रविवार, 19 अगस्त 2018

जानिए क्या है दया याचिका और यह कब दायर की जाती है?

दया याचिका के बारे में अक्सर हम पढ़ते है अगर किसी अपराधी को मौत की सजा होती है तो अख़बार में कई दफे आता है कि उसने राष्ट्रपति को अपनी दया याचिका भेजी है और अब ऐसा हो सकता है कि उसकी सजा में कमी हो जाये या फिर राष्ट्रपति सजा को बरकरार रखे | तो चलिए इसी बारे में कुछ और विस्तार से पढ़ते है और ज्ञान प्राप्त करते है –

 क्या है दया याचिका ?
असल में भारतीय संविधान के अंतर्गत यह व्यवस्था है कि किसी भी अपराधी के साथ भी किसी दशा में अन्याय नहीं होना चाहिए और इसी व्यवस्था के चलते बहुत सारी व्यवस्थाएं बनी है जिसमे अगर अपराधी किसी अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह ऊपरी कोर्ट में जा सकता है | वह राज्य के हाईकोर्ट जा सकता है और अगर वंहा भी उसे लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ है तो वह सर्वोच्च न्यायालय यानि के सुप्रीम कोर्ट में भी शरण ले सकता है | यह तो हो गयी सामान्य जानकरी की बात जो हम सब करीबन जानते ही है लेकिन जरा सोचिये अगर किसी अपराधी ने कोई गंभीर अपराध किया हो और उसे मृत्यु दंड की सजा हो गयी हो जिसे निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालतों यंहा तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा बनाई रखी हो |

ऐसे में दया याचिका अस्तित्व में आती है इसके तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में दिए अधिकारों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति –


  • फांसी की सजा को कम कर सकते है या माफ़ कर सकते है अथवा बदलाव भी कर सकते है |
  • हालाँकि अगर हम सोचे की राष्ट्रपति इस पर अपने विवेक से ही फैसला लेते है तो यह कहना गलत होगा क्योंकि संविधान में यह साफ़ तौर पर कहा गया है कि राष्ट्रपति किसी भी दया याचिका पर फैसला लेते हुए मंत्री परिषद् की सलाह लेंगे |
  • याचिका भेजे जाने पर गृह मंत्रालय अपनी तरफ से अपनी तरफ से राष्ट्रपति को मामले में जानकारी और स्पष्टीकरण देता है जिसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति अपना फैसला देते है |

दया याचिका की प्रक्रिया – दया याचिका भेजने के लिए कोई कुछ सामान्य तरीके निम्न है –
  • जब किसी भी मामले में किसी अपराधी को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती है और उसकी फांसी की सजा बरक़रार रहती है या ऐसे कोई मामले जिसमे खुद सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा दी हो तो वह व्यक्ति सीधे राष्ट्रपति के दफ्तर अपनी याचिका लिखित में भेज सकता है |
  • अपने राज्यपाल को भी दया याचिका भेजी जा सकती है ऐसी स्थिति में राज्यपाल को प्राप्त होने वाली याचिकाएं सीधे गृह मंत्रालय को भेज दी जाती है |
  • अपराधी अपनी याचिकाएं अपने वकील या परिवारजन के जरिये भी भेज सकते है |
भारत के शासनकाल के दौरान बहुत से राष्ट्रपति रहे है और सबने अपने अपने हिसाब से याचिकाओं का निपटारा किया है | अगर आप अब्दुल कलाम की जीवनी पढ़ें तो आपको पता चलेगा कि उनके पास आने वाली याचिकाओं में से केवल 2 ऐसी थी जिन पर उन्होंने फैसला लिया | उनमें से एक थी रेप और मर्डर के दोषी धनंजय चटर्जी की याचिका जिसे उन्होंने ख़ारिज कर दिया और दूसरी थी 2006 में राजस्थान के खेराज राम की याचिका जिस पर अपनी पत्नी , बच्चों और चचेरे भाई के खून के चलते मौत की सजा हुई जिसे कलाम साहब ने कब करके उम्रकैद में बदल दिया |  सबसे अधिक दया याचिकाएं स्वीकार की थी भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने , उन्होंने कुल 30 दोषियों की दया याचिका स्वीकार कर ली थी |

तो ये है दया याचिका के बारे में कुछ जानकारियां और अगर आप इस पोस्ट में कुछ जोड़ना चाहते है या आपको लगता है कि इस पोस्ट में कुछ गलती है तो आप हमे ईमेल करके बता सकते है |
Previous Post
Next Post

post written by:

0 टिप्पणियाँ: