शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

भारत का महान्यायवादी क्या है ?

भारत का महान्यायवादी
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 कहता है देश में एक महान्यायवादी होना चाहिए।

महान्यायवादी भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी (वकील) होता है .

इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते है तथा वह उनके प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है .

महान्यायवादी बनने के लिए वहीयोग्यता होती है जो सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के लिए होती है अर्थात

व्यक्ति भारत का नागरिक हो।

कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो। अथवा

किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो। अथवा

वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए।

यह भारत सरकार को कानूनी मामलों में सलाह देते है

वर्तमान में श्री मुकुल रहत्गी भारत के महान्यायवादी है .

भारत के महान्यायवादी को संसद के कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है किन्तु संसद में वोटिंग का अधिकार नहीं है

यह भारत सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में प्रधनमंत्री का प्रतिनिधित्व करते है (अनुच्छेद 176) में इस बात का जिक्र है ( उनके वकील के रूप में अर्थात भारत सरकार के वकील के रूप में क्यों की प्रधानमंत्री भारत सरकार के प्रमुख है )और जरूरत पड़ने पर और किसी भी अदालत में भारत सरकार के वकील के रूप अदालत के सामने पेश होगे

इनकी सीमा

यह भारत सरकार के खिलाफ कोई केस नहीं लड़ेंगे

न किसी केस में भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह देंगे

और भारत सरकार के अनुमति के बिना किसी व्यकति या संस्था की पैरवी नहीं करंगे

और किसी भी कंपनी में कोई पद ग्रहण नहीं करेंगे
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