आईपीसी की धारा 378
चोरी: जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे में से, उस व्यक्ति की सम्मति के बिना, कोई चल सम्पति बेईमानी से ले लेने का आशय रखते हुए उस सम्पति को हटाता है, इसे ही चोरी कहा जाता है
स्पष्टीकरण 1: जब तक कोई वस्तु भूबद्ध रहती है, जंगम सम्पति न होने से चोरी का विषय नहीं होती ; किन्तु ज्यों ही वह भूमि से पृथक की जाती है वह चोरी का विषय होने योग्य हो जाती है ।
स्पष्टीकरण 2-- हटाना, जो उसी कार्य द्वारा किया गया है जिससे पृथक्करण किया गया है, चोरी हो सकेगा ।
स्पष्टीकरण 3-- कोई व्यक्ति किसी चीज का हटाना कारित करता है, यह कहा जाता है जब वह उस बाधा को हटाता है जो उस चीज को हटाने से रोके हुए हो या जब वह उस चीज को किसी दूसरी चीज से पृथक करता है तथा जब वह वास्तव में उसे हटाता है ।
स्पष्टीकरण 4-- वह व्यक्ति जो किसी साधन द्वारा किसी जीवजन्तु का हटाना कारित करता है, उस जीवजन्तु को हटाता है, यह कहा जाता है ; और यह कहा जाता है कि वह ऐसी हर एक चीज को हटाता है जो इस प्रकार उत्पन्न की गई गति के परिणामस्वरुप उस जीवजन्तु द्वारा हटाई जाती है ।
स्पष्टीकरण 5-- परिभाषा में वर्णित संपति अभिव्यकत या विवक्षित हो सकती है, और वह या तो कब्जा रखने वाले व्यक्ति द्वारा, या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जो उस प्रयोजन के लिए अभिव्यक्त या विवक्षित प्राधिकार रखता है, दी जा सकती है ।
उदाहरण :
1) A की सम्म्ति के बिना A के कब्जे में से एक वृक्ष बेईमानी से लेने के आशय से A की भूमि पर लगे हुए उस वृक्ष को B काट डालता है । यहां, ज्योंहि B ने इस प्रकार लेने के लिए उस वृक्ष को पृथक किया, उसने चोरी की ।
(ख) क अपनी जेब में कुत्तों के लिए ललचाने वाली वस्तु रखता है, और इस प्रकार य के कुत्तों को अपने पीछे चलने के लिए उत्प्रेरित करता है । यहां, यदि क का आशय य की सम्मति के बिना य के कब्जे में से उस कुत्ते को बेईमानी से लेना हो, तो ज्योंही य के कुत्ते क के पीछे चलना प्रारंभ किया, क ने चोरी की।
(ग) मूल्यावान वस्तु की पेटी ले जाते हुए एक बैल क को मिलता है । वह उस बैल को इसलिए एक खास दिशा में हांकता है कि वे मूल्यवान वस्तुएं बेईमानी से ले सके । ज्योंही उस बैल ने गतिमान होना प्रारम्भ किया, क ने मूल्यवान वस्तुएं चोरी की ।
(घ) क, जो य का सेवक है जिसे य ने अपनी प्लेट की देखरेख न्यस्त कर दी है, य की सम्मति के बिना प्लेट को लेकर बेईमानी से भाग गया। क ने चोरी की ।
(ङ) य यात्रा को जाते समय अपनी प्लेट लौटकर आने तक, क को, जो एक भाण्डागरिक है, न्यस्त कर देता है । क उस प्लेट को एक सुनार के पास ले जाता है और वह प्लेट बेच देता है । यहां वह प्लेट य के कब्जे में नहीं थी, इसलिए वह य के कब्जे में से नहीं ली जा सकती थी और क ने चोरी नहीं की है, चाहे उसने आपराधिक न्यासभंग किया हो ।
(च) जिस गृह पर य का अधिभोग है उसके मेंज पर य की अंगूठी क को मिलती है । यहां, वह अंगूठी य के कब्जे में है, और यदि क उसको बेईमानी से हटाता है, तो वह चोरी करता है ।
(छ) क को राजमार्ग पर पड़ी हुई अंगूठी मिलती है, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में नहीं है । क ने उसके ले लेने से चोरी नहीं की है, भले ही उसने संपति का आपराधिक दुर्विनियोग किया हो ।
(ज) य के घर में मेंज पर पड़ी हुई य की अंगूठी क देखता है । तलाशी और पता लगाने के भय से उस अंगूठी का तुरंत दुर्विनियोग करने का साहस न करते हुए क उस अंगुठी को ऐसे स्थान पर, जहां से उसका य को कभी भी मिलना अति अनधिसम्भाव्य है, इस आशय से छिपा देता है कि छिपाने के स्थान से उसे उस समय ले ले और बेच दे जबकि उसका खोया जाना याद न रहे । यहां, क न उस अंगूठी को प्रथम बार हटाते समय चोरी की है ।
(झ) य को, जो एक जौहरी है, क अपनी घड़ी समय ठीक करने के लिए परिदत्त करता है । य उसको अपनी दुकान पर ले जाता है । क, जिस पर उस जौहरी का, कोई ऐसा ऋण नहीं है, जिसके लिए कि वह जौहरी उस घड़ी को प्रतिभूति के रुप में विधिपूर्वक रोक सके, खुले तौर पर उस दुकान में घुसता है, य के हाथ से अपनी घड़ी बलपूर्वक ले लेता है, और उसको ले जाता है । यहां क ने भले ही आपराधिक अतिचार और हमला किया हो, उसने चोरी नहीं की है, क्योंकि जो कुछ भी उसने किया बेईमानी से नहीं किया ।
(ञ) यदि उस घड़ी की मरम्मत के संबंध में य को क से धन शोध्य है, और यदि य उस धड़ी को उस ऋण की प्रतिभूति के रुप विधिपूर्वक रख सकता है और क उस घड़ी को य के कब्जे में से इस आशय से ले लेता है कि य को उसके ऋण की प्रतिभूति रुप उस संपति से वंचित कर दे तो उसने चोरी की है क्योंकि वह उसे बेईमानी से लेता है ।
(ट) और यदि क अपनी घड़ी य के पास पणयम करने के बाद घड़ी के बदले लिए गए ऋण को चुकाए बिना उसे य के कब्जे में से य की सम्मति के बिना ले लेता है, तो उसने चोरी की है, यध्यपि वह घड़ी उसकी अपनी ही संपति है, क्योंकि वह उसको बेईमानी से लेता है ।
(ठ) क एक वस्तु को उस समय तक रख लेने के आशय से जब तक कि उसके प्रत्यार्वतन के लिए पुरस्कार के रुप में उसे से धन अभिप्राप्त न हो जोए, य की संपति के बिना य के कब्जे में से लेता है । यहां क बेईमानी से लेता है, इसलिए, क ने चोरी की ।
(ड) क, जो य का मित्र है, य की अनुपस्थिति में य के पुस्तकालय में जाता है, और य की अभिव्यक्त सम्मति के बिना एक पुस्तक केवल पढ़ने के लिए और वापस करने के आशय से ले जाता है । यहां यह अधिसम्भाव्य है कि क ने यह विचार किया हो कि पुस्तक उपयोग में लाने के लिए उसको य की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, यदि क का यह विचार था, तो क ने चोरी नहीं की है ।
(ढ) य की पत्नी से क खैरात मांगता है । वह क को धन, भोजन और कपड़े देती है जिनको क जानता है कि वे उसके पति य के हैं । यंहा, यह अधिसभ्भाव्य है कि क का यह विचार हो कि य की पत्नी को भिक्षा देने का प्राधिकार है । यदि क का यह विचार था, तो क ने चोरी नहीं की है ।
(ण) क, य की पत्नी का जार है । वह क को एक मूल्यवान संपति देती है जिसके संबंध में क यह जानता है कि वह उसके पति य की है, और वह ऐसी संपति है, जिसको देने का प्राधिकार उसे य से प्राप्त नहीं है । यदि क उस संपति को बेईमानी से लेता है, तो बह चोरी करता है ।
(त) य की संपति को अपनी स्वयं की संपति होने का सदभावपूर्वक विश्वास करते हुए ख के कब्जे में से उस संपति को क ले लेता है । यहां क बेईमानी से नहीं लेता, इसलिए वह चोरी नहीं करता ।
चोरी: जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे में से, उस व्यक्ति की सम्मति के बिना, कोई चल सम्पति बेईमानी से ले लेने का आशय रखते हुए उस सम्पति को हटाता है, इसे ही चोरी कहा जाता है
स्पष्टीकरण 1: जब तक कोई वस्तु भूबद्ध रहती है, जंगम सम्पति न होने से चोरी का विषय नहीं होती ; किन्तु ज्यों ही वह भूमि से पृथक की जाती है वह चोरी का विषय होने योग्य हो जाती है ।
स्पष्टीकरण 2-- हटाना, जो उसी कार्य द्वारा किया गया है जिससे पृथक्करण किया गया है, चोरी हो सकेगा ।
स्पष्टीकरण 3-- कोई व्यक्ति किसी चीज का हटाना कारित करता है, यह कहा जाता है जब वह उस बाधा को हटाता है जो उस चीज को हटाने से रोके हुए हो या जब वह उस चीज को किसी दूसरी चीज से पृथक करता है तथा जब वह वास्तव में उसे हटाता है ।
स्पष्टीकरण 4-- वह व्यक्ति जो किसी साधन द्वारा किसी जीवजन्तु का हटाना कारित करता है, उस जीवजन्तु को हटाता है, यह कहा जाता है ; और यह कहा जाता है कि वह ऐसी हर एक चीज को हटाता है जो इस प्रकार उत्पन्न की गई गति के परिणामस्वरुप उस जीवजन्तु द्वारा हटाई जाती है ।
स्पष्टीकरण 5-- परिभाषा में वर्णित संपति अभिव्यकत या विवक्षित हो सकती है, और वह या तो कब्जा रखने वाले व्यक्ति द्वारा, या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जो उस प्रयोजन के लिए अभिव्यक्त या विवक्षित प्राधिकार रखता है, दी जा सकती है ।
उदाहरण :
1) A की सम्म्ति के बिना A के कब्जे में से एक वृक्ष बेईमानी से लेने के आशय से A की भूमि पर लगे हुए उस वृक्ष को B काट डालता है । यहां, ज्योंहि B ने इस प्रकार लेने के लिए उस वृक्ष को पृथक किया, उसने चोरी की ।
(ख) क अपनी जेब में कुत्तों के लिए ललचाने वाली वस्तु रखता है, और इस प्रकार य के कुत्तों को अपने पीछे चलने के लिए उत्प्रेरित करता है । यहां, यदि क का आशय य की सम्मति के बिना य के कब्जे में से उस कुत्ते को बेईमानी से लेना हो, तो ज्योंही य के कुत्ते क के पीछे चलना प्रारंभ किया, क ने चोरी की।
(ग) मूल्यावान वस्तु की पेटी ले जाते हुए एक बैल क को मिलता है । वह उस बैल को इसलिए एक खास दिशा में हांकता है कि वे मूल्यवान वस्तुएं बेईमानी से ले सके । ज्योंही उस बैल ने गतिमान होना प्रारम्भ किया, क ने मूल्यवान वस्तुएं चोरी की ।
(घ) क, जो य का सेवक है जिसे य ने अपनी प्लेट की देखरेख न्यस्त कर दी है, य की सम्मति के बिना प्लेट को लेकर बेईमानी से भाग गया। क ने चोरी की ।
(ङ) य यात्रा को जाते समय अपनी प्लेट लौटकर आने तक, क को, जो एक भाण्डागरिक है, न्यस्त कर देता है । क उस प्लेट को एक सुनार के पास ले जाता है और वह प्लेट बेच देता है । यहां वह प्लेट य के कब्जे में नहीं थी, इसलिए वह य के कब्जे में से नहीं ली जा सकती थी और क ने चोरी नहीं की है, चाहे उसने आपराधिक न्यासभंग किया हो ।
(च) जिस गृह पर य का अधिभोग है उसके मेंज पर य की अंगूठी क को मिलती है । यहां, वह अंगूठी य के कब्जे में है, और यदि क उसको बेईमानी से हटाता है, तो वह चोरी करता है ।
(छ) क को राजमार्ग पर पड़ी हुई अंगूठी मिलती है, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में नहीं है । क ने उसके ले लेने से चोरी नहीं की है, भले ही उसने संपति का आपराधिक दुर्विनियोग किया हो ।
(ज) य के घर में मेंज पर पड़ी हुई य की अंगूठी क देखता है । तलाशी और पता लगाने के भय से उस अंगूठी का तुरंत दुर्विनियोग करने का साहस न करते हुए क उस अंगुठी को ऐसे स्थान पर, जहां से उसका य को कभी भी मिलना अति अनधिसम्भाव्य है, इस आशय से छिपा देता है कि छिपाने के स्थान से उसे उस समय ले ले और बेच दे जबकि उसका खोया जाना याद न रहे । यहां, क न उस अंगूठी को प्रथम बार हटाते समय चोरी की है ।
(झ) य को, जो एक जौहरी है, क अपनी घड़ी समय ठीक करने के लिए परिदत्त करता है । य उसको अपनी दुकान पर ले जाता है । क, जिस पर उस जौहरी का, कोई ऐसा ऋण नहीं है, जिसके लिए कि वह जौहरी उस घड़ी को प्रतिभूति के रुप में विधिपूर्वक रोक सके, खुले तौर पर उस दुकान में घुसता है, य के हाथ से अपनी घड़ी बलपूर्वक ले लेता है, और उसको ले जाता है । यहां क ने भले ही आपराधिक अतिचार और हमला किया हो, उसने चोरी नहीं की है, क्योंकि जो कुछ भी उसने किया बेईमानी से नहीं किया ।
(ञ) यदि उस घड़ी की मरम्मत के संबंध में य को क से धन शोध्य है, और यदि य उस धड़ी को उस ऋण की प्रतिभूति के रुप विधिपूर्वक रख सकता है और क उस घड़ी को य के कब्जे में से इस आशय से ले लेता है कि य को उसके ऋण की प्रतिभूति रुप उस संपति से वंचित कर दे तो उसने चोरी की है क्योंकि वह उसे बेईमानी से लेता है ।
(ट) और यदि क अपनी घड़ी य के पास पणयम करने के बाद घड़ी के बदले लिए गए ऋण को चुकाए बिना उसे य के कब्जे में से य की सम्मति के बिना ले लेता है, तो उसने चोरी की है, यध्यपि वह घड़ी उसकी अपनी ही संपति है, क्योंकि वह उसको बेईमानी से लेता है ।
(ठ) क एक वस्तु को उस समय तक रख लेने के आशय से जब तक कि उसके प्रत्यार्वतन के लिए पुरस्कार के रुप में उसे से धन अभिप्राप्त न हो जोए, य की संपति के बिना य के कब्जे में से लेता है । यहां क बेईमानी से लेता है, इसलिए, क ने चोरी की ।
(ड) क, जो य का मित्र है, य की अनुपस्थिति में य के पुस्तकालय में जाता है, और य की अभिव्यक्त सम्मति के बिना एक पुस्तक केवल पढ़ने के लिए और वापस करने के आशय से ले जाता है । यहां यह अधिसम्भाव्य है कि क ने यह विचार किया हो कि पुस्तक उपयोग में लाने के लिए उसको य की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, यदि क का यह विचार था, तो क ने चोरी नहीं की है ।
(ढ) य की पत्नी से क खैरात मांगता है । वह क को धन, भोजन और कपड़े देती है जिनको क जानता है कि वे उसके पति य के हैं । यंहा, यह अधिसभ्भाव्य है कि क का यह विचार हो कि य की पत्नी को भिक्षा देने का प्राधिकार है । यदि क का यह विचार था, तो क ने चोरी नहीं की है ।
(ण) क, य की पत्नी का जार है । वह क को एक मूल्यवान संपति देती है जिसके संबंध में क यह जानता है कि वह उसके पति य की है, और वह ऐसी संपति है, जिसको देने का प्राधिकार उसे य से प्राप्त नहीं है । यदि क उस संपति को बेईमानी से लेता है, तो बह चोरी करता है ।
(त) य की संपति को अपनी स्वयं की संपति होने का सदभावपूर्वक विश्वास करते हुए ख के कब्जे में से उस संपति को क ले लेता है । यहां क बेईमानी से नहीं लेता, इसलिए वह चोरी नहीं करता ।
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