भारतीय दंड संहिता की धारा 205 के अनुसार
वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरुपण- जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरुपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या अपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा ,या दावे की संस्वीकारिति करेगा ,या कोई आदेशिका निकलवाएगा या जमानतदार या प्रतिभु बनेगा या कोई अन्य कार्य करेगा वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 3 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरुपण- जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरुपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या अपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा ,या दावे की संस्वीकारिति करेगा ,या कोई आदेशिका निकलवाएगा या जमानतदार या प्रतिभु बनेगा या कोई अन्य कार्य करेगा वह दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास जिस अवधि 3 वर्ष तक हो सकेंगे या जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा
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