बुधवार, 29 अगस्त 2018

घरेलू हिंसा केस में सास व ननद के क़ानूनी अधिकार कौन कौन से हैं जानिए ?


सवाल : क्या सास और कुवारी ननद भी बहु पर घरेलू हिंसा का केस कर सकती है सास व ननद को बहु के खिलाफ कौन कौन से क़ानूनी अधिकार प्राप्त है ? जानिए

जवाब :- हम सोचते है की घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 सिर्फ बहु के लिए ही बना है तथा वही घर के बाकी सदस्यों पर केस कर सकती है लेकिन ऐसा नही है, सास और कुवारी ननद भी बहु के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम  2005  के तहत केस कर सकती है सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट के अनुसार घरेलू हिंसा कानून सभी महिलाओ के लिए बना  है इसमें वे सभी महिला सामिल है जो की उस घर में रहती है वे उस घर में रहने वाले बाकि सदस्यों जो की परुष व स्त्री दोनों हो सकते है के खिलाफ केस कर सकती है | ये प्रावधान पहले नही था पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसको मान लिया की परिवार में रहने वाली प्रत्येक महिला को घरेलू हिंसा का अधिकार प्राप्त है वे महिला बहु के अलावा सास, कुवारी ननंद या बेटी भी हो सकती है |

इस अधिनियम के तहत सास भी अपनी बहु (बेटे की पत्नी) के खिलाफ घरेलू हिंसा में केस कर सकती है वो इसमें अपनी बहु को सजा भी करवा सकती है इस केस में अगर सास के नाम वो मकान है तो वह अपनी बहु को कोर्ट के आदेश से उस घर को खली भी करवा सकती है, सास चाहे तो अपने बेटे व उसके बच्चो (पोते और पोतियों) के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवा सकती है |

ये कानून घर में रहने वाली महिलाओं के लिए है जो कुटुंब के भीतर होने वाली किसी किस्म की हिंसा से पीडि़त हैं. इसमें अपशब्द कहे जाने, किसी प्रकार की रोक-टोक करने और मारपीट करना आदि प्रताडऩा के प्रकार शामिल हैं.और वो प्रताड़ना किसी पुरुष या स्त्री दोनों के द्वारा दी जा सकती है घर में आई बहु  भी अपनी सास को प्रताड़ित कर सकती है तथा कुवारी नन्द को भी परेशान कर सकती है तो कानून ये अधिकार बहु के अलावा सास और ननंद को भी देता है

बहु व ननद के लिए घरेलू हिंसा की परिभाषा क्या हैं ?

घरेलू हिंसा केस
परिवार का कोई भी पुरुष सदस्य या महिला अगर किसी दुसरी महिला  को मारते है, या उसके साथ अभद्र भाषा में बात करते है या उसे किसी भी चीज के लिए विवश करते है तो वे  उस महिला के साथ घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम के अंतर्गतदोषी होते है

सास व ननंद के खिलाफ व्यापक तौर पर घरेलू हिंसा के प्रकार इस तरह हैं

  • शारिरिक हिंसा :- अगर बहु अपनी सास या ननद के साथ मारपीट , धकेलना, ठोकर मारना, लात मारना मुक्का मारना, ताना मारना, या किसी अन्य रीति से शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुंचाना सामिल है
  • मौखिक और भावनात्मक हिंसा:- बहु द्वारा अपनी सास या ननद का अपमान करना, चरित्र पर दोषारोपण करना, ननद को शादी नही होने पर अपमानित करना, ननंद को नौकरी न करने या उसे छोड़ देने के लिए विवश करना, ननंद को उसकी पसंद के व्यक्ति से विवाह न करने देना, किसी विशेष व्यक्ति से विवाह करने के लिए विवश करना, आत्महत्या करने की धमकी देना, कोई अन्य मौखिक दुर्व्यव्हार् अपनी सास व ननंद के साथ करना
  • आर्थिक हिंसा:- सास या ननंद को परेशान करना उनको घर के साधन नही इस्तेमाल करने देना, घर पर कब्ज़ा करना, किसी विशेष कमरे में जाने से रोकना अगर सास के नाम मकान है तो उस मकान को खाली नही करना तथा घर के किसी हिस्से पर कब्ज़ा कर लेना इत्यादि |

घरेलू हिंसा के तहत सास के अधिकार :- जी हा इस इस अधिनियम के तहत सास को भी वे अधिकार प्राप्त है जो की घर बियाह कर आई बहु को प्राप्त है और इस कानून को लागू करने की ज़िम्मेदारी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता या मजिस्ट्रेट की होती है जो की महिला को उसके अधिकार दिलवाने में मदद करते है | सास के अधिकार निमंलिखित है :-

  • सास चाहे तो अपनी बहु के खिलाफ किसी भी राहत के लिए उसकी प्रताड़ना के खिलाफ आवेदन कर सकती है | इसमें पीड़ित सास को घर में एक सुरक्षित हिस्से में रहने का अधिकार होगा | अगर वह मकान सास के नाम है तो ये अधिनियम बहु को घर से निकलने का अधिकार सास को प्रदान करता है
  • बहु की तरह सास को भी कोर्ट के आदेश के द्वारा पुलिस और संरक्षण अधिकारी द्वारा संरक्षण प्राप्त हो सकता है
  • सास अपनी बहु के अलावा अपने बेटे व उसके बच्चो के खिलाफ भी संरक्षण प्राप्त कर सकती है
  • पीड़ित सास संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है
  • पीड़ित सास निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग कर सकती है

घरेलू हिंसा के तहत ननंद के अधिकार :-

  • जिस मकान में ननंद अपनी भाभी (बहु) के के साथ रह रही हो | अगर वो मकान दादालाई सम्पति हो तो उसमे उस ननंद का भी अधिकार है | तो ननंद अपने हिस्से से अपनी भाभी, को दूर कर सकती है
  • बहु व सास की तरह ही ननंद को भी कोर्ट के आदेश के द्वारा पुलिस और संरक्षण अधिकारी द्वारा संरक्षण प्राप्त हो सकता है
  • ननंद अपनी भाभी, भाई, उनके बच्चे और अगर चाहे तो अपने माता पिता के खिलाफ भी कोर्ट से संरक्षण प्राप्त कर सकती है
  • पीड़ित ननंद कोर्ट से निशुल्क क़ानूनी सहायता ले सकती है
  • पीड़ित ननंद भी संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है

कोर्ट में शिकायत कैसे करे :-
सबसे पहले ये जरूरी है की आप शिकायत कैसे करे क्योकि केस जीतने के लिए सबके पहले केस का मजबूत होना जरूरी होता है |


  • अपनी शिकायत साफ स्पस्ट और सीधे रूप में लिखे तथा घटनाओ का जिक्र एक रूपता में हो |
  • आप अपनी शिकायत धारा 12 के अंतर्गत करे तथा कोर्ट से और भी रिलीफ लेने के लिए बाकी धाराओं का भी उपयोग करे जैसे की धारा 19 के तहत सास व ननंद घर में अपने अधिकार की मांग कर सकती है | तथा बहु को घर से निकालने के लिए सास, धारा 19(1) A तहत बहु को घर से बाहर निकलने का अधिकार भी कोर्ट से मांग सकती है
  • अगर कोई मार-पिटाई सास व ननंद के साथ हुई है तो उसकी मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में लगाये
  • इसके अलावा कोई और सबूत जैसे की कोई ऑडियो या विडियो रिकोर्डिंग हो तो उसको भी संकलन करे |
  • घटना का कोई चश्मदीद गवाह होतो आप उसकी गवाही करवा सकते है

कोर्ट से क्या अपेक्षा कर सकते है :-
कोर्ट महिला की शिकायत पर संज्ञान लेकर उस पर कारवाही करता है वैसे तो धारा 12 (5) के तहत शिकायत निपटाने की समय सीमा 60 दिनों की होती है पर केसों की ज्यादता के कारण ये सम्भव नही होता है लेकिन अगर बहु ने सास या ननंद के साथ कोई घरेलू हिंसा की है तो उसको एक साल की सजा व 20 हजार रूपए तक का जुर्माना लगना तय है |

धारा 19 के तहत सास द्वारा बहु को घर में न घुसने देने के लिए स्टे :- वैसे तो पहले इस अधिकार का प्रयोग सिविल केस डाल कर किया जाता था जो की बहुत लम्बी व खर्चीली कानूनी कारवाही हो जाती थी लेकिन घरेलू हिंसा कानून में इसके लिए कानून होने के कारण अब ये बहुत आसानी के सास को उसके अधिकार दिलवा देती है
सास व ननंद घरेलू हिंसा कानुन का केस कैसे जीते :-सबसे पहले ये जान ले की आप के केस का आधार घरेलू हिंसा है और इसी आधार पर आप अपनी बहु से मकान खाली करवा सकते है | तो सबसे ज्यादा अपने साथ हुई घरेलु हिंसा को ध्यान में रख कर केस लड़े|

  • केस में जो भी घटना लिखे उसको तारीख, महिना, या साल जो भी याद हो उसके साथ लिखे बिना किसी तारीख या साल के उस घटना का कोई वजूद नही रह जाता है वह झूटी घटना साबित होती है |
  • सास व ननंद के लिए जरूरी है की अगर वो किसी भी प्रकार की शाररिक हिंसा जो की मारपिटाई से सम्बन्धित हो के आरोप लगाती है तो उसके लिए जरूरी है की वो अपनी मारपिटाई के मेडिकल बिल भी साथ में लगाये, अन्यथा वो मारपिटाई भी कोर्ट में झूटी साबित होगी
  • अगर कोई ओडियो या विडियो रिकोर्डिंग भी है तो उसको भी संकलन करे |
  • सास व ननंद अगर मकान का दावा कर रही है तो मकान के पेपर साथ लगाये तथा बहु के घर में रहने से आप को हुई असुविधा व परेशानियों को कोर्ट को बताये
  • जो भी आपने अपनी एप्लीकेशन में लिखा है उसको याद रखे व किसी अच्छे वकील साहब की मदद ले |

बहु घरेलू हिंसा कानून का केस सास व ननंद से कैसे जीते :-

  • बहु को चाहिए की ये डिफेन्स ले की उसका पति, सास, ननंद ये सभी मिले हुए है तथा मुझ पर दबाव बनाने के लिए ये झूटा केस डाला गया है
  • सास या ननंद अगर किसी भी घटना का ब्यौरा दे कर आरोप लगाती है तो उस घटना की तारीख महिना व साल जरुर पूछे तथा उसका सबूत भी मांगे क्योकि बिना किसी सबूत के वो आरोप बेकार है
  • आपकी सास या ननंद ने आप के खिलाफ ये केस क्यों किया है इसका विवरण कोर्ट को दे कोशिश करे की इसकी जिम्मेदारी अपने पति की मिली भगत पर ही डाले |
  • घुमाकर सवाल कैसे पूछे जाते है ये केस पर निर्भर करता है ये सब इतना बड़ा है की लिखा नही जा सकता है और वो ये आपके वकील साहब ज्यादा अच्छी तरह जानते है |इसलिए काबिल वकील साहब को नियुक्त करे |

जमानत Bail :-  इस केस में दोषी (बहु) को जमानत लेने की जरूरत नही होती है

पुलिस का रोल :-  अगर कोर्ट सास व ननंद के लिए सुरक्षा (मानसिक व शाररिक ) का आदेश पारित करती है | तो उस आदेश को सही प्रकार से पालन करवाने  की ड्यूटी पुलिस की होती है | जैसे की कोर्ट ने आदेश दे दिया बहु बिना कोर्ट के आदेश के अपनी ससुराल में नही जाएगी (चाहे बहु का दहेज का समान वह पर रखा हो) अगर वो जाती है तो उसे कोर्ट से आदेश लेना होगा | पर अगर बहु ऐसा नही करती है तो सास या ननंद 100 पर कॉल करके पुलिस द्वारा FIR दाखिल करवा सकती  है व कोर्ट में सास या ननंद कोर्ट का आदेश न मानने पर बहु पर धारा 340 CR.P.C. में भी केस कर सकती है  |

केस कहा फ़ाइल् हो सकता है  :- जहा पर सास या ननंद बहु के साथ रह रही हो और घरेलू हिंसा की शिकार हुई हो |अगर वो अलग- अलग जगह रही है तो उन सभी जगहों में से एक जगह पर केस कर सकती है

या फिर हर जगह की घटना के लिए उस हर जगह भी केस कर सकती है जहा पर वो घटना हुई है | लेकिन ऐसे में उसे सिर्फ उस जगह पर हुये अपने साथ अपराध के लिए ही दोषी के लिए सजा मांगनी होगी |

क्या केस मजिस्ट्रेट के पास ही खत्म हो सकता है :- जी हा, ये केस शिकायतकर्ता महिला के आवेदन पर किसी भी स्टेज पर उसी महिला कोर्ट में कभी भी समझोते द्वारा खत्म किया जा सकता है
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