रविवार, 19 अगस्त 2018

क्या है धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 ? जानिए

भारत में धूम्रपान को लेकर नजरिये की बात करें तो यह देखा गया है कि जिस तरह दुनिया के दूसरे देशों में इसे लेकर कानून है और इस से सेहत पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को लेकर जागरूकता है , वो तो व्यापक तौर पर है लेकिन फिर भी व्यावहारिक तौर पर यह अभी भी एक समस्या ही है | सार्वजनिक जगहों या ट्रेन आदि में धूम्रपान वर्जित है लेकिन फिर भी अक्सर लोग नियमों को तक पर रखकर इसे तोड़ते हुए नजर आते है जिसकी वजह से न केवल धूम्रपान करने वाले के सेहत और धन की हानि होती है बल्कि इसके साथ ही उसके आस पास मौजूद दूसरे लोगो को भी वही सेहत के नुकसान झेलने पड़ते है क्योंकि वो लोग उस बीडी या सिगरेट से निकला हुआ धुआं सांसों के जरिये अपने शरीर में ले रहे होते है , जिसे पेसिव स्मोकिंग कहते है | ऐसे में आपको धूम्रपान निषेध अधिनियम और इसमें जुड़े प्रावधानों के बारे में पता होना चाहिए ताकि ऐसी किसी घटना को आप जिम्मेदारी और जागरूकता से रोक पायें –



धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 क्या है जानिए
सबसे पहले इसकी शुरुआत भारतीय रेल से हुई | भारतीय रेल ने 1989 में धूम्रपान को कानून तौर पर वर्जित करे की व्यवस्था दी और इसके तहत यह कहा गया कि रेलगाड़ी और रेल परिसर के अंदर धूम्रपान कानूनन वर्जित होगा इसके साथ ही सौ रूपये के जुर्माने की व्यवस्था दी गयी | लेकिन जैसा कि आप जानते है भारत तो भारत है , और लोग लोग , इस व्यवस्था की वजह से कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं आया क्योंकि लोगो में जागरूकता ही नहीं थी और इस बात को समझ लेना जरुरी है कि समाज में होने वाले सकारात्मक बदलाव केवल समाज में मौजूद लोगो की जागरूकता और इच्छाशक्ति की वजह से आते है न कि किसी कानून को थोपने से |

खैर यह मुद्दा बरसों से लंबित रहा और आखिर में साल 2003 में इस समबन्ध में स्पष्ट कानून बनाया गया जिसके तहत सिगरेट बीडी , सिगरेट या किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पाद का सेवन या इस्तेमाल करना , सभी तरह के सार्वजानिक जगहों पर कानूनन अपराध माना जाएगा और इसे सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन, निरोध तथा व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण विनियमन) अधिनियम, 2003 कहा जाता है तथा संक्षेप में सीओटीपीए या कोटपा और बोलचाल की भाषा में  धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 के नाम से जाना जाता है | इसके सार्वजनिक स्थान की परिभाषा के तहत वो सारे जगह आते है जंहा पर कोई भी सामान्य व्यक्ति का आना जाना हो जैसे कि बस अड्डे , रेलवे स्टेशन ,पार्क ,खेल के मैदान , अस्पताल , न्यायालय , स्कूल , कॉलेज या कोई भी शैक्षिक संस्था , शौपिंग मॉल ,सरकारी भवन और अन्य किसी भी तरह की कोई ऐसी जगह जन्हा लोग-बाग आ जा सकते हो |

धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 के तहत कुछ खास जगहों को धूम्रपान के लिए चिन्हित किया जा सकता है जिसमे नियमानुसार बड़े होटलों या एअरपोर्ट जैसी जगहों पर कुछ खास कक्ष बनाये जा सकते है लेकिन उस धूम्रपान कक्ष को मुख्य खंड से अलग खंड में होना चाहिए | जगह ऐसी होनी चाहिए जन्हा पर वेंटीलेशन हो और दूसरे लोगो को पैसिव स्मोकिंग जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े | Passive Smoking उस घटना को कहते है जब किसी धूम्रपान कर रहे व्यक्ति की वजह से दूसरे व्यक्ति साँस के द्वारा उस व्यक्ति के द्वारा छोड़े गये धुएँ को अपने शरीर में ग्रहण करते है |

धारा 25 एवं 26 में केंद्र और राज्य सरकार को इस बात की जिम्मेदारी दी गयी है कि वह धूम्रपान निषेध अधिनियम की पालना को सुनिश्चित करने के लिए , एक तो धूम्रपान मुक्त जोन को निर्धारित करेंगी और साथ ही कारवाई करने और कानून की पालना के लिए एक या एक से अधिक सक्षम अधिकारी भी नियुक्त कर सकती है जिन्हें मौके पर ही मामले को निपटाने का अधिकार रहेगा और वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत इस मामले को ले सकते है | इसके साथ ही हर कार्यालय के या संगठन के मुखिया व मानव संसाधन प्रबंधक और प्रशासन के अध्यक्ष को जुर्माने की वसूली के लिए अधिकार दिया गया है और वसूली की यह राशी राज्य सरकार के हक़ में आती है जिसे सरकार के ट्रेज़री अकाउंट में जमा करवा दिया जाता है |

धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 के अंतर्गत निम्न चीजे अपराध के दायरे में आती है –

किसी भी कार्यस्थल या सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करना |
तम्बाकू के बारे में एडवरटाइजमेंट करना |
18 से कम उम्र के नौजवानों को बीडी , सिगरेट या कोई भी तम्बाकू उत्पाद विक्रय करना |
स्कूल या कॉलेज के 100 मीटर के दायरे में तम्बाकू उत्पाद बेचना  |
बिना सचित्र वैधानिक चेतावनी के तम्बाकू उत्पाद बेचना | इसलिए हर तम्बाकू पैकेट या सिगरेट के पैकेट पर आप चेतावानी देख सकते है |
इस अधिनियम के तहत निम्न सजायें या अर्थ दंड का प्रावधान है –

सार्वजनिक स्थानों पर अगर कोई धूम्रपान करता हुआ पाया जाता है तो 200 रूपये जुर्माने का प्रावधान है |
तम्बाकू के किसी भी उत्पाद को विज्ञापनो के जरिये प्रात्साहित करने को भी इसी कानून का उल्लंघन मन जायेगा और इसके तहत दो वर्ष से पांच वर्ष की सजा और 5 से 10 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है |
स्कूल या कॉलेज या अन्य शिक्षा संस्थानों के आस पास 100 मीटर से कम के दायरे में विक्रय करते हुए पाए जाने पर 200 रूपये जुर्माने का प्रावधान है |
अगर कोई तम्बाकू उत्पाद बनाने वाला सचित्र वैधानिक चेतावनी वाले नियम की अवहेलना करता है तो ऐसे में उस पर पहली सजा दो साल की सजा और पांच हजार रूपये का अर्थदंड लगाया जा सकता है और दोबारा वही अपराध होने पर पांच साल की सजा और दस हजार का अर्थदंड की व्यवस्था की जा सकती है | वही रिटेलर पर इसी मामले में क्रमश: एक साल की सजा और एक हजार रूपये अर्थदंड व दो साल की सजा और तीन हजार के अर्थदंड की व्यवस्था है |
बच्चों को तंबाकू बेचने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है और अगर 18 साल के कम उम्र के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद बेचते हुए कोई पाया जायेगा तो इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जायेगा | इसकी पालना नहीं करने वाले को सात साल की सजा और एक लाख तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है |
अगर आपके आस पास प्रतिबंधित जगह पर कोई धूम्रपान कर रहा हो तो इसकी शिकायत के लिए आप निम्न अथॉरिटी को सम्पर्क कर सकते है –

रेल स्टेशन या परिसर , सरकारी या प्राइवेट अस्पताल , पोस्ट ऑफिस , परिवहन और ट्रेन में अगर कोई धुम्रपान करते हुए पाया जाता है तो आप क्रमश :  स्टेशन मास्टर, सहायक स्टेशन मास्टर, स्टेशन अध्यक्ष और अस्पताल के निदेशक या अस्पताल प्रशासक और पोस्ट ऑफिस के पोस्ट मास्टर ,बस में कंडक्टर और बस अड्डे पर यातायात अधीक्षक या प्रशासक और ट्रेन में टीटीई , रेलवे सुरक्षा बल के सहायक सब इंस्पेक्टर व उससे ऊपर के अधिकारी को अप्रोच कर सकते है | सार्वजनिक क्षेत्र में पुलिस सब इंस्पेक्टर, फूड इंस्पेक्टर आदि को अप्रोच किया जा सकता है |  या जैसा कि आपको ऊपर बताया है किसी सार्वजनिक भवन आदि में आप उस कार्यालय के अधीक्षक या मुखिया को सम्पर्क कर इस बारे में शिकायत कर सकते है |

तो ये है धूम्रपान निषेध अधिनियम 2003 और इस पोस्ट में अधिक जानकारी जोड़ने या किसी गलती के सुधार के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है |
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