करता है; या
(ङ) किसी अस्पताल का कर्मचारी या प्रबंधन का सदस्य होते हुए उस अस्पताल की किसी महिला के साथ बलात्संग कारित करता है; या । (च) महिला के रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक या भरोसे की स्थिति में मौजूद व्यक्ति या प्राधिकार सौंपा। गया व्यक्ति होते हुए ऐसी महिला के साथ बलात्संग कारित करता है; या
(छ) सामुदायिक या क्षेत्रीय हिंसा के दौरान बलात्संग कारित करता है; या
(ज) किसी महिला के साथ यह जानते हुए कि वह गर्भवती है बलात्संग कारित करता है; या
(झ) * * *
(ञ) ऐसी महिला के साथ बलात्संग कारित करता है, जो सम्मति देने में अक्षम है; या
(ट) महिला पर नियंत्रण या प्रभुत्व वाली स्थिति में होते हुए ऐसी महिला के साथ बलात्संग कारित करता है; या
(ठ) मानसिक या शारीरिक निःशक्तता से ग्रस्त महिला के साथ बलात्संग कारित करता है; या ।
(ड) बलात्संग कारित करते समय घोर शारीरिक उपहति कारित करता है या विकलांग बनाता है या विदूपित करता है या किसी महिला के जीवन को खतरे में डालता है; या ।
(ढ) उसी महिला के साथ बारम्बार बलात्संग कारित करता है; – वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से दण्डित किया जायगा जो दस वर्षों से कम का नहीं होगा पर जो
आजीवन कारावास तक का हो सकेगा जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास तथा जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण— इस उप-धारा के प्रयोजनों से-
(क) “सशस्त्र बलों” से अभिप्रेत है जल, थल तथा वायु सेना तथा इसमें शामिल है केन्द्र या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन अर्द्ध सैनिक बल या कोई सहायक बल सहित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन गठित सशस्त्र बलों का कोई सदस्य ।
(ख) “अस्पताल से अभिप्रेत है अस्पताल का परिसर तथा इसमें स्वास्थ्य लाभ के दौरान व्यक्तियों के या पुनर्वास तथा चिकित्सीय परिचर्या की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के अप्रवेश तथा उपचार हेतु किसी संस्थान का परिसर भी शामिल है;
(ग) “पुलिस अधिकारी” का वही अर्थ होगा जैसा पुलिस अधिनियम, 1861 के अधीन अभिव्यक्ति पुलिस” का दिया गया है; |
(घ) “महिला या बालकों के संस्थान से अभिप्रेत है, कोई संस्थान चाहे उसे एक अनाथाश्रम कहा जाय या उपेक्षित महिला या बालकों हेतु आवास या विधवा आश्रम या किसी अन्य नाम से पुकारा जाने वाला संस्थान जो महिलाओं एवं बालकों की देखभाल तथा प्रवेश के लिए स्थापित तथा अनुरक्षित किया जाता है;
[(3) जो कोई भी सोलह साल से कम उमर की महिला से बलात्संग करता है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से जो बीस वर्षों से कम का नहीं होगा, पर जो आजीवन कारावास तक का हो सकता है जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास, से दण्डित किया जायेगा, एवं जुर्माने का भी दायी होगा ।
परन्तु यह कि ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय व्ययों को पूरा करने तथा पुनर्वास के लिये न्यायोचित तथा युक्तिसंगत हो
परन्तु यह भी कि इस धारा के अधीन अधिरोपित किसी भी जुर्माना का भुगतान पीड़ित को किया जायेगा ।]
376 A. पीड़ित की मृत्यु या स्थायी अचेतावस्था कारित करने हेतु दण्ड– जो कोई भी धारा 376 की उप-धारा (1) या उप-धारा (2) के अधीन दण्डनीय अपराध कारित करता है तथा ऐसा करते हुए ऐसी उपहति करता है जो महिला की मृत्यु या स्थायी अचेतावस्था का कारण बनता है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से जो बीस वर्षों से कम का नहीं होगा, पर जो आजीवन कारावास तक का हो सकता है जिसका अर्थ है उस के जीवन के शेष भाग तक का कारावास या मृत्युदण्ड से दण्डित किया जायेगा।
376 AB. बारह साल से कम आयु की महिला से बलात्संग के लिये दण्ड– जो कोई भी बारह साल से कम उमर की महिला से बलात्संग करता है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से जो बीस वर्षे से कम का नहीं होगा, पर जो आजीवन कारावास तक का हो सकता है, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास तथा जुर्माना या मृत्यु दण्ड से दण्डित किया जायेगा।
परन्तु यह कि ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय व्ययों को पूरा करने तथा पुनर्वास के लिए न्यायोचित तथा युक्तिसंगत हो
परन्तु यह भी कि इस धारा के आधीन अधिरोपित किसी भी जुर्माना का भुगतान पीड़ित को किया जायेगा]
376 B. अलगाव के दौरान पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ बलात्संग— जो कोई भी अपनी स्वयं की पत्नी जो पृथक्करण की किसी डिक्री के अधीन या अन्यथा अलग रह रही है, उसकी सम्मति के बिना बलात्संग कारित करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि तक के लिए दण्डित किया जायेगा जो दो वर्षों से कम का नहीं होगा पर जो सात वर्षों तक का हो सकेगा, एवं जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण.– इस धारा में, “मैथुन” का अर्थ धारा 375 के खंड (क) से (घ) में वर्णित कृत्यों में से कोई होगा
376 C.-प्राधिकार प्राप्त व्यक्ति द्वारा मैथुन– जो कोई भी (क) प्राधिकारपूर्ण स्थिति में या वैश्वासिक सम्बन्ध में होते हुए; या (ख) एक लोक सेवक; या
(ग) किसी कारागार, रिमांड होम या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन या द्वारा स्थापित अभिरक्षा के अन्य स्थान, या महिलाओं या बालकों के संस्थान के अधीक्षक या प्रबन्धक; या
(घ) अस्पताल के प्रबंधन में या अस्पताल का कर्मचारी होते हुए,
अपनी अभिरक्षा या प्रभाराधीन परिसर में मौजूद किसी महिला को उत्प्रेरित या विलुब्ध करता है या ऐसी स्थति या वैश्वासिक सम्बन्ध के दुरुपयोग करता है तथा उस व्यक्ति के साथ मैथुन करता है, ऐसा मैथुन जो बलात्संग के अपराध के तुल्य नहीं है, दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से जो पाँच वर्षों से कम का नहीं होगा पर जो दस वर्षों तक का हो सकेगा एवं जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण 1.- इस धारा में “मैथुन’ का अर्थ धारा 375 के खंडों (क) से (घ) में वर्णित कोई भी कृत्य होगा।
स्पष्टीकरण 2.- इस धारा के प्रयोजनों से धारा 375 का स्पष्टीकरण 1 भी प्रयोज्य होगा।
स्पष्टीकरण 3.- किसी कारागार, रिमांड होम या अभिरक्षा के अन्य स्थान या महिला या बालकों के संस्थान के सम्बन्ध में “अधीक्षक” में एक ऐसा व्यक्ति भी शामिल है जो ऐसे कारागार, रिमांड होम, स्थान या, संस्थान में कोई अन्य पद धारण करता है जिसके पफलस्वरुप ऐसा व्यक्ति इसके अंतःवासियों पर कोई प्राधिकार या नियंत्रण का प्रयोग कर सकता है।
स्पष्टीकरण 4.– अभिव्यक्ति अस्पताल एवं महिलाओं एवं बालकों के संस्थान के क्रमशः वही अर्थ होंगे जैसा धारा 376 की उप-धारा (2) के स्पष्टीकरण में दिया गया है
376 D. सामूहिक बलात्संग.– जहाँ एक समूह गठित करनेवाले या एक सामान्य आशय के अग्रसारण में कार्य करने वाले एक या एक से अधिक लोगों द्वारा किसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है, उन व्यक्तियों में से प्रत्येक बलात्संग का अपराध कारित करने वाला समझा जायेगा तथा ऐसी अवधि के कठोर कारावास से दण्डित किया जायेगा, जो बीस वर्षों से कम का नहीं होगा, पर जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास तथा जुर्माने से दण्डित किया जायेगा;
परन्तु यह कि ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय व्ययों को पूरा करने तथा पुनर्वास के लिए न्यायोचित तथा युक्तिसंगत हो;
परन्तु यह भी कि इस धारा के अधीन अधिरोपित किसी भी जुर्माना का भुगतान पीड़ित को किया जायेगा
376 D A. सोलह साल के कम आयु की महिला से सामूहिक बलातसंग के लिए दण्ड– जहाँ एक समूह गठित करने वाले या एक सामान्य आशय के अग्रसारण में कार्य करने वाले एक या एक से अधिक लोगों द्वारा केसी सोलह वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलातसंग किया जाता है, उन व्यक्तियों में से प्रत्येक बलात्संग का अपराध करित करने वाला समझा जायेगा तथा वह आजीवन कारावास, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास से दण्डित किया जायेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा।
परन्तु यह कि ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय व्ययों को पूरा करने तथा पुनर्वास के लिये न्यायोचित तथा युक्तिसंगत हो।
परन्तु यह भी कि इस धारा के अधीन, अधिरोपित किसी भी जुर्माना का भुगतान पीड़ित को किया जायेगा
376 D B. बारह साल से कम आयु की महिला से सामूहिक बलात्संग के लिए दण्ड.– जहाँ एक समूह गठित करने वाले या एक सामान्य आशय के अग्रसारण में कार्य करने वाले एक या एक से अधिक लोगों द्वारा के किसी बारह वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलात्संग किया जाता है, उन व्यक्तियों में से प्रत्येक बलात्संग का अपराध कारित करने वाला समझा जायेगा तथा वह आजीवन कारावास, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास तथा जुर्माना या मृत्यु दण्ड से दण्डित किया जायेगा;
परन्तु यह कि ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सीय व्ययों को पूरा करने तथा पुनर्वास के लिए न्यायोचित तथा युक्तिसंगत हो;
परन्तु यह भी कि इस धारा के अधीन, अधिरोपित किसी भी जुर्माना का भुगतान पीड़ित को किया जायेगा।]
376 E, बारम्बार अपराध करने वालों के लिए दण्ड.- जो कोई भी पहले धारा 376 या धारा 376 A या धारा 376 D के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है तथा तत्पश्चात् उक्त धाराओं में से किसी के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है वह आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति के जीवन के शेष भाग तक का कारावास या मृत्यु दण्ड से दण्डित किया जायेगा ]
धारा 376 IPC रेप के बाद पीडिता को मिलने वाली सुविधाए :-
- सबसे पहले पुलिस में शिकायत दे घटना की तारीख,समय व स्थान का विवरण अवश्य लिखाएं रिपोर्ट लिखाने के बाद उसकी एक कापी अवश्य लें ये कोपी आपको फ्री में दी जाएगी । अगर पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से मना करे तो उसकी शिकायत करे पुलिस ऑफिसर पर कार्यवाही जरुर होगी
- अगर लडकी की हालत सही नही है तो पुलिस का कर्तव्य है कि वह पीडि़त महिला की सबसे पहले डाक्टरी जाँच करवाए तथा उसके बयान बाद में ले कर धारा 376 IPC रेप की FIR करे और घटना के अनुसार A से E तक जो धारा लगती हो वो लगाये
- मेडिकल करवाने से पहले पीडिता नहाये नही क्योकि इससे बलत्कार के सबूत मिट जाते है
- बलात्कार के समय जो कपड़े पीडि़त महिला ने पहने हैं, डाक्टरी जांच के बाद पुलिस आपके सामने उन कपड़ों को सील बन्द करेगी जिसकी रसीद अवश्य ले आप के लिए नये कपड़ो का बन्दोबस्त पुलिस स्वय भी कर सकती है या फिर आप अपने किसी परिजन से मंगवा ले
- धारा 376 IPC रेप में डॉक्टर अगर अनचाहे गर्भ को हटाने के लिए दवाई दे तो उसे ले ये क़ानूनी सही है |
- धारा 376 IPC रेप केस हुआ है , इसे सिद्ध करने के लिये लिए डॉक्टर टू फिंगर टेस्ट करते हैं। यह एक बेहद विवादास्पद परीक्षण है, जिसके तहत महिला की योनी में उंगलियां डालकर अंदरूनी चोटों की जांच की जाती है। यह भी जांचा जाता है कि दुष्कर्म की शिकार महिला सम्भोग की आदी है या नही
- बलात्कार के मामले की सुनवाई एक बन्द कमरे में होती है किसी अन्य व्यक्ति को वहाँ उपस्थित रहने की अनुमति नहीं होती
- पीडिता को पुलिस स्टेशन जाने के बाद NGO का भी सहारा मिलता है एक महिला उसके साथ रहती है और उसकी मदद करती है
धारा 376 IPC रेप केस पीडिता कैसे जीते :- अगर पीडिता के सार्थ समिहिक बलत्कार हुआ है तो ऐसे में सबूत अपने आप ही बन जाते है लेकिन की बार ऐसा भी होता है की कोई मासूम लडकी किसी पुरुष जाल में फस कर रेप का शिकार बन जाती है ऐसे में पीडिता का ये कहना ही काफी होता है की उसके साथ शाररिक सम्बन्ध बने है लेकिन इन बातो का ध्यान रखे तो आपका केस ज्यादा मजबूत हो जायेगा
- पुरुष के साथ जब सम्बन्ध बने उसके सबूत फोटो, विडियो, होटल की बुकिंग, जगह या कपड़े वो पुलिस को सोपे और सबूत के तोर पर पेश करे
- शारीरिक सम्बन्ध अगर मर्जी से भी बने होतो भी हमेशा बयान दे की पुरुष के दबाव देने पर या बहकाने पर ही शारीरिक सम्बन्ध बने थे
- शारीरिक सम्बन्ध बन्ने के बाद सीधे मेडिकल करवाए इसमें देर नही करे की बार पीडिता किसी को बताती नही है तथा अपने परिवार को बताने में देर कर कर देती है जिससे की उसके शरीर पर रेप या शाररिक सम्बन्धो के सबूत मिट जाते है जो की जरूरी होते है इसलिए फ्न्हाये नही उन्ही कपड़ो में मेडिकल करवाए
- FIR में पुरुष का हुलिया स्थान व समय का विवरण करे
धारा 376 IPC रेप के आरोप में पुलिस की भूमिका :- इसमे पुलिस अफ आई आर करने से मना नही कर सकती है इसके लिए काफी सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट है जिनके अनुसार शिकायत सही हो या गलत पुलिस अफ आई आर करने से मना नही कर सकती है बाद में चाहे इन्वेस्टीगेशन में पुलिस कुछ भी करे वो उसकी पॉवर है | पर ये तो लाजमी है की ऐसी शिकायत में अफ आई आर तो होगी ही | हा अगर कोई पुलिस ऑफिसर अफ आई आर करने से मना करता है तो शिकायत करने पर वो सस्पेंड हो जायेगा
धारा 376 IPC रेप के आरोप में कोर्ट की कार्यवाही:- कोर्ट किसी भी व्यक्ति को अफ आई आर में लिखे हुये तथ्यों को व कोर्ट की गवाही में दिए हुए तथ्यों के मिलान के अनुसार ही दोषी या निर्दोष साबित करता है तो पुरुष को चाहिए की वो महिला के सारे तथ्यों व दावों को झूठा साबित करे व महिला को चाहिए की वो अपनी शिकायत पर ही टिकी रहे | यहाँ में ज्यादा नही लिखूंगा क्यों की इन केसों के तथ्यों की प्रक्रति सेकड़ो प्रकार की होती है लेकिन शादी न करने पर सहमती से शारीरिक सम्बन्धो के आरोपों पर कोर्ट का रुख पुरुष की तरफ नर्म ही रहता है |
धारा 376 IPC रेप केस में पीड़ित महिला को जुर्माना भत्ता मिलना :- कम लोगो को ही इसके बारे मे पता है की महिलायों को ऐसे में कोर्ट से अपने पर हुए जुल्म के लिए जुरमाने के तोर पर पैसा भी मिल सकता है
दरअसल आपने देखा होगा की कोई भी केस हो उसका टाइटल स्टेट वेर्सुस ही होता है दरअसल कोई भी जुर्म होता है तो वो स्टेट यानी सरकार के खिलाफ होता है तो ऐसे में सरकार ही शिकायत कर्ता को जुर्माने के तोर पर पैसा देती है जो की सिर्फ महिलायों को ही धारा 354 IPC और धारा 376 रेप के केस में मिलता है ये पैसा अफ आई आर होने के बाद कोर्ट से लिया जा सकता है और ऐसा भी नही है की अगर आप केस हार जाये तो ये पैसा आपको वापस करना पड़ेगा ऐसा बिलकुल भी नही है
पैसा कितना मिलेगा ये कोर्ट पर निर्भर करता है लेकिन रेप के केस में पीडिता को घटना के 6 महीने के अंदर ही मुआवजा दिया जाना जरूरी होता है ये मुआवजा एक लाख से शुरू होकर कितना भी हो सकता है ये पीडिता के उपर हुए जुल्म के आधार पर निर्भर करता है
धारा 376 IPC रेप में बेल कैसे ले :- ज्यादातर तो ऐसे केसों में बेल चार्जशीट फाइल होने के बाद ही मिलती है लेकिन अगर आपके पास कोई ठोस सबूत है तो आप को बेल मिल सकती है ठोस सबूत से मतलब जैसे की आप घटना वाले दिन कही और थे या फिर ऐसा सबूत जिसमे महिला स्वय आप को सम्बन्ध बनाने के लिए उसका रही हो या फिर बुला रही हो इत्यादि | वैसे एक बात बता दू धारा 376 IPC रेप केस में बैल मिलने का सबसे बड़ा आधार महिला की मेडिकल रिपोर्ट होती है अगर वो आपके फेवर में है तो आप बेल ले सकते है लेकिन ज्यादातर ऐसे मामलो में बेल हाई कोर्ट से ही मिलती है
अगर कोई महिला पुरुष पर शादी का झासा दे कर रेप करने का आरोप लगाये तो बेल कैसे ले व केस कैसे जीते :- जैसा की हम जानते है की आज कल किसी महिला व पुरुष का दोस्ती के बाद शारीरिक सम्बन्ध बनाना कोई बड़ी बात नही है ऐसे में महिला पुरुष को शादी करने के लिए या फिर ठगने के लिए उस पर धारा 376 IPC रेप का आरोप लगा देती है | वैसे तो शादी का झासा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाना रेप की परिभाषा में आता है लेकिन कई बार इसमें लड़का निर्दोष होता है और लडकी के जाल में फस जाता है ऐसे में पुरुष एन सुझावों को अपनाये |
- अगर रेप करने के कोई ठोस सबूत नही है तो आप लडकी से शाररिक सम्बन्ध नकार सकते है तथा मेडिकल टेस्ट में टू फिंगर टेस्ट की रिपोर्ट पर जोर देकर महिला को गलत साबित कर सकते है
- अगर शारीरिक सम्बन्धो के सबूत फोरन्सिक रिपोर्ट या विडिओ या फोटो में है तो आप सम्बन्ध बनाना स्वीकार करे तथा सम्बन्ध धोखे से नही बनाये है ये साबित करे लेकिन ये तभी कारगर है जब लडकी की उम्र 18 वर्ष या इससे ज्यादा है
- अगर महिला ने कभी आपको शारीरिक सम्बन्धो के अप्रोच किया है और उसका कोई सबूत आपके पास है तो वो सबूत कोर्ट में पेश करे गवाह भी पेश कर सकते है
- आरोपों के अनुसार महिला से पूछे की उसके साथ सम्बन्ध बने थे उस वक्त उसने क्या सोच कर संबंधो को सहमती दी थी तथा विरोध क्यों नही किया तथा कितनी बार सम्बन्ध बनाये तथा उस समय पुलिस में शिकायत क्यों नही की ये शिकायत तभी की है जब लडके ने शादी करने से मना किया
- मेडिकल रिपोर्ट में कमिया देखे व उन्हें हथियार के तोर पर इस्तेमाल करे
- अगरधारा 376 IPC रेप केस ज्यादा गम्भीर है तो चार्ज शीट जल्दी फाइल करवाने की कोशिश करे
- धारा 376 IPC रेप केस में FSL रिपोर्ट अगर हमेशा देर से आती है उसे बहाना बना कर बेल के लिए कोर्ट पर दबाव बनाये
- धारा 376 IPC रेप केस में घरेलू मजबूरियों का हवाला दे कर भी बेल मिल सकती है
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